Life Logistic: जीवन जीने का अंदाज बदलिए, जीवन बदल जाएगा!
प्रकृति में हमारी उत्पत्ति एक करिश्माई जादूगरी है। हमारे शरीर की मैकेनिकल रचना सेल्फ मेड, सेल्फ डिफेंस और सेल्फ डेवलपमेंट के आधार पर है। हमें भोजन, पानी और ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। हमारा शरीर अपने आप सभी काम करने लगता है। हमारे शरीर में अनेक सेंसर हैं, जो हमें कई सूचनाएं देते और कई आभास कराते हैं।
जिस तरह इंजन में गलत ऑयल डलता है तो इंजन की गति धीमी हो जाती है उसी तरह हमारे शरीर का आवश्यक हिस्सा शुद्ध भोजन और पानी का है। हमें यह तय करना चाहिए कि हमें कौन सा भोजन हमारी शारीरिक रचना के लिए उचित है। भोजन संयमित और नियमित होना चाहिए। जब हम शिक्षा ग्रहण करते हैं तब हमें यह जरूर पढ़ाया जाना चाहिए कि कौन-कौन से फल, फ्रूट, खाद्यान्न और मसाले हमारे शरीर के लिए कितने उपयोगी है।
आज के दौर में हमारे जीवन जीने का अंदाज बदल गए। हम अपने जीवन का कोई भी रुख तक तय नहीं कर पा रहे हैं कि हम क्या चाहते हैं और क्यों चाहते हैं! बस एक लक्ष्य समझते हैं कि खूब पढ़ाई करना है, ढेर सारा पैसा कमाना है।
मुझे याद आ रहा है एक आदमी गांव में वृक्ष के नीचे हर समय आराम करता रहता था। गांव के कुछ लोग उसे ताना देकर कहते ‘क्या दिनभर पड़े रहते हो, कुछ पढ़ाई-लिखाई करके कुछ सीखो! वह व्यक्ति पूछता है कि ज्यादा पढ़कर क्या करूंगा। गांव के बुजुर्ग कहते पढ़ेगा-लिखेगा तो कुछ अच्छी नौकरी करेगा या व्यापार करेगा। खूब पैसे कमाएगा तो जीवन में सुख से रहेगा। इस पर वह व्यक्ति कहता ‘मैं अभी क्या कर रहा हूं झाड़ की छाया के नीचे मस्त सुख से लेटा हूं और क्या चाहिए मुझे।’
इसका अर्थ यह नहीं है कि आप कुछ न करें! अर्थ यह है कि यदि आपके पास आराम करने का मौका है, तो बिला वजह अपने आपको ज्यादा और ज्यादा आगे बढ़ने का सोचते रहने में समय नहीं गवाना चाहिए। व्यक्ति ने अपने जीवन का सार, लक्ष्य तय करना चाहिए कि मुझे इतना आगे जाना है कि मैं सुरक्षित शांतिप्रिय और लक्षित जीवन जी सकूं।
कुछ बुजुर्ग बड़ा अच्छा तर्क देते हैं कि पैसा कमाना तो आसान है, पर कमाए पैसों को बहुत कम किस्मत वाले अपने हाथों से खर्च कर पाते हैं। आने वाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखते हुए पूरे जीवन धन के चौकीदार बने रहते हैं।