Lokayukt Registered Case Against An IAS And Gwalior SADA : 1 करोड़ रुपए की राजस्व हानि को लेकर FIR 

ग्वालियर SADA में शराब फैक्ट्री को जमीन देकर सरकार को नुकसान पहुंचाया  

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Lokayukta issued Warrant Against ACS

Lokayukt Registered Case Against An IAS And Gwalior SADA : 1 करोड़ रुपए की राजस्व हानि को लेकर FIR

Case Registered : निवाड़ी कलेक्टर और ग्वालियर SADA समेत कई पर FIR दर्ज 

Gwalior : लोकायुक्त ने निवाड़ी कलेक्टर तरुण भटनागर और ग्वालियर के वरिष्ठ भाजपा नेता राकेश जादौन के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की। विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त संगठन ग्वालियर ने जांच के बाद ‘विशेष क्षेत्र प्राधिकरण ग्वालियर’ (SADA) के तत्कालीन अध्यक्ष राकेश जादौन, मुख्य कार्यपालन अधिकारी तरुण भटनागर (IAS) एवं अन्य के विरुद्ध पद के दुरुपयोग का भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। इन लोगों ने मास्टर प्लान में छेड़छाड़ करके शासन को एक करोड़ रुपए से अधिक की राजस्व की हानि पहुंचाई। तत्कालीन कार्यपालन अधिकारी (CEO) तरुण भटनागर वर्तमान में कलेक्टर निवाड़ी के पद पर पदस्थ हैं।

आवेदक संकेत साहू ने 23 जनवरी 2020 को एक आवेदन पत्र प्रस्तुत किया था कि ग्वालियर के विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष राकेश यादव और साड़ा के CEO तरुण भटनागर ने कुछ अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ मिलकर अधिकार न होने के बावजूद रायरू डिस्टिलरी को 26.59 हेक्टेयर आवास एवं सार्वजनिक उपयोग की जमीन पर डिस्टलरी के विस्तार के लिए नियम विरुद्ध अनुमति दी। इसके लिए मास्टर प्लान भी बदल दिया गया। इससे शासन को 1.7 करोड़ रुपए के राजस्व की हानि हुई।

इस संबंध में आवेदक संकेत साहू ने विशेष न्यायाधीश एवं प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ग्वालियर में परिवाद पत्र दिया था। इस पर न्यायालय ने जांच किए जाने के निर्देश दिए। इसके बाद प्राथमिकी जांच राकेश यादव एवं तरुण भटनागर व अन्य के विरुद्ध दर्ज कर जांच की गई। दस्तावेजों का अवलोकन करने पर पाया गया कि तत्कालीन अध्यक्ष राकेश जादौन को तत्कालीन सीईओ तरुण भटनागर, भवन अधिकारी आरएल मौर्य एवं प्रभारी योजना अधिकारी नवल सिंह राजपूत ने विकास एवं भवन अनुज्ञा साडा विकास योजना 2011 के प्रस्तावित मानचित्र में प्रस्तावित भूमि उपयोग के विरुद्ध अनुमति जारी की।

थाना तिघरा (ग्वालियर) में 15 जून 2018 को शराब फैक्ट्री मालिक ने फैक्ट्री के विस्तार और बड़े लोन अमाउंट के लिए SADA के मास्टर प्लान में छेड़छाड़ की। साथ ही मध्य प्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश नियम 2012 के नियम 15 के नियम एवं 14 के अनुसार गणना करने पर लगभग 1.07 करोड़ रुपए की शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई।

 

लोकायुक्त ने जांच शुरू की

रायरू स्थित शराब फैक्ट्री ग्वालियर एल्काेब्रो (रायरू डिस्टलरी) के लिए नियमों के विपरीत लैंड यूज बदलने के मामले में लोकायुक्त ने जांच शुरू की थी। इस मामले में 2018 में शिकायत की गई थी और तत्कालीन कमिश्नर बीएम शर्मा ने इस प्रकरण में तत्कालीन साडा अध्यक्ष राकेश जादौन, तत्कालीन सीईओ तरुण भटनागर, तत्कालीन अधीक्षण यंत्री आरएलएस मौर्य व उपयंत्री नवल सिंह राजपूत को दोषी पाया था। इसके अलावा साडा दफ्तर में अलमारी तोड़कर सबूत नष्ट किए जाने की भी जांच की गई थी। उक्त चारों जिम्मेदारों ने तत्कालीन कमिश्नर को अपने जवाब में बताया था कि हमें अनुमति की कोई जानकारी नहीं थी। जबकि, अनुमति पर उक्त लोगों के हस्ताक्षर हैं।

 

लैंड यूज बदलकर सबूत मिटाए

ग्राम जिनावली के सर्वे नंबर 232 से 236, 153 से 157, 181, 192/1, 192/2 एवं मिलावली के सर्वे नंबर 3, 4, 5 और निरावली के सर्वे नंबर 1049,1050 की कुल जमीन 26.59 हेक्टेयर पर औद्योगिक विकास के लिए ग्वालियर एल्कोब्रो कंपनी (रायरू डिस्टिलरी) को भवन अनुमति विकास योजना के विपरीत जारी कर दी गई। जबकि, उक्त सर्वे नंबरों की जमीन के उपयोग विकास योजना 2011 के अनुसार अलग-अलग था। साथ ही कंपनी से इसके लिए 14 लाख 4 हजार 741 रुपए जमा कराने के आदेश 7 मई 2016 को जारी कर दिए गए। इसके बाद 10 जून 2016 को उक्त कंपनी को नियमों के विपरीत अनुमति जारी कर दी गई।

 

जांच में खुलासा, हर नियम तोड़ा गया

विकास योजना 2011 के विपरीत खसरा पैनल प्राधिकरण द्वारा कब एवं किसके द्वारा तैयार किया गया, इसका अनुमोदन प्राधिकारी द्वारा कब किया गया, इसका कोई भी अभिलेख साडा के पास नहीं मिला। जांच में पाया गया कि ग्वालियर एल्कोब्रो को लाभ देने के लिए ही यह पैनल तैयार किया गया है। इस पूरे मामले में साडा के उपयंत्री नवल सिंह राजपूत की भूमिका अग्रणी साबित हुई। क्योंकि, सभी प्रश्नाधीन प्रचलित कार्यवाही विषयक नस्तियों पर प्रमुख रूप से उनके द्वारा टीप अंकित की गई और वास्तविक तथ्यों को नहीं रखा गया।

ग्वालियर एल्काेब्रो द्वारा राशि जमा कराए जाने की नोटशीट पर CEO तरुण भटनागर ने लिखा कि नियमानुसार हो तो कार्रवाई करें। यह आदेश तथ्यहीन एवं अस्पष्ट है। लेकिन, एल्काेब्रो प्रबंधन से 14 लाख 4 हजार 741 रुपए का मांग पत्र CEO के हस्ताक्षर से ही जारी है। इसलिए इन्हें इस अस्पष्ट टीप का लाभ नहीं दिया जाना था।