Legislation in Danger : लोन की जानकारी न देने पर आरिफ मसूद की विधायकी खतरे में!

खुद के और पत्नी के नाम पर लिए 50 लाख के लोन की जानकारी नहीं दी!

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Legislation in Danger : लोन की जानकारी न देने पर आरिफ मसूद की विधायकी खतरे में!

Bhopal : कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की विधायकी खतरे में पड़ सकती है। हाईकोर्ट ने माना कि आरिफ ने झूठ बोला था। निर्वाचन अधिकारी के साथ कोर्ट को भी गुमराह किया गया। मसूद ने जानबूझकर निर्वाचन पत्र में बैंक के कर्ज लेने की जानकारी छुपाई थी। बैंक पर भी बयान बदलने के लिए दबाव बनाया।

कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की याचिका पर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। भाजपा प्रत्याशी ध्रुव नारायण सिंह ने हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया था कि आरिफ मसूद ने चुनाव के दौरान कई जानकारियां छिपाई हैं। इनमें यह भी शामिल है कि कांग्रेस विधायक ने स्वयं और अपनी पत्नी के नाम पर लिए गए करीब 50 लाख रुपये के लोन की जानकारी नहीं दी। चुनाव के दौरान जमा किए गए नामांकन पत्र में जानकारी नहीं दी गई।

ध्रुव नारायण सिंह ने उनके निर्वाचन को चुनौती दी है। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आरिफ मसूद को 18 अक्टूबर तक लोन से संबंधित रिकॉर्ड उपलब्ध कराकर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही, हाईकोर्ट ने एसबीआई शाखा प्रबंधक से कांग्रेस विधायक और उनकी पत्नी के लोन की जानकारी मांगी।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यदि अंतिम सुनवाई में यह सिद्ध हो जाता है कि आरिफ मसूद और उनकी पत्नी ने बहुत बड़ी राशि का लोन लिया और चुनाव के दौरान इसकी जानकारी छिपाई, तो वे भ्रष्टाचार के दोषी पाए जाएंगे। ऐसे में उनकी विधायकी खत्म हो सकती है। मामले में अगली सुनवाई 3 जनवरी को होगी।

आरिफ मसूद ने जानकारी छुपाई 

कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने हाईकोर्ट में भाजपा उम्मीदवार ध्रुव नारायण की याचिका को निरस्त करने के लिए आवेदन लगाया था, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। इस फैसले को चुनौती देते हुए आरिफ मसूद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और दावा किया कि जो दस्तावेज पेश किए गए, वे फर्जी हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने साक्ष्य के आधार पर फिर से हाईकोर्ट को मामले की सुनवाई के निर्देश दिए। मंगलवार को जस्टिस विवेक अग्रवाल की कोर्ट ने ध्रुव नारायण की याचिका पर अंतिम तर्क सुनने के बाद माना कि एसबीआई बैंक, भोपाल से लोन के लिए पेश किए गए दस्तावेज सत्य और बैंक अधिकारी द्वारा अधिकृत हैं। कोर्ट ने यह भी निर्धारित किया कि इस लोन की जानकारी छुपाई थी।