Life Logistics:अनुशासित जिंदगी DISCIPLINED LIFE;
रोजमर्रा की जिंदगी में अनुशासन बहुत आवश्यक है जितनी अनुशासित दिनचर्या होगी उतने हम स्वस्थ एवं दीर्घायु बनेंगे। पर यह अनुशासित जिंदगी समय-समय पर उम्र के साथ बदलती जाती है, जब हम बच्चे रहते हैं तब हमारा मुख्य समय खाने, खेलकूद, कुछ सीखने और पढ़ाई करने में बीतना चाहिए। जब हम युवा होते हैं तब हमारा समय लिटरेचर पढ़ने के साथ हममे जो हुनर है उस को विकसित करने में भी समय लगाना चाहिए। भविष्य का लक्ष्य तय करना चाहिए। कितने भी भौतिकवादी लक्ष्य बने परंतु प्रकृति से जुड़े रहना चाहिए।
व्यक्ति की शादी के बाद दिनचर्या फिर से बदल जाती है उन्हे अपने परिवार के साथ पत्नी या पती का भी ख्याल रखना और उसे समय देना होता है। पति और पत्नी यह ऐसा रिश्ता है जिससे उनके भाग्य का सितारा बुलंद होता है क्योंकि पत्नी और पति के सितारे एक साथ गुथित रहते हैं। पति और पत्नी का तालमेल, एक दूसरे की समझ अत्यंत आवश्यक है, इसे मेंटेन करने के लिए दोनों एक बार तो जरूर साथ में खाने के लिए बैठना चाहिए। आपस में बातचीत और एक दूसरे की पसंद से घर को सजाना, परिवार को मेंटेन करना यह सब होना चाहिए। कुछ बातें हैं जो बचपन से लेकर बड़े होने तक नियमित होना चाहिए- वह है रात को जल्दी सोना, सुबह जल्दी उठना, नियमित समय पर खाना खाना और दिनभर कुछ ना कुछ काम करना। मॉर्निंग वाॅक, ध्यान, योगा, एक्सरसाइज या स्विमिंग जो भी करते हैं तो उसे नियमित करना चाहिए।
पर्यटन, पेंटिंग, सिंगिंग, म्यूजिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक मेल मिलाप यह सब जिंदगी के हम इससे होते हैं हमारी जिंदगी की नियमितता में समयानुसार इन्हें भी शामिल करना होता है। एक सफल जिंदगी नियमित एवं प्रकृति से जुड़े रहने पर बनती है।