BDA के रिश्वतखोर बाबू की पत्नी और भाई की संपत्ति भी खंगालेगा लोकायुक्त,कई और खुलासे होंगे, जांच जारी
भोपाल:नगर निगम भोपाल में पदस्थ रहे सिटी इंजीनियर पीके जैन के यहां पर लोकायुक्त ने करोड़ों रुपए बरामद किए थे। यह मामला अभी शांत नहीं हुआ था कि शहर में एक और बाबू के पास आय से अधिक संपत्ति मिलने का मामला सामने आ गया है। भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 बाबू तारकचंद दास को लोकायुक्त पुलिस ने 40 हजार रुपए लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था। बीडीए ने आरोपी तारकचंद दास को सस्पेंड कर दिया है। अब लोकायुक्त पुलिस बाबू की काली कमाई की पड़ताल कर रही है। बताया जा रहा है कि बाबू तारकचंद दास बिना पैसों के कोई काम नहीं करता था।
परिजनों के नाम निकली कई संपत्ति, लोकायुक्त की जांच में खुलासा
विभागीय सूत्रों के अनुसार आरोपी तारकचंद दास लंबे समय से इसी प्रकार के अवैध स्त्रोतों से काली कमाई करता आ रहा है। आरोपी बाबू ने कई प्रॉपर्टीज अपने और अपने परिजनों के साथ परिचितों के नाम पर ले रखी है। अभी तक की कार्यवाही मे आरोपी के घर से कई संपत्ति संबंधी दस्तावेज और जानकारी मिली है। आरोपी की पत्नी मंदिरा दास के नाम पर कस्तूरबा नगर मे मां गंगा होटल दो फ्लोर व बॉयज हॉस्टल दो फ्लोर तथा एक फ्लोर निर्माणाधीन मिला है। मंदिरादास एमपी नगर में खुद के आॅफिस में और शेड नंबर 3 बीडीए आॅफिस के सामने मे स्टांप वेंडर का काम भी करती है। मंदिरा पंचशील नगर मे एक ग्राहक सेवा केंद्र एसबीआई कियोस्क, एमपी आॅनलाइन का संचालन भी करती है, जो इनकी माता ईवा चटर्जी के मकान में है। साथ ही, पंचशील मकान नंबर 10 खुद के मकान मे 14 किरायेदार रहते हैं। पंचशील मकान नंबर 11 माता ईवा चटर्जी के नाम पर है, जिसमें 16 किरायेदार हैं। सभी 30 किरायेदारों का किराया मंदिरा को मिलता है। इसके अलावा महंगी गाड़ियों में टाटा पंच, टाटा नेक्सॉन, पिक्कअप, जायलो, दो स्कूटी और एक बुलेट की भी जानकारी मिली है। मंदिरा तथा उसकी मां के नाम पर ई-6 अरेरा कॉलोनी हाउसिंग बोर्ड मे 4500 वर्गफीट के प्लॉट पर तीन मंजिला भवन था, जिसे 2016 में एक करोड़ 90 लाख रुपए में बेचा है। अब भी लोकायुक्त की जांच जारी है। पुलिस आरोपी तारकचंद के भाई शिबू दास की संपत्तियों की भी जानकारी जुटा रही है।
रिटायर्ड इंजीनियर पीके जैन पर कार्रवाई अब भी जारी
लोकायुक्त के अधिकारियों का कहना है कि सेवानिवृत सिटी इंजीनियर नगर निगम भोपाल तथा वर्तमान में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट भोपाल में संविदा पर अधीक्षण यंत्री के पद काम कर रहे प्रदीप कुमार जैन के मामले में जांच जारी है। अभी उनके लॉकर खोले जा रहे हैं। शुरूआती जांच में लगभग 300% असमनुपातिक संपत्ति अर्जित करने के सबूत मिले है, जिसके बाद प्रदीप कुमार जैन के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज कर न्यायालय से सर्च वारंट प्राप्त किया गया। उनके मकान पर तलाशी के दौरान 5 करोड़ से ज्यादा की अचल संपति, 85 लाख से ज्यादा जेवरात के बिल, लाखों के निवेश के अभिलेख, विदेश यात्रा के अभिलेख प्राप्त हुए हैं।