आओ आज ‘हिंदू क्रांति दिवस’ मनाएं…

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आओ आज ‘हिंदू क्रांति दिवस’ मनाएं…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

आज अंग्रेजी नव वर्ष का पहला दिन है। ‘हैप्पी न्यू ईयर’ के संदेशों से मोबाइल नेटवर्क दिनभर आफत में रहेगा। तो वहीं इस बात पर भी बहस चलती रहेगी कि हिंदू नव वर्ष तो चैत्र माह से शुरू होगा। वैसे अंग्रेजी कैलेंडर के अलावा दूसरे सभी कैलेंडर के नव वर्ष अलग-अलग समय ही शुरू होते हैं। पर आज हम आपके साथ यह साझा करते हुए खुश हैं कि 1 जनवरी का दिन भारत में ‘हिन्दू क्रांति दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 1670 को भारत मेंं मुगल बादशाह औरंगजेब के खिलाफ सर्वप्रथम क्रांति करने वाले वीर गोकुला जाट के शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए गए थे। इसलिए इस दिवस को ‘हिन्दू क्रांति दिवस’ के रूप में मनाते हैं। अगर अब तक पता नहीं था, तो अब यह जान लें और ‘हिन्दू क्रांति दिवस’ को अंगीकृत और आत्मार्पित कर लें। और यह भी समझ लें कि मुगल शासक औरंगजेब कितना बर्बर और घृणित था।

तो आइए आज वीरल गोकुला के बारे में जानकर अपना सिर गर्व से ऊंचा कर लें।गोकुला को ही वीर गोकुला या गोकुल देव के नाम से जाना जाता है। वह तिलपत क्षेत्र (वर्तमान हरियाणा ) के एक ज़मींदार थे, जिन्होंने मुगल सम्राट औरंगज़ेब के शासनकाल के दौरान हिंदू ज़मींदारों का मुगल शासन के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था। गोकुला (मूल रूप से ओला या गोकुल देव ) का जन्म तिलपत क्षेत्र के एक हिंदू जाट परिवार में मदु हागा के घर हुआ था और वह चार भाइयों में परिवार के दूसरे बेटे थे।

तिलपत का युद्ध 1669 में जाटों और मुगल साम्राज्य के बीच लड़ा गया था।उपमहाद्वीप के दक्षिणी क्षेत्रों में निरंतर सैन्य विस्तार के परिणामस्वरूप साम्राज्य की खराब वित्तीय स्थिति के कारण मुगल सूबेदारों ने इस क्षेत्र के किसानों पर भारी कर लगाया । इससे स्थानीय जमींदारों में असंतोष और गुस्सा पैदा हुआ और मुगलों के खिलाफ विद्रोह का रूप ले लिया। विद्रोह को दबाने के लिए औरंगजेब ने अपने कमांडरों हसन अली खान और ब्रह्मदेव सिसोदिया को राजपूत और मुगल सैनिकों की एक बड़ी सेना के साथ अब्दुल नबी की कमान वाली सादाबाद छावनी में सुदृढीकरण के रूप में भेजा। तिलपत के जमींदार मादु सिंह जाट के पुत्र जाट प्रमुख गोकुला ने किसानों के विद्रोह का नेतृत्व किया।अब्दुल नबी ने जाट हिंदुओं पर कुछ ज्यादतियाँ भी की थीं, जिससे विद्रोह भड़क उठा। अब्दुल नबी ने गोकुल सिंह के पास एक छावनी स्थापित की और वहीं से अपने सभी कार्यों का संचालन किया। सहोरा गाँव में एक लड़ाई लड़ी गई जहाँ मई 1669 में अब्दुल नबी इसे जब्त करने की कोशिश करते समय मारा गया। गोकुला और उसके साथी किसान आगे बढ़े, सादाबाद छावनी पर हमला किया और उसे नष्ट कर दिया। इसने हिंदुओं को मुगल शासकों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया, जो गोकुला की जमीन और क्षेत्रों के बदले में सभी हिंदू विद्रोहियों को नष्ट करने के लिए वहां आए थे। लड़ाई पाँच महीने तक जारी रही। इस बीच, गोकुला की मृत्यु के बाद, चूड़ामन ने भरतपुर के पास सिनसिनी के जाट किले को मजबूत कर लिया था। 1669 में, गोकुला सिंह ने 20,000 अनुयायियों के साथ तिलपत से 20 मील दूर मुगलों का सामना किया। अब्दुल नबी ने उन पर हमला किया। पहले तो वह बढ़त हासिल करता हुआ दिखाई दिया, लेकिन लड़ाई के बीच में वह 12 मई 1669 को मारा गया। वे तिलपत की ओर पीछे हट गए, जहाँ हसन अली ने उनका पीछा किया और 10,000 बंदूकधारियों, 5,000 रॉकेटमैन और 250 तोपों के सुदृढीकरण के साथ उनकी घेराबंदी की। आगरा के परिवेश के फौजदार अमानुल्ला को भी हसन अली को मजबूत करने के लिए भेजा गया था। गोकुला और उनके चाचा उदय सिंह जाट ने युद्ध जीत लिया। लेकिन उसके बाद औरंगजेब ने उन्हें पकड़ने के लिए एक बड़ी सेना भेजी। मुगलों ने उन्हें पकड़ लिया और फिर 1 जनवरी 1670 को आगरा किले के पास उनकी हत्या कर दी। गोकुला जाट और उनके समर्थक शहीद हो गए। औरंगजेब ने गोकुला के बेटे और बेटी को जबरन इस्लाम धर्म कबूल करवाया। पकड़े जाने के बाद, एक जनवरी 1670 में आगरा कोतवाली के पास मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर जाट नेता गोकुला के अंग काट दिए गए।

तो आज देश की राजनीति मोहब्बत और नफरत के बीच झूल रही है। इस बीच हर भारतीय नागरिक को भारत के इतिहास में भरी पड़ी नफरत और मोहब्बत की जानकारी भी जरूर होना चाहिए। और गोकुला जैसे शहीदों और औरंगजेब जैसे क्रूर शासकों की जानकारी भी होना चाहिए। शिवाजी और महाराणा प्रताप जैसे वीर योद्धा सबके दिल में बसे हैं। पर गोकुला जैसे योद्धा गुमनामी में समाए हैं। आओ आज हम गोकुला के बारे में जानें और हर साल एक जनवरी को ‘हिंदू क्रांति दिवस’ के रूप में मनाएं। मन में सबके प्रति मोहब्बत रखें, पर इतिहास में भरे पड़े घृणित चेहरों द्वारा फैलाई गई नफरत की जानकारी जरूर रखें…।