Life Imprisonment : 2016 के बहुचर्चित ट्रीपल मर्डर केस में 1 पुलिसकर्मी सहित 7 आरोपियों को आजीवन कारावास!

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Life Imprisonment : 2016 के बहुचर्चित ट्रीपल मर्डर केस में 1 पुलिसकर्मी सहित 7 आरोपियों को आजीवन कारावास!

Ratlam : शहर के राजीव नगर में 7 नवंबर 2016 को हुई 3 लोगों की नृशंस हत्या मामले में न्यायालय प्रयागलाल दिनकर अनन्य विशेष न्यायालय, अनूसूचित एवं अनूसूचित जनजाति अधिनियम ने जिले का अति संवेदनशील जघन्य एवं सनसनीखेज मामले में सातों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

 

मामले में अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी विजय पारस ने बताया कि फरियादी धर्मेन्द्र ने 7 नवम्बर 16 को रात्रि 10ः30 बजे शहर के सिविल अस्पताल में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि मैं तथा मेरा दोस्त दुर्गेश, दौलत चावडा, आनन्द चावडा, धर्मेन्द्र उर्फ कालू अण्डा, राजीव नगर स्थित शमशान के सामने मंदिर के पास बैठकर सिगरेट पी रहें थे तभी अंकित उर्फ जटा, निवासी सज्जन मिल रोड़ व राहुल (ताई) निवासी जवाहर नगर अपने 2 साथियों के साथ दो मोटरसाइकिलों पर बैठकर आए और हमारे पास आकर गालियां देते हुए बोले कि तुम यहां कैसे बैठे हो तुम बड़े तीसमारखां बनते हो, इस पर आनन्द ने कहा था कि गालियां क्यो दे रहें हो और गाली देने से मना किया तो राहुल (ताई) ने आनन्द को मारपीट करना शुरू कर दिया। आनन्द को उसके अन्य साथीयों ने पकड़ लिया था व अंकित उर्फ जटा चाकू लेकर आया था व जान से मारने की नियत से ताबड़तोड़ चाकू से सिने और पेट पर वार किए थे तभी धर्मेश उर्फ धर्मेन्द्र बीच-बचाव करने आया तो उसे भी दूसरे अन्य साथी ने पकड़ लिया था और अंकित ने पेट व सिने में चाकू से वार किए थे।

 

इसी बीच दौलत बीच-बचाव करने आया तो राहुल ने दौलत को सिने, पेट, पैर में चाकू मारे थे। चारों आरोपी उसे तथा दुर्गेश को मारने दौड़ें तो वह वहां से भागे तो उसे चारों ने पकड़कर मारपीट की थी, जिससे उसके सिर व नाक में चोट लगी। वह इनसे छूटकर भागा तो चारों अपनी मोटरसाइकिल लेकर वहां से चले गए थे।

 

एक मोटरसाइकिल काली जिसका नंबर एमपी 43-1427 दूसरी बिना नंबर की मोटरसाइकिल थी। फिर तीनों को अस्पताल ले जाया गया था जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।

 

पुलिस ने फरियादी धर्मेन्द्र की उक्त देहाती नालिसी के आधार पर औद्योगिक क्षेत्र थाना पर सभी 7 अभियुक्तों के विरूद्ध अपराध कमांक-856/16, धारा 302, 307, 294, 120 बी, 212 भारतीय दंड संहिता एवं धारा 3 (2) (अ) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध किया गया था एवं विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था।

 

बता दें कि कि उक्त प्रकरण के आरोपी पुलिसवाले कुलदीप पिता ओमप्रकाश द्वारा घटना के पश्चात अन्य आरोपियों को महू नीमच मार्ग पर स्थित बिलपांक टोल नाका पर से एक सिल्वर रंग की मारूती अल्टो कार जिसका पंजीयन नंबर MP 09 सीडी 5873 कार का सीट कवर भी जप्त किया। और उसको भी आवश्यक साक्ष्य के रूप में प्रमाणित करवाया इसके अतिरिक्त उक्त आरक्षक की मोबाईल डिटेल भी प्रकरण में साक्ष्य का आवश्यक विषय रही हैं। पुलिस की नेमप्लेट लगी हुई चार पहिया वाहन के माध्यम से आरोपीगण को ले जाया गया था और इस प्रकार आरोपी कुलदीप के उक्त सीसीटीवी फुटेज मे दर्शित होने के साक्ष्य को अभियोजन द्वारा प्रमाणित करवाया गया जो कि प्रकरण का महत्वपूर्ण साक्ष्य रही हैं।

 

विचारण न्यायालय में अभियोजन की और से कुल 33 साक्षियों को परीक्षित करवाया गया तथा घटना के समर्थन में मौखिक साक्ष्य एवं दस्तावेजी साक्ष्य एवं लिखित बहस प्रस्तुत कर आरोपीगणों को आरोपित धाराओं में उल्लेखित अधिकतम दण्ड से दण्डित किए जाने के तर्क प्रस्तुत किए गए। न्यायालय द्वारा अपने निर्णय मे इस बात को स्पष्ट किया हैं कि विधि को अपराधिकरण की और से मिलने वाली चुनौतियों का सामना करना चाहिए डगमगाती दुर्बलता को घेरने वाले मत्तप्रायः भावनाएं छिपी नही रह सकती अथवा सुधारवादी भावनाएं किसी युक्तियुक्त दण्डादेश प्रणाली के किसी काम नही आ सकती गलत धारणाओ पर टिके हुए उदारवादी दृष्टिकोण का समर्थन नही किया जा सकता।

 

न्यायालय का यह कर्त्तव्य हैं कि वह हर मामले मे अपराध की प्रकृति और उस रीति का जिसमें अपराध किया गया हो ध्यान में रखते हुए उचित दण्डादेश पारित करें और इस प्रकार न्यायालय द्वारा अभियोजन घटना को प्रमाणित मानते हुए सभी अभियुक्तगणों 01-अंकित (उर्फ जटा (27) पिता राजेश सोलंकी, निवासी-सज्जन मिल रोड़ पदम श्री के पास, 02-राहुल उर्फ ताई (29) पिता रमेशचन्द्र, निवासी-370 सी-जवाहर नगर, 03. गोविंदा उर्फ नरेन्द्र (34) पिता बहादुर सिंह, निवासी-जवाहर तीनों आरोपियों को धारा 302 (तीन शीर्ष में) सहपठित धारा 34 भादंसं में प्रत्येक शीर्ष के लिए तथा धारा 120-ख भादंवि में आजीवन कारावास एवं 5-5 हजार रुपए के अर्थदंड तथा धारा 323 सहपठित धारा 34 भादंसं में 6-6 माह कारावास तथा 1-1 हजार रूपए अर्थदंड तथा अभियुक्त 04 मनोज उर्फ नेपाल (37) पिता सत्यनारायण, निवासी-144 काला पत्थर इंदौर रोड उज्जैन, 05. कुलदीप (36) पिता ओमप्रकाश, निवासी-बी-11, जवाहर नगर को धारा 120-ख भादंवि में आजीवन कारावास एवं 5-5 हजार रुपए के अर्थदंड तथा धारा 212 भादंवि में 4-4 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 2-2 हजार रुपए अर्थदंड तथा अभियुक्त 06. सुमेर सिंह उर्फ नाना (29) पिता लालसिंह, जवाहर नगर 07 अंकित (31) राठौर पिता मनोहर लाल, निवासी जवाहर नगर को धारा 120-ख भादंवि में आजीवन कारावास एवं 5-5 हजार रूपए के अर्थदंड से दंडित किया।

प्रकरण में पैरवी जिला लोक अभियोजन अधिकारी गोविन्द प्रसाद घाटिया, अतिरिक्त जिला लोक अभियोजक विजय कुमार पारस तथा तत्कालीन विशेष लोक अभियोजक एट्रोसिटी एक्ट नीरज सक्सैना द्वारा की गई तथा प्रकरण में अंतिम तर्क डीपीओ गोविन्द प्रसाद घाटिया द्वारा प्रस्तुत किए गए।