Life Logistics: नहाने के तरीके BATH PATTERN

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Life Logistics: नहाने के तरीके BATH PATTERN;

प्रत्येक प्राणी को नहाना सर्वप्रिय लगता है चाहे पक्षी हो पशु हो फिर हम तो इंसान हैं हम तो दिन में दो-तीन बार भी नहाना पसंद कर लेते हैं। नहाने से स्वच्छता ही नहीं पाते हैं बल्कि तरोताजगी भी महसूस करते हैं।

नहाने के कई प्रकार हैं। राजे रजवाड़े बड़े-बड़े पानी के ओखड़े बनवाते थे जिनमें इत्र व गुलाब के फूल की पत्तियां डालकर उसमें बैठ जाते। इस प्रकार जब वो नहा कर निकलते हैं तो उनके शरीर से खुशबू आती रहती है खुशबू से दिमाग में भी ताज की रहती है और शरीर के सभी रोए खुल जाने से स्किन में चमक और ताजगी भरपूर हो जाती है। पहले के जमाने में नहाने के लिए बेसन, हल्दी, केसर मलाई आदि का लेप बनाते थे। कई बार उसमें दूध दही भी मिल आते थे। इस प्रकार के नहाने से चर्म रोग भी नहीं होते और स्किन में स्वर्ण सी आभा दिखने लगती है। केमिकल वाले साबुन का प्रयोग ना करते हुए घर में बने हुए या हर्बल आयुर्वेदिक साबुन का इस्तेमाल ज्यादा उपयुक्त होता है। एलोवेरा जिसे हम ग्वारपाठा कहते हैं उससे नहाने से चर्म रोग मिटने के साथ त्वचा में पोषण भी मिलता है।

शादी के वक्त हल्दी की रस्म इसीलिये बनाई गई। आप एक प्रयोग जरूर करें आप जब घर में संतरे छिलते हैं तो उनके छिलकों को पानी में गला कर रख ले और जब भी आप नहा लें उसके बाद वह पानी अपने ऊपर डाल लें आपका पूरा शरीर में खुशबू आने से साथ-साथ बहुत ज्यादा तरो ताजगी महसूस होगी। किचन में काम करते वक्त पपीता, तरबूज, खरबूज या ककड़ी खीरा के छिलके मुंह हाथ पर रगड़ ले और उसके बाद स्नान करले आपकी त्वचा में निखार आएगा। जहे खुली जगह मिल जाए वहां काली मिट्टी मुल्तानी मिट्टी से नहा ले, प्रकृति से शरीर को सभी मिनरल मिल जाएंगे।