Loksabha Elections Ticket Distribution: राजस्थान भाजपा में उभरे असंतोष के स्वर- क्या पार्टी के मिशन-25 के मार्ग के बाधक बनेंगे?

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Loksabha Elections Ticket Distribution: राजस्थान भाजपा में उभरे असंतोष के स्वर- क्या पार्टी के मिशन-25 के मार्ग के बाधक बनेंगे?

 

गोपेन्द्र नाथ भट्ट का राजनीतिक विश्लेषण 

आगामी अप्रेल-मई में विभिन्न चरणों में होने वाले लोकसभा आम चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी और एनडीए गठबन्धन तथा कांग्रेस एवं इंडिया गठबंधन की विभिन्न पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारियां जोरदार ढंग से शुरू कर दी है। भाजपा लोकसभा की 543 सीटों में से 195 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर सबसे आगे है,वहीं कांग्रेस सहित अन्य दलों को अपने-अपने उम्मीदवारों की सूची अभी जारी करनी है।

भाजपा अपने उम्मीदवारों की दूसरी सूची भी यथाशीघ्र जारी करने की तैयारी कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के लिए लोकसभा की 370 सीटों और एनडीए के सहयोगी दलों को मिला कर अबकी बार 400 पार का नारा दिया है।इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भाजपा को उत्तर भारत की सभी 192 लोकसभा सीटें जितनी होगी। इसके अलावा दक्षिण भारत और उत्तर पूर्वी भारत की अधिकांश सीटों पर भी धावा बोलना होंगा।

 

इधर कांग्रेस, भाजपा और एन डी ए के सहयोगी दलों को कड़ी टक्कर देने के लिए इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ मिल कर अपनी चुनावी व्यूह रचना बना रही है। कांग्रेस अपने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की दूसरी भारत जोड़ों न्याय यात्रा को देश के विभिन्न प्रदेशों में मिल रही सफलता तथा हाल ही पटना में इंडिया गठबंधन की विशाल रैली को लेकर उत्साहित है तथा राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा के बाद कांग्रेस उम्मीदवारों की एक बड़ी सूची निकालने की तैयारिया कर रही है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजस्थान से राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित होने से भी पार्टी में विशेष कर राजस्थान में पार्टी कार्यकर्ताओं के मध्य उत्साह का माहौल बना है । भाजपा सहित अन्य राजनीतिक पार्टियों की कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में होने वाली बैठक पर निगाहें है। इस बार राजस्थान से सांसद होने के कारण लोकसभा के लिए राजस्थान से प्रत्याक्षी बनाए जाने वाले उम्मीदवारों के चयन में भी सोनिया गांधी की स्वाभाविक दिलचस्पी रहने का अनुमान है।

 

राजनीतिक सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी,पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी के अन्य शीर्ष नेता अपने सभी कद्दावर नेताओं को लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारना चाहते है। इसके लिए राज्यों के सभी क्षत्रपों को बहुत पहले ही मजबूत उम्मीदवारों की सूचियां तैयार कर हाई कमान को प्रेषित करने के निर्देश दिए गए है । भाजपा की पहली सूची आने के बाद राजस्थान सहित अन्य प्रदेशों के कतिपय भाजपा नेताओं का असंतोष भी उभर कर सामने आया है। कांग्रेस ने इस असंतोष को भुनाने का प्रयास शुरू कर दिया है।

जानकार सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि इस बार भाजपा अपने लोकसभा चुनाव के लिए घोषित की जाने वाली सूचियों में मुस्लिम उम्मीदवारों की तरह गांधी परिवार से जुड़े और भाजपा के असंतुष्ट माने जाने किसी नेता को उम्मीदवार नही बनाने जा रही। इसमें मेनका गांधी और वरुण गांधी जैसे कई बार सांसद बने नेताओं के नाम भी शामिल बताए जा रहे है। कांग्रेस की नजरे ऐसे सभी नेताओं पर है और कोई संशय नहीं पार्टी उन्हे कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार बना चौंका सकती है। कांग्रेस अपने असंतुष्ट नेताओं और जी-30 गुट के नेताओं को भी अबकी बार विश्वास में लेकर पुराने गिलवे शिकवे भुला कर उन्हें कांग्रेस की ओर से फिर से चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित कर रही है।

 

विश्वस्त राजनीतिक सूत्रों के अनुसार भोगौलिक लिहाज से देश के सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान के लिए कांग्रेस एक विशेष रणनीति बना रही है और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की पश्चिम राजस्थान में भाजपा से छिटके जाट नेता हनुमान बेनीवाल और दक्षिणी राजस्थान में भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) से अंदरूनी खाने बातचीत चल रही है। कांग्रेस जाटलैंड में ज्योति मिर्धा और वागड़ के आदिवासी क्षेत्र में महेंद्र जीत सिंह मालवीय को पार्टी के साथ की गई धोखेबाजी के लिए सबक सिखाना चाह रही है। दक्षिणी राजस्थान के गुजरात से जुड़े वागड़ क्षेत्र में भाजपा के वर्तमान सांसद कनक मल कटारा और आरएसएस के निष्ठावान कार्यकर्ता भी मालविया को भाजपा में शामिल किए जाने के खिलाफ बताए जा रहे है। उधर बताया जा रहा है कि पश्चिम राजस्थान में आरएलपी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल अपने अस्तित्व की लड़ाई के लिए कांग्रेस से समझौता कर सकते है।

 

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जोधपुर से दो बार के सांसद जसवंत विश्नोई के साथ ही शेखावाटी क्षेत्र में भाजपा की ओर से लंबी राजनीतिक पारी खेलने वाले परिवार से ताल्लुक रखने वाले चुरू के सांसद राहुल कसवां और पिछले कई दशकों से संघनिष्ठ पृष्ठभूमि से जुड़े बांसवाड़ा- डूंगरपुर के सांसद कनक मल कटारा के ताजा बयान राजस्थान में भाजपा के लिए सब कुछ अच्छा है यह हालात नहीं दर्शा रहे। यदि भाजपा पार्टी में इसी तरह असंतोष बढ़ा तो राजस्थान के मिशन-25 को इस बार शत प्रतिशत पाया जाना मुश्किल हो सकता है। भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अभी भी दस लोकसभा सीटों के अपने उम्मीदवार घोषित करने शेष है। शेष नामों की सूचियां आने के बाद भी पार्टी में असंतोष नही थमा तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया अपने सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह को पांचवी बार झालावाड़ से लोकसभा टिकट मिलने के बाद शांत है लेकिन उनके अधिकांश वक्त झालावाड़ संसदीय क्षेत्र के रहने की ही संभावनाएं हैं । इधर प्रदेश की नई नवेली भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा पर भी क्षेत्रीय एवं जातीय संतुलन बिठाने के साथ ही मंत्रियों के विभागों के वितरण में देखी जा रही विसंगतियों को संतुलित करने के लिए मंत्रिपरिषद के विस्तार का दवाब भी बढ़ता जा रहा है। सोमवार को सी एम शर्मा की राज्यपाल कलराज मिश्र से जयपुर राजभवन में हुई भेंट को इससे जोड़ कर देखा जा रहा ही। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी पी जोशी और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह पर इस बार भी राजस्थान की 25 में से 25 सीटों को भाजपा की झोली में डालने का अतिरिक्त दवाब भी हैं।

 

देखना है राजस्थान में भाजपा के लोकसभा उम्मीदवारों की 15 प्रत्याशियों की पहली सूची आने के बाद, कतिपय नेताओं के उभरे असंतोष के स्वर भाजपा के राजस्थान में तीसरी बार मिशन-25 के लक्ष्य में बाधक बनेंगे अथवा भाजपा पिछली दो बार की तरह इस बार भी राजस्थान का अपना मजबूत किला एक बार फिर से फतह कर लेगी?