Indore : चार दिन पहले बुरहानपुर के नेपानगर से लाया गया जख्मी तेंदुआ (Leopard) चिड़ियाघर से कहां गायब हो गया, इसका अभी तक पता नहीं चला। इस बात को लेकर अब अधिकारी एक-दूसरे पर आरोप लगाने में जुट गए हैं l तीन दिन बाद भी तेंदुआ नहीं मिलने के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं कि तेंदुआ आखिर कहां गया! वो चिड़ियाघर परिसर में ही है या बाहर कहीं छुपा है।
52 एकड़ में फैले चिड़ियाघर (Zoo) में 200 कर्मचारी की टीम ने रातभर खोजबीन कर रहे है। 42 कैमरे के फुटेज भी खंगाले गए, लेकिन उसमें चार बिल्ली और दो कुत्ते कैद हो गए। लेकिन, तेंदुए का कोई सुराग नहीं लगा। चार जगह पिंजरे रखे गए जिसमें मुर्गा, मटन और चिकन रखा गया, सब वैसा ही रखा मिला। बुरहानपुर वन मंडल की महिला अधिकारी द्वारा चिड़ियाघर प्रभारी से बातचीत का जो ऑडियो सामने आया है।
इसमें महिला अधिकारी द्वारा तेंदुए को इंदौर लाए जाने की बात कही गई। उत्तम यादव द्वारा कहा गया कि इतनी रात को चिड़ियाघर के कर्मचारी चले जाते हैं। तेंदुए को आप सुबह लाए, क्योंकि उसे अभी शिफ्ट करना मुश्किल होगा। बावजूद वन मंडल कर्मचारियों द्वारा बुरहानपुर से दोपहर में निकलने की बात कही।
महिला अधिकारी द्वारा कहा गया कि हम इंदौर पहुंच गए थे। इसके बाद उत्तम यादव द्वारा गाड़ी को चिड़ियाघर में खड़े करने की बात कही गई। अब तक तेंदुए की खोज केवल चिड़ियाघर परिसर और आसपास ही तकाश की जा रही है। संभव है कि वह वहाँ से भाग गया हो। दूसरी संभावना है कि तेंदुए को चिड़ियाघर लाया ही नहीं गया हो।
इंतजाम क्यों नहीं
मुद्दा ये है कि तेंदुए को खंडवा जिले से पकड़कर लाया गया था और वह घायल अवस्था में था तो भूखा-प्यासा रहा होगा। उसके लिए तत्काल भोजन पानी चिकित्सा का प्रबंध करना वन विभाग एवं इंदौर नगर पालिक निगम के चिड़ियाघर प्रबंधन की जिम्मेदारी थी! वन विभाग के कर्मियों ने ‘तेंदुए’ को पकड़ा फिर इंदौर लाते समय 6/8 घंटे के सफर में उन्होंने पिंजरे में झांककर यह देखने की कोशिश नहीं की, कि तेंदुआ किस हाल में है। जब तेंदुए को इंदौर ले आया गया, तो वन विभाग का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी वहां क्यों नहीं था!
चिड़ियाघर प्रभारी कहाँ
जब चिड़ियाघर के अंदर पिंजरे को लाया गया, तब इंदौर नगर निगम के प्रशासकीय नियंत्रण में आने वाले चिड़ियाघर के प्रभारी वहां क्यों नहीं थे। उनका कोई प्रतिनिधि भी वहां क्यों नहीं गया। जैसे ही चिड़ियाघर में तेंदुए का पिंजरा लाया गया, उसके तुरंत बाद पिंजरे की जांच करके तेंदुए को किसी बड़े बाड़े में शिफ्ट करने का काम रात में क्यों नहीं किया गया! तेंदुआ उम्र में छोटा है और गंभीर घायल है। कई बार ये खुद को ही घायल कर लेते हैं। तो उसे ट्रेंकुलाइज करके ट्रीटमेंट क्यों नहीं दी गई! चिड़ियाघर के प्रभारी डॉक्टर भी हैं। इंदौर से करीब 15 किलोमीटर की दूर एक बेहद बड़ा अत्याधुनिक सुविधाओं वाला वेटरनरी कॉलेज भी है।
जिम्मेदारी किसकी
शासकीय विभागों में इतनी प्रभावी कागजी कार्यवाही होती है, तो इस मामले में वन विभाग ने आधिकारिक रूप से इंदौर चिड़ियाघर प्रशासन को यह तेंदुआ क्यों नहीं सौंपा। चिड़ियाघर प्रशासन ने भी अपनी तरफ से उन्हें तेंदुए का टेकओवर क्यों नहीं दिया। क्या निकटतम थाना क्षेत्र को, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट को, जिला प्रशासन को तेंदुए के इस अवस्था में लाने की सूचना दी गई! उसके गायब होने के तुरंत चिड़ियाघर प्रभारी उत्तम यादव, संबंधित थाना प्रभारी एवं एसडीएम तीनों वहां पहुंचे थे। देखा जाए तो इस घटना में प्रत्यक्ष तौर पर वन विभाग और नगर निगम के अधीन आने वाला चिड़ियाघर, उसके प्रभारी सभी सीधे जिम्मेदार हैं।