
आओ विजय दिवस पर जेन ऑस्टिन की बात करते हैं…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
1971 में पाकिस्तानी सेना की क्रूर कार्रवाइयों और दमनचक्र ने जब युद्ध को अनिवार्य बना दिया, तब भारत ने सिर्फ जवाब ही नहीं दिया, बल्कि ऐसा प्रहार किया कि दुनिया का भू-राजनीतिक नक्शा ही बदल गया। महज 13 दिनों में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सबसे बड़ी हार दर्ज कराई। 93 हजार से अधिक सैनिकों को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया और उसी क्षण दक्षिण एशिया में एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का उदय हुआ। 16 दिसंबर 1971 की यह तारीख भारतीय इतिहास में विजय दिवस के रूप में जानी जाती है। आज बांग्लादेश खुद समस्याओं के दौर से गुजर रहा है। चलो आज हम विजय दिवस पर अंग्रेजी उपन्यासकार जेन ऑस्टिन की बात करते हैं। जिनका जन्म 16 दिसंबर 1775 को हुआ था।
जेन ऑस्टिन (16 दिसम्बर 1775 – 18 जुलाई 1817) एक अंग्रेजी उपन्यासकार थीं, जिन्हें मुख्य रूप से उनके छह प्रमुख उपन्यासों के लिए जाना जाता था, जो 18 वीं शताब्दी के अंत में ब्रिटिश जमींदारों की व्याख्या, आलोचना और टिप्पणी करते हैं। ऑस्टिन के कथानक अक्सर अनुकूल सामाजिक प्रतिष्ठा और आर्थिक सुरक्षा की खोज में विवाह पर महिलाओं की निर्भरता का पता लगाते हैं। उनकी रचनाएँ 18वीं सदी के उत्तरार्ध की संवेदनशीलता के उपन्यासों की आलोचना करती हैं और 19वीं शताब्दी के साहित्यिक यथार्थवाद के संक्रमण का भाग हैं। उनके यथार्थवाद और सामाजिक टिप्पणी के साथ-साथ कटु विडम्बना के उपयोग ने आलोचकों और विद्वानों के बीच उनकी प्रशंसा अर्जित की है।
अंग्रेजी कथा साहित्य में जेन ऑस्टिन का विशिष्ट स्थान है। इनका जन्म सन् 1775 ई. में इंग्लैंड के स्टिवेंटन नामक छोटे से गांव में हुआ था। मां-बाप के सात बच्चों में ये सबसे छोटी थीं। इनका प्राय: सारा जीवन ग्रामीण क्षेत्र के शांत वातावरण में ही बीता। सन् 1817 में इनकी मृत्यु हुई। प्राइड ऐंड प्रेजुडिस, सेंस ऐंड सेंसिबिलिटी, नार्देंजर, अबी, एमा, मैंसफील्ड पार्क तथा परसुएशन इनके छह मुख्य उपन्यास हैं। कुछ छोटी मोटी रचानाएं वाट्संस, लेडी सूसन, सडिशन और लव ऐंड फ्रेंडशिप उनकी मृत्यु के सौ वर्ष बाद सन् 1922 और 11927 के बीच छपीं।
जेन ऑस्टिन के उपन्यासों में हमें 18वीं शताब्दी की साहित्यिक परंपरा की अंतिम झलक मिलती है। विचार एवं भावक्षेत्र में संयम और नियंत्रण, जिन पर हमारे व्यक्तिगत तथा सामाजिक जीवन का संतुलन निर्भर करता है, इस क्लासिकल परंपरा की विशेषताएं थीं। ठीक इसी समय अंग्रेजी साहित्य में इस परंपरा के विरुद्ध रोमानी प्रतिक्रिया बल पकड़ रही थी। लेकिन जेन ऑस्टिन के उपन्यासों में उसका लेशमात्र भी संकेत नहीं मिलता। फ्रांस की राज्यक्रांति के प्रति भी, जिसका प्रभाव इस युग के अधिकांश लेखकों की रचनाओं में परिलक्षित होता है, ये सर्वथा उदासीन रहीं। इंग्लैंड के ग्रामीण क्षेत्र में साधारण ढंग से जीवनयापन करते हुए कुछ इने गिने परिवारों की दिनचर्या ही उनके लिए पर्याप्त थी। दैनिक जीवन के साधारण कार्यकलाप, जिन्हें हम कोई महत्व नहीं देते, उनके उपन्यासों की आधारभूमि है। असाधारण या प्रभावोत्पादक घटनाओं का उनमें कतई समावेश नहीं।

जेन ऑस्टिन की रचनाएं कोरी भावुकता पर मधुर व्यंग्य से ओतप्रोत हैं। स्त्री-पुरुष-संबंध उनके उपन्यासों का केंद्रबिंदु है, लेकिन प्रेम का विस्फोटक रूप वे कहीं भी नहीं प्रदर्शित करतीं। उनके नारी पात्रों का दृष्टिकोण इस विषय में पूर्णतया व्यावहारिक है। उनके अनुसार प्रेम की स्वाभाविक परिणति विवाह एवं सुखी दांपत्य जीवन में ही है। शिक्षा देने या समाजसुधार की प्रवृत्ति जेन ऑस्टिन में बिलकुल नहीं थी। अपने आसपास के साधारण जीवन की कलात्मक अभिव्यक्ति ही उनका ध्येय थी। अन्य दृष्टिकोणों से भी उनका क्षेत्र सीमित था। फिर भी उनके उपन्यासों में मानव जीवन की नैसर्गिक अनुभूतियों का व्यापक दिग्दर्शन मिलता है। कला एवं रूपविधान की दृष्टि से भी उनके उपन्यास उच्च कोटि के हैं।
तो अंत एक बार फिर विजय दिवस से। तो विजय दिवस वह दिन था जब जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाजी के नेतृत्व वाली पाकिस्तानी सेना ने 16 दिसंबर, 1971 को ढाका में लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोरा के नेतृत्व वाली गठबंधन सेना के समक्ष बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया था। और तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दूरदर्शिता से पाकिस्तान दो टुकड़ों में बंटा था और बांग्लादेश स्वतंत्र देश बना था।
लेखक के बारे में –
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।





