Long Live-in Means Marriage : लंबे ‘लिवइन’ को शादीशुदा जिंदगी माना जाएगा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला!

ऐसे कपल से जन्मी संतान संपत्ति में भी हकदार होगी

1105
Long Live-in

Long Live-in Means Marriage : लंबे ‘लिवइन’ को शादीशुदा जिंदगी माना जाएगा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला!

New Delhi : अगर लंबे समय तक कोई पुरुष और स्त्री साथ-साथ (Live-in) रह रहे हों, तो इसे शादी की अवधारणा मानी जाएगी। दोनों का पति-पत्नी की तरह यह माना जाएगा कि दोनों शादीशुदा हैं। ऐसे मामले में शादीशुदा जिंदगी को नकारने वाले पर दायित्व होगा कि वह साबित करे कि शादी नहीं हुई।

सुप्रीम कोर्ट (SC) ने इस मामले में फैसला देते हुए यह भी कहा कि कपल अगर लंबे समय तक साथ रहते हैं, तो उनकी संतान होती है तो वह भी उनकी फैमिली की संपत्ति में हिस्से का हकदार है।


Also Read: MP News: हैवान ‘आया’, 2 साल के मासूम के साथ पार की क्रूरता की हदें


सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस अब्दुल नजीर की अगुवाई वाली बेंच के सामने यह मामला आया था कि क्या सहजीवन (Live-in) में रहने वाले कपल के मामले में पर्याप्त सबूत हैं कि साबित हो सके कि वह पति-पत्नी हैं?

सुप्रीम कोर्ट के सामने यह भी सवाल था कि क्या लंबे समय से साथ रहने वाले कपल के इलिजिटिमेट यानी गैर कानूनी औलाद संपत्ति में हकदार होगा?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वैसे कपल की संतान जो बिना शादी के लंबे समय से सहजीवन में रह रहे हैं वैसे बच्चे (Illegal) को भी फैमिली की संपत्ति में हक होगा।

WhatsApp Image 2022 06 15 at 10.36.13 AM

सुप्रीम कोर्ट ने रिकॉर्ड देखा

दस्तावेजों को परीक्षण के बाद SC ने बताया कि दस्तावेज से साबित होता है कि महिला और पुरुष दोनों सहजीवन यानी साथ-साथ लंबे समय से पति-पत्नी की तरह रह रहे हैं।


Also Read: BJP Focuses On Election Management: जिलों में बनेगी निकाय चुनाव प्रबंध समिति, शहरों में होंगे सम्मेलन 


सुप्रीम कोर्ट ने पहले के जजमेंट का हवाला देकर कहा कि यह सेटल व्यवस्था है कि अगर आदमी और औरत लंबे समय से सालों साल पति-पत्नी की तरह (Live-in) रह रहे हों और सहजीवन में हो तो यह धारणा होगी कि वह शादीशुदा हैं।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा-114 में शादी को नकारने वाले की जिम्मेदारी होगी कि वह साबित करे कि शादी नहीं हुई थी। पहले भी सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने इस मामले में व्यवस्था दी हुई है।

WhatsApp Image 2022 06 15 at 10.36.14 AM 1

पहले कोर्ट ने क्या कहा

इस मामले में 15 जून 2019 को दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर कपल पति-पत्नी की तरह सालों से साथ (Live-in) रह रहे हैं, तो ये धारणा माना जाएगा कि दोनों शादीशुदा हैं और महिला पत्नी की तरह गुजारा भत्ता मांग सकती है।

हाईकोर्ट ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दे रखी है कि अगर दोनों पार्टी पति-पत्नी की तरह सालों से साथ (Live-in) रह रहे हैं तो महिला द्वारा CRPC की धारा-125 में गुजारा भत्ता के दावे में ये माना जाएगा कि दोनों शादीशुदा कपल हैं।


Also Read: IAS नरवाल ने गवाया कोचीन पोर्ट ट्रस्ट के डिप्टी चेयरमेंन बनने का मौका


मद्रास हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता से संबंधित एक मामले में सुनवाई के दौरान अहम फैसला दिया था। उस जजमेंट में अदालत ने वैसी महिला को प्रोटेक्ट किया था जो शादी का सबूत नहीं दे पाई थी।

अदालत ने कहा था कि दोनों पति-पत्नी की तरह (Live-in) रह रहे थे और दो बच्चे थे। दोनों एक ही छत के नीचे रहे और शादीशुदा जिंदगी गुजारी दो बच्चे हुए ऐसे में कपल शादीशुदा कपल माने जाएंगे।