झूठ बोले कौआ काटे! चंद्रयान-3 मिशन ने रचे तीन इतिहास

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झूठ बोले कौआ काटे! चंद्रयान-3 मिशन ने रचे तीन इतिहास

– रामेन्द्र सिन्हा

‘ना ये चंदा रुस का…ना ये जापान का..ना ये अमेरिकन प्यारे..ये तो है हिंदुस्तान का।’ बॉलीवुड के सुप्रसिद्ध गायक मोहम्मद रफी का वर्षों पहले फिल्म ‘इंसान जाग उठा’ के लिए गाया गया गाना भले ही पूरी तरह तर्कसंगत न हो, इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) के चंद्रयान-3 मिशन से भारत ने तीन-तीन इतिहास अवश्य रच दिए।

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चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर योजनाबद्ध ढंग से चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग तय समय पर करके भारत ऐसा करने वाला पहला और चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश बन गया। अमेरिका, रूस और चीन पहले जरूर चांद पर अपना झंडा गाड़ चुके हैं लेकिन दक्षिणी ध्रुव अब तक उनके लिए टेढ़ी खीर ही बना हुआ है। दो दिन पहले ही रूस का लूना-25 स्पेसक्राफ्ट चांद पर लैंडिंग से ठीक पहले क्रैश कर गया था। लूना-25 का लक्ष्य था कि वह भारत के चंद्रयान-3 से पहले यहां 21 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग करे। लूना-25 को चंद्रमा के उसी क्षेत्र में लैंड करना था, जहां भारत का चंद्रयान-3 उतरने वाला था।

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भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग करने का ही इतिहास नहीं रचा, एक और इतिहास रचा। चंद्रयान 3 का बजट दुनिया के मून मिशनों में सबसे कम है। इसरो के पूर्व चेयरमैन के सिवन के अनुसार, पूरे मिशन की लागत 615 करोड़ या लगभग 75 मिलियन डॉलर के आसपास है। जबकि, चंद्रयान-2 भारत का सबसे महंगा (978 करोड़) लूनर मिशन रहा है, हालांकि ये असफल हो गया था।

रूस का लूना 25, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट-लैंडिंग की कोशिश में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, उसकी कीमत 1,600 करोड़ रुपये थी। चीन का चंद्रमा पर जाना और भी महंगा था। चंद्रमा की पहली चांग’ई जांच की लागत 1,752 करोड़ रुपये (1.4 बिलियन युआन या 219 मिलियन डॉलर) थी।

आपको जानकर हैरानी होगी कि चंद्रयान-3 का बजट कई साइंस फिक्शन फिल्मों, कुछ बॉलीवुड फिल्मों के बजट से भी कम है। फिल्म आदिपुरुष का बजट 700 करोड़ रुपये था। हॉलीवुड साइंस फिक्शन मूवी इंटरस्टेलर का बजट 165 मिलियन डॉलर (1300 करोड़ रुपये) था। वहीं, अवतार का बजट करीब 1970 करोड़ रुपये था। मैट डेमन-स्टारर ‘द मार्टियन’ की लागत भी चंद्रयान-3 से अधिक है।

तुलना, द्वारका एक्सप्रेस-वे से करें, जो दिल्ली और हरियाणा को जोड़ती है, तो उसकी लागत भी लगभग 9 हजार करोड़ है। दुबई में भविष्य का संग्रहालय, एक वैनिटी प्रोजेक्ट जो आगंतुकों को कल की झलक दिखाता है, 136 मिलियन डॉलर की लागत से बनाया गया था, जो चंद्रयान-3 मिशन की लागत से 1.5 गुना अधिक है।

मुकेश अंबानी के आलीशान घर एंटीलिया की अनुमानित कीमत और दुबई में बुर्ज खलीफा की निर्माण लागत की तुलना में चंद्रयान-3 मिशन की लागत उसका एक अंश भर है। यही नहीं चंद्रयान-3 मिशन की लागत पर किसी को भी तीन मन्नत मिल सकते हैं जो शाहरुख खान का घर है।

साल्वेटर मुंडी, दा विंची, को सबसे महंगी पेंटिंग कहा जाता है। इसकी मौजूदा कीमत पर, इतनी ही धनराशि का उपयोग छह चंद्रयान-3 मिशनों के वित्तपोषण के लिए किया जा सकता है। यहां तक कि उच्च कुल के रूसी अलीशेर उमानोव के स्वामित्व वाला सबसे महंगा निजी जेट भी चंद्रयान-3 मिशन से कहीं अधिक महंगा है।

फ़ुटबॉल खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो, लियोनेल मेस्सी और किलियन म्बाप्पे 2023 में शीर्ष तीन सबसे अधिक भुगतान पाने वाले खिलाड़ी हैं। 119.5 मिलियन डॉलर के साथ, अमेरिकी बास्केटबॉल खिलाड़ी लेब्रोन जेम्स वर्ष के चौथे सबसे अधिक भुगतान पाने वाले एथलीट हैं। सभी सितारों की आय व्यक्तिगत रूप से चंद्रयान-3 मिशन से अधिक है।

चंद्रयान-3 ने तीसरा इतिहास रचा, जब इसरो के यूट्यूब चैनल पर लैंडिंग प्रक्रिया को लाइव देखने वालों का विश्व रिकॉर्ड बना। जब लाइव शुरू हुआ उस वक्त दस लाख लोग जुड़े और थोड़ी देर बाद ही यह संख्या 80 लाख के करीब पहुंच गई। इससे पहले, 5 दिसंबर, 2022 को ब्राजील और साउथ कोरिया के बीच 61.5 लाख लोगों ने यूट्यूब पर लाइव फुटबॉल मैच देखा था।

झूठ बोले कौआ काटेः

2008 में भारत के पहले चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-1’ ने परिक्रमा करते हुए सबसे पहले चंद्रमा पर पानी मौजूद होने के साक्ष्यों का पता लगाया था। करीब 14 वर्षों से चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के अंतरिक्ष यान लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर ने भी स्थायी रूप से छाया वाले कुछ बड़े गड्ढों (क्रेटर्स) में पानी की बर्फ अर्थात् वाटर आइस का पता लगाया है।

यही नहीं, विभिन्न देशों के चंद्र मिशनों से चंद्रमा से लाई गई सामग्री का विश्लेषण कर ऊर्जा, खनिज और धातुओं के वहां मौजूद होने की संभावना जताई जाती रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर चंद्रमा पर मौजूद पानी या खनिजों और धातुओं तक इंसान की पहुंच आसान हुई तो उनका इस्तेमाल भविष्य में मानवता के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।

इसरो के अनुसार, ‘चंद्रयान-3’ ‘चंद्रयान-2’ का अनुवर्ती (फॉलोऑन) मिशन है। इसका प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना है, जो भविष्य के इंटरप्लेनेटरी मिशनों के लिए एक अहम पहलू सिद्ध होगा। इसके अतिरिक्त इस मिशन के उद्देश्यों में चंद्रमा की सतह पर घूमने की क्षमता का प्रदर्शन और यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना भी शामिल है।

चंद्रमा की मौलिक संरचना में क्या है, चंद्र सतह के प्लाज्मा का घनत्व कैसा है, उसकी थर्मल प्रॉपर्टीज (तापीय गुण) क्या हैं, वहां सतह के नीचे की हलचल (भूकंपीयता) कैसी होती है और रीगोलिथ (चंद्र परत) में क्या कुछ खास है, इन सभी प्रमुख बातों का पता चंद्रयान-3 के जरिये लगाया जाएगा।

यही नहीं, प्रज्ञान रोवर चंद्र सतह पर मौजूद रासायनिक तत्वों और सामग्रियों का पता लगाएगा, जिसमें मैग्नीशियम, पोटेशियम, कैल्शियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम और आयरन जैसे तत्वों की खोज करना शामिल है। साथ ही चंद्र सतह की मिट्टी और पत्थरों में मौजूद रासायनिक यौगिकों का भी पता लगाएगा।

दूसरी ओर, चांद पर जमीन खरीदने की होड़ पहले ही शुरू हो चुकी है, जो अब और तेजी से बढ़ेगी। कहा जाता है कि दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने साल 2018 में चांद पर जमीन खरीद रखी थी। उन्होंने चांद पर ‘सी ऑफ मसकोवी’ एरिया में जमीन खरीदी थी। दूसरी ओर, शाहरुख खान के बारे में कहा जाता है कि उनके फैन ने उन्हें चांद पर जमीन तोहफे में दी हुई है। साल 2022 में खबर आई थी कि त्रिपुरा के शिक्षक सुमन देबनाथ ने इंटरनेशनल लूनर सोसायटी से चांद पर एक एकड़ जमीन खरीदी थी। खबरें थीं कि उन्होंने 6000 रुपये में चांद पर जमीन खरीदी है। साल 2002 में हैदराबाद के राजीव बागड़ी ने और साल 2006 में बेंगलुरू के ललित मोहता ने भी चांद पर जमीन खरीदने का दावा किया था। इसके लिए लूना सोसायटी इंटरनेशनल और इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री के जरिए चांद पर जमीन खरीदी गई थी।

लूना सोसायटी इंटरनेशनल और इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री के नियमों के अनुसार चांद पर कम से कम 1 एकड़ जमीन खरीदी जा सकती है और इस एक एकड़ के लिए 37.50 अमेरिकी डॉलर यानी 3112.52 रुपये का खर्च करना होता है।

हालांकि, 1967 की आउटर स्पेस ट्रीटी के अनुसार चांद की जमीन के ऊपर किसी एक देश का एकाधिकार नहीं है और इस पर लगभग 110 देशों ने हस्ताक्षर किए हुए हैं। धरती से बाहर का ब्रह्मांड पूरी मानव जाति का है और इसके लिए किसी ग्रह-उपग्रह आदि पर जमीन का मालिकाना हक ऐसे ही किसी को नहीं दिया जा सकता है लेकिन सालों से लूना सोसायटी इंटरनेशनल और इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री के जरिए चांद के ऊपर जमीन को बेच रही हैं।

और ये भी गजबः

पौराणिक कथाओं के अनुसार जिस समय देवताओं और असुरों के बीच में समुद्र मंथन हो रहा था, उस समय समुद्र से बहुत सारे तत्व निकले थे, जिसमें मां लक्ष्मी, वारुणी, चन्द्रमा और हलाहल भी थे। लक्ष्मी जी भगवान विष्णु के पास चली गईं, इसलिए उनके बाद जो भी तत्व निकलें वो उनके छोटे भाई और बहन बन गए। चंद्रमा उनके बाद समुद्र से निकले थे इसलिए वो उनके छोटे भाई बन गए और चूंकि लक्ष्मी को हम अपनी माता मानते हैं, इसलिए उनके छोटे भाई हमारे मामा बन गये। इसी कारण चंदा मामा कहा जाता है। चूंकि ये सभी समुद्र के मंथन से निकले थे, इस कारण समुद्र ही इन सबके पिता कहलाते हैं। चंदा मामा कहने के पीछे दूसरा कारण ये भी बताया जाता है कि चंद्रमा, पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है और दिन-रात उसके साथ एक भाई की तरह रहता है, अब चूंकि धरती को हम ‘मां’ कहते हैं इसलिए उनके भाई हमारे मामा हुए इसलिए चंदा को मामा कहा जाता है। जबकि, सबसे व्यापक वैज्ञानिक व्याख्या यह है कि चंद्रमा का निर्माण तब हुआ जब लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले सौर मंडल के निर्माण के तुरंत बाद मंगल ग्रह के आकार की एक चट्टान पृथ्वी से टकराई।