Loksabha Election: नामांकन भरने के बाद चुनाव मैदान छोड़ देते हैं 10 फीसदी उम्मीदवार
पढ़े-लिखे समझदार उम्मीदवार भी करते है गलती इसलिए 10 फीसदी के नामांकन हो जाते है रिजेक्ट
भोपाल: मध्यप्रदेश में होंने वाले लोकसभा चुनावों में पिछले तैतीस सालों में हुए आठ लोकसभा चुनावों में लगातार यह ट्रेंड सामने आया है कि लोकसभा चुनावों में चुनाव लड़ने की इच्छा से नामांकन पत्र भरने वाले दस फीसदी से अधिक उम्मीदवार एन वक्त पर नामांकन पत्र वापस लेकर चुनाव मैदान छोड़ देते है वहीं पढ़े-लिखे समझदार उम्मीदवार भी नामांकन पत्र भरने के दौरान गल्तियां करते है जिससे उनके नामांकन पत्र रिजेक्ट हो जाते है।
मध्यप्रदेश में वर्ष 1991 में हुए लोकसभा चुनावों में जहां मैदान में उतरे 1098 उम्मीदवारों में से 385 ने नामांकन पत्र वापस ले लिए थे वहीं वर्ष 1996 में नामांकन पत्र जमा करने वाले 2 हजार 116 में से 744 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र वापस ले लिए थे। इस दौरान तीस से पैतीस प्रतिशत उम्मीदवारों ने मैदान छोड़ दिया था।
वर्ष 1998 से लेकर 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में औसतन दस फीसदी उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र जमा करने के बाद नाम वापस ले लिए और चुनाव मैदान से हट गए। वर्ष 1998 में 569 में से 62, वर्ष 1999 में 445 में से 46, वर्ष 2004 में 361 में से 33, वर्ष 2009 में 558 में से 60, वर्ष 2014 में 448 में से 3 और वर्ष 2019 में 547 में से 51 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र जमा किया और बाद में मैदान छोड़ दिया।
दस फीसदी के फार्म हो जाते है रिजेक्ट-
लोकसभा चुनाव के दौरान नामांकन पत्र भरने में की गई गल्तियों के कारण दस फीसदी से अधिक उम्मीदवारों के नामांकन पत्र जर बार रिजेक्ट हो जाते है वे चुनाव लड़ना चाहते है लेकिन उन्हें मौका नहीं मिल पाता। इस बार लोकसभा चुनाव के दौरान खजुराहो से समाजवादी पार्टी की मीरा यादव दो स्थानों पर हस्ताक्षर नहीं करने और वैकल्पिक रुप से एक से अधिक फार्म जमा नहीं करने के कारण चुनाव नहीं लड़ पा रही है। विदिशा से वर्ष 2009 में भाजपा प्रत्याशी सुषमा स्वराज के सामने खड़े हुए कांग्रेस के प्रत्याशी राजकुमार पटेल भी लोकसभा चुनाव के नामांकन फार्म के साथ अपना बी फार्म ही जमा नहीं कर पाए थे और ऐसे में उनका नामांकन निरस्त हो गया था और सुषमा स्वराज को यहां जीत हासिल हुई थी।
लोकसभा चुनाव में सभी आवश्यक दस्तावेज आखिरी समय तक जमा नहीं कर पाने के कारण चुनाव मैदान से बाहर हो गए थे।वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 547 उम्मीदवारों में से 58 के नामांकन फार्म गल्तियों की वजह से रिजेक्ट हो गए थे। वहीं 2014 में 448 में से 36, वर्ष 2009 में 558 में से 69, वर्ष 2004 में 361 में से 33, वर्ष 1999 में 445 में से 55, वर्ष 1998 में 569 में से 107 उम्मीदवारों के नामांकन पत्र रिजेक्ट हो गए थे।