चलो जीत की ओर…

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चलो जीत की ओर…

मध्यप्रदेश में चुनावी साल में भाजपा और कांग्रेस की सक्रियता मैदान में चुनावी दृष्टि से लगातार बढ़ रही है। हर दिन दोनों दल के दिग्गज नेता मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। 230 विधानसभा का यह रण 2023 में बहुत ही रोचक होने वाला है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा को शिवराज के अभिनंदन समारोह में महासंगठनकर्ता की उपाधि से संबोधित किया गया। और भाजपा व कांग्रेस का असल संग्राम संगठनात्मक क्षमता के बीच ही है। और कैडर बेस दल भाजपा संगठन के मामले में कांग्रेस से कहीं ज्यादा सशक्त है, यह तथ्य‌ संदेह से परे है। हालांकि सत्ताधारी दल के नाते क्षेत्र में अपनी छवि बिगाड़ चुके विधायकों को मैदान से बाहर करना भाजपा संगठन के लिए कठिन चुनौती रहेगी तो कांग्रेस को भी ऐसी स्थिति से ही रूबरू होना पड़ेगा। कुल मिलाकर दोनों प्रमुख दल फिलहाल मध्यप्रदेश में 2023 के संग्राम को लेकर सक्रिय हो चुके हैं। कार्यकर्ताओं में प्राण फूंककर जीत का आह्वान किया जा रहा है। लक्ष्य सबका यही है कि “चलो जीत की ओर…।”
भाजपा ने “बूथ विस्तारक अभियान-2.0” का ऐलान किया है। प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने “चलो बूथ की ओर” नारा दिया है। 64 हजार 100 बूथ पर बूथ विस्तारक अभियान के पार्ट-2 में सभी कार्यकर्ता 14 से 24 तक बूथों पर पहुंचकर संपर्क करेंगे। मुख्यमंत्री और मंत्री-विधायक भी बूथ पर दिखेंगे, तो संगठन के मुखिया से लेकर कार्यकर्ता तक सभी बूथ पर पहुंचेंगे। 12000 शक्ति केंद्रों पर तैनात 5 लोगों की टोली संयोजक, सहसंयोजक, सोशल मीडिया का इंचार्ज, आईटी का इंचार्ज, हितग्राही प्रभारी सक्रिय भूमिका में रहेंगे। शक्ति केंद्र पर लगभग 12000 के करीब विस्तारक पूरे 10 दिन उस शक्ति केंद्र पर रहकर काम करेंगे। प्रत्येक दिन एक बूथ पर पार्टी द्वारा तय किए गए 22 प्रकार के कामों को करने का संकल्प लेकर कार्यकर्ता आगे बढ़ेंगे। पन्ना समिति मे 33 प्रतिशत महिलाओं की नियुक्ति होगी। हितग्राही इंचार्ज भी बूथ पर बनाए जा रहे हैं। और भी अलग-अलग इंचार्ज बनाकर संगठन जीत के विजन को पुख्ता करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता। तो भाजपा के नए प्रदेश कार्यालय के लिए भूमिपूजन 27 मार्च को भोपाल में होगा, जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल होंगे। और इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 25 मार्च को छिंदवाड़ा लोकसभा का दौरा करेंगे। छिंदवाड़ा के सभी कार्यकर्ताओं के साथ बड़ी आमसभा होगी। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत से दूर रही यह इकलौती लोकसभा सीट पर अब भाजपा की तीखी नजर है। तो भाजपा का “चलो जीत की ओर” का लक्ष्य विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनाव में कांग्रेस मुक्त मध्यप्रदेश पर ही केन्द्रित है।
वहीं कांग्रेस भी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व में “चलो जीत की ओर” के लक्ष्य पर संधान कर रही है। जिलों में संगठनात्मक नियुक्तियां जारी हैं। तो नाथ के नेतृत्व में राजभवन घेराव कर कांग्रेस, प्रदेश सरकार की नीतियों पर सीधा वार कर जताना चाहती है कि 2023 में वह वापसी के लिए एकजुट है। विधानसभा के बजट सत्र में भी नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस के तेवर बता रहे हैं कि सरकार को तो मैदान में देख ही लेंगे, पर विधानसभा अध्यक्ष के प्रति अविश्वास जताकर यह भी जता दिया है कि सदन में भी विपक्षी दल कांग्रेस की उपेक्षा कर सब कुछ सत्ता पक्ष के हिसाब से चलाया जा रहा है। हालांकि इस पंद्रहवीं विधानसभा में पंद्रह महीने सरकार में रही कांग्रेस के लिए भी ऐसा माहौल कुछ आश्चर्यजनक नहीं है। पर चुनावी साल में सत्ता पर हर सियासी वार कर कांग्रेस यह जताना चाहती है कि संघर्ष तो उसी हद तक होगा, जो पार्टी को जीत की ओर ले जाने के लिए जरूरी है। कमलनाथ के क्षेत्रीय दौरे जारी है। पिछले दिनों भगोरिया में शिरकत कर मालवा के आदिवासी समुदाय पर सीधा असर डालने की कोशिश की, तो चंबल और विंध्य पर भी कांग्रेस की सीधी नजर है। नाथ की सशक्त और जीवंत उपस्थिति कार्यकर्ताओं में यह भरोसा पैदा करने का जतन ही है कि उनके रहते कांग्रेस प्रदेश में अनाथ नहीं है। प्रदेश कार्यालय और जिलों में कार्यकर्ताओं की बड़ी बैठकें कर भी कांग्रेस यही संदेश दे रही है।
तो इधर शिव-विष्णु और उधर नाथ-गोविंद विधानसभा चुनाव का लक्ष्य लेकर आमने-सामने हैं। महासंगठनकर्ता विष्णु का कौशल कमल के सोलहवीं विधानसभा में खिलाए रखने का पूरा भरोसा लेकर आगे बढ़ता नजर आ रहा है। तो अधिकतर समय सत्ता में रहकर अपने कौशल का प्रदर्शन करते रहे नाथ का निशाना कमल को मुरझाता हुआ देख दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर है। ऐसे में बजट सत्र की उम्र बड़ी लंबी नजर नहीं आती, क्योंकि सबकी नजर चुनावी मैदान पर है। “चलो जीत की ओर” का मूलमंत्र सबके मन में है और मतदाता से “मन की बात” कर जीत को आत्मसात करने का मन सभी बना चुके हैं…।