स्वस्थ शरीर और स्वस्थ दिमाग यह एक ऐसा चिंतन है जिसके बारे में सब सोचते हैं बातें करते हैं। हमेशा शरीर और दिमाग स्वस्थ रखने के लिए नियमितता, कड़ा अनुशासन और तनाव रहित मस्तिष्क रखें। स्वस्थ शरीर तो आप संतुलित आहार योगा मेहनत से पा सकते हैं परंतु स्वस्थ दिमाग के लिए आध्यात्म, प्रकृति, संगीत, सहनशीलता, त्याग भावना, यह सब आवश्यक है इसीलिए आप सात्विक धार्मिक इमानदार और मेहनती लोगों की सोहबत में रहना, लालची व्यभिचारी और गलत ढंग से पैसा कमाने वालों से दूर रहे।
व्यक्ति दो प्रकार की जीवन शैली में रहता है एक परिवार एवं जीवन साथी के साथ दूसरा अकेलेपन के साथ। कई बार छोटी-छोटी बातों पर गौर कर उसे दिल पर बिठा लेते हैं बस उसी क्रोध से हमारा दिमाग तनावग्रस्त हो जाता है नतीजतन हम चिडचीड़े हो जाते हैं कुछ अच्छा नहीं लगता या तो मौन रहेंगे या गुस्सा करेंगे और इसका असर हमारे शरीर की स्वस्थता पर आने लगता है हमारा एक्टिव शरीर सुस्त होने लगता है जिससे हमारी दिनचर्या पर भी फर्क पड़ जाता है।
यदि हम जरूरत से ज्यादा तनाव लेना छोड़ दे तो निश्चित रूप से हम शांत प्रवृत्ति के जरिए सहनशीलता और त्याग भावना के जरिए अपने मस्तिष्क कर नियंत्रण रखने में सफल हो जाएंगे।
जिस व्यक्ति ने दिमाग में लोड लेना छोड़ दिया हो वह निश्चित रूप से जीवन में आनंद की अनुभूति से रहता है। ऐसे व्यक्ति बिना वजह की अपेक्षा और उम्मीदें दूसरों से नहीं रखते हैं। किसी को यदि वह कर्ज दे तो यह मानकर चलें यह डूब भी सकता है। दुनिया चोर बुरे लोगों से भरी हुई है।
कलयुग में बुरे आपको कदम कदम पर मिलेंगे स्वार्थी लालची धोखेबाज नालायक ऐसे विकृत दिमाग वाले आपको कदम कदम पर दिखेंगे, इन सबके बीच में आपको अपने मन में स्थिरता और शांति बनाये रखना यह कठिन जरूर है लेकिन असंभव बिल्कुल नहीं। आपके साथ यदि कोई धोखा करता है तो आप थोड़ा सा शांति समय के अनुसार पकड़ कर रखें एकदम दिमाग मैं तनाव ना लाएं, सब प्रभु की इच्छा मानकर मन शांत रखें। याद रखें आपका दिमाग आपके शरीर पर असर देता है अतः दिमाग में विचलीतता और तनाव को दूर रखें है ताकि शरीर कमजोर ना बने।
अशोक मेहता, (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)