Loksabha Poll Results Today: जीत के रिकार्ड के लिए VD, शंकर, शिवराज पर नजर,दिग्विजय की राजगढ़, नकुल की छिंदवाड़ा हाई प्रोफाइल सीट्स 

कांग्रेस के दावे में दम या भाजपा करेगी क्लीन स्वीप, अब आएगा फैसला

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Loksabha Poll Results Today: जीत के रिकार्ड के लिए VD, शंकर, शिवराज पर नजर,दिग्विजय की राजगढ़, नकुल की छिंदवाड़ा हाई प्रोफाइल सीट्स 

दिनेश निगम ‘त्यागी’ की विशेष रिपोर्ट 

एक्जिट पोल के बाद मंगलवार 4 जून को अब मतगणना की बारी है। इसके बाद फैसला आ जाएगा कि कांग्रेस के दावे में दम है या भाजपा क्लीन स्वीप कर प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों में जीत का डंका बजाने वाली है। एक्जिट पोल भाजपा की उम्मीदों के नजदीक आए हैं। इनमें उसे 27 से 29 सीटें मिलना बताई गई हैं। कांग्रेस इसे मानने तैयार नहीं है। कांग्रेस का दावा है कि पार्टी प्रदेश की 29 में से 10 से 12 सीटें जीतने जा रही है। कौन कितने पानी में है, यह जानने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

मतगणना के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की विदिशा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा की खजुराहो और शंकर लालवानी की इंदौर सीट पर भी नजर रहेगी। माना जा रहा है कि इनमें से ही कोई जीत का रिकार्ड बनाएगा।

राजगढ़ और छिंदवाड़ा सीट पर फोकस इसलिए है क्योंकि यहां का नतीजा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं दिग्विजय सिंह और कमलनाथ का राजनीतिक भविष्य तय करेगा। राजगढ़ में खुद दिग्विजय और छिंदवाड़ा में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ मैदान में हैं।

*0 पटवारी का दावा दमदार प्रत्याशियों के भरोसे* 

– प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी अब भी अपने दावे पर कायम हैं। सोमवार को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि एक्जिट पोल की पोल 18 घंटे के अंदर खुल जाएगी। उन्होंने फिर अपना दावा दोहराया कि मप्र में कांग्रेस 10 से 12 सीटों में जीत दर्ज करने जा रही है। दरअसल प्रदेश की लगभग एक दर्जन लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस को मुकाबले में बताया जा रहा है। ये सीटें मुरैना, भिंड, ग्वालियर, सतना, सीधी, मंडला, छिंदवाड़ा, राजगढ़, धार, खरगोन, खंडवा और रतलाम हैं। इन सीटों में भाजपा के उम्मीदवार कमजोर बताए जाते हैं, जबकि कांग्रेस के अपेक्षाकृत मजबूत। इन सीटों में जातीय और सामाजिक समीकरण भी उलझे हुए हैं। यहां लोगों से बातचीत करने पर पता चलता है कि कांग्रेस के उम्मीदवार अच्छे हैं और टक्कर देते नजर आ रहे हैं। वे यह भी कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में मतदाता प्रत्याशी नहीं, नरेंद्र मोदी को देखकर वोट करता है। इसलिए अंतत: जीत भाजपा की ही होगी। साफ है कि यदि मोदी लहर चली तो कांग्रेस को एक-एक सीट के लाले पड़ जाएंगे और एक्जिट पोल सच हो जाएंगे लेकिन मोदी का जादू कमजोर पड़ा तो नतीजा कुछ भी आ सकता है। तब कुछ सीटें कांग्रेस और कुछ भाजपा जीत सकती है।

 *0 भाजपा को मोदी, राम और मेहनत पर भरोसा* 

– मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित भाजपा का लगभग हर नेता प्रदेश की सभी 29 सीटें जीत कर क्लीन स्वीप का दावा कर रहा है। इसके पीछे पार्टी नेताओं के अपने तर्क हैं। उनका मानना है कि देश के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भगवान राम की लहर भाजपा के पक्ष में चल रही है। जहां तक मेहनत का सवाल है तो भाजपा के सामने कांग्रेस कहीं नहीं ठहरती। टॉप लीडर काे ही लें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस के राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तुलना में ज्यादा दौरे किए हैं। प्रदेश स्तर पर भाजपा के पास मुख्यमंत्री मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मंत्री कैलाश विजयर्गीय सहित नेताओं की भरमार थी जबकि कांग्रेस के पास जीतू पटवारी और उमंग सिंघार के अलावा कोई नहीं था। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ जैसे वरिष्ठ नेता अपने क्षेत्रों तक सिमट कर रह गए थे। कार्यकर्ताओं, बूथ स्तर तक संगठन के लिहाज से भाजपा मजबूत है ही। इन वजहों से ही भाजपा के नेता क्लीन स्वीप का दावा कर रहे हैं। उनका कहना है कि पिछली बार एक सीट छिंदवाड़ा रह गई थी, इस बार वह भी जीत रहे हैं।

*0 किसके नाम दर्ज होगा बड़ी जीत का रिकार्ड* 

– मतगणना के दौरान इस बात पर भी सबकी नजर होगी कि कौन सबसे बड़ी अर्थात रिकार्ड जीत दर्ज करने वाला है। इसके लिए तीन प्रमुख दावेदार प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, सांसद शंकर लालवानी और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बताए जा रहे हैं। वीडी शर्मा और शंकर लालवानी का का दावा इसलिए मजबूत है क्योंकि इनके क्षेत्रों में कांग्रेस के प्रत्याशी मैदान में ही नहीं थे। वीडी शर्मा की खजुराहो सीट कांग्रेस ने सपा को समझौते में दी थी। सपा ने पहले मनाेज यादव को प्रत्याशी बनाया, इसके बाद मीरा यादव को। बाद में मीरा का नामांकन ही निरस्त हो गया। इंडिया गठबंधन ने यहां फारवर्ड ब्लाक के आरबी प्रजापति को समर्थन दिया लेकिन वे मुकाबले में नजर नहीं आए। वीडी पिछला चुनाव 4 लाख 92 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीते थे, इस बार रिकार्ड बना सकते हैं। इंदौर में शंकर लालवानी के सामने उतरे कांग्रेस के अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया था। लिहाजा यहां भी कांग्रेस मैदान में नहीं थी। कांग्रेस ने इंदौर में मतदाताओं से नोटा दबाने की अपील की थी। लालवानी पिछला चुनाव 5 लाख 47 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीते थे। वे भी जीत का रिकार्ड बना सकते हैं। तीसरे शिवराज सिंह लंबे समय बाद लोकसभा का चुनाव अपनी पारंपरिक सीट विदिशा से लड़ रहे हैं। उन्होंने जीत का रिकार्ड बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है। 2019 में विदिशा से रमाकांत भार्गव 5 लाख 3 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव जीते थे। शिवराज को उम्मीद है कि वे विदिशा से जीत का रिकार्ड बनाएंगे।

*0 राजगढ़, छिंदवाड़ा बन गईं हाईप्रोफाइल सीटें* 

– प्रदेश की दो लोकसभा सीटें राजगढ़ और छिंदवाड़ा हाई प्रोफाइल सीटें हैं। इन सीटों पर किसी भी कीमत पर भाजपा को जीत चाहिए और कांग्रेस को भी। राजगढ़ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह मैदान में हैं जबकि छिंदवाड़ा में वरिष्ठ नेता कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ चुनाव लड़ रहे हैं। दिग्विजय सिंह का संघ और भाजपा के साथ छत्तीस का आंकड़ा नया नहीं है। सिंह लंबे अंतराल के बाद लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। राजगढ़ उनका ग्रह क्षेत्र भी है। उन्होंने अथक मेहनत की है और यह कह कर वोट मांगे हैं कि यह उनका आखिरी चुनाव है। मेहनत के मामले में वे भाजपा से उन्नीस नहीं रहे। उनके मुकाबले भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर को कमजोर मांना जा रहा था। दूसरी छिंदवाड़ा सीट कमलनाथ का गढ़ है। 2019 में उनके बेटे नकुलनाथ ने यहां 37 हजार 5 सौ वोटों के मामूली अंतर से जीत दर्ज की थी जबकि उस समय कमलनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। पिछली बार सिर्फ यह एक सीट ही कांग्रेस के खाते में आई थी। कद्दावर नेता और सरकार के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को प्रभारी बनाकर भाजपा ने इस बार छिंदवाड़ा जीतने के लिए पूरी ताकत झोंकी है। कमलनाथ भी पूरे समय क्षेत्र में डटे रहे। राजगढ़ और छिंदवाड़ा की हार-जीत पर प्रदेश के साथ पूरे देश की नजर टिकी है।

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