चिरंजीवी हो मध्यप्रदेश-राजस्थान भाईचारे का मोहन-भजन फार्मूला…
मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्य पारस्परिक संबंधों के एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं। चंबल-कालीसिंध-पार्वती अंतर्राज्यीय नदी लिंक परियोजना इसके लिए शुभंकर बन रही है। तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा नए जोश, नई उमंग और नई ऊर्जा के साथ दोनों राज्यों के बीच भाईचारे के नए युग के सूत्रधार बन रहे हैं। लग कुछ ऐसा रहा है कि अब मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्य एक-दूसरे के पूरक बनकर नया इतिहास रचेंगे। ऐसा कोई क्षेत्र बाकी नहीं रहेगा, जहां दोनों अपने से ज्यादा दूसरे के हितों का ख्याल रखने के लिए ही सांसें लेंगे। मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच करीब 20 साल से अटके रिवर लिंक प्रोजेक्ट को अब रफ्तार मिल गई है। बीस साल से अटकने का दोष भजन कांग्रेस को दे रहे हैं तो मोहन का मानना है कि छोड़ो कल की बातें यानि कि बीती ताहि बिसार दे आगे की सुध लेय। क्योंकि बीस साल में दस साल ऐसे थे, जब दोनों ही राज्यों में भाजपा सरकार भी थी और मुख्यमंत्री शिवराज और वसुंधरा राजे रहे हैं। पर बात यही है कि आगे की राह फिलहाल तो बड़ी सुंदर और लुभावनी नजर आ रही है। और इसका श्रेय मोदी की नई सोच के प्रतीक मोहन-भजन को ही जा रहा है। इस प्रोजेक्ट को लेकर दोनों राज्यों की सरकारों ने संयुक्त प्रयास शुरू कर दिए हैं।30 जून 2024 को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में एमपी के सीएम डॉ. मोहन यादव और राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा ‘पार्वती-कालीसिंध-चंबल अंतर्राज्यीय नदी लिंक परियोजना के कार्यान्वयन के लिए संयुक्त पहल’ में शामिल हुए। और इस लिंक राष्ट्रीय परियोजना के कार्यान्वयन को लेकर आधारशिला रखी।
महत्वपूर्ण बात यह है कि इस अवसर पर दोनों राज्यों के मुख्य मंत्री के बीच जो प्रेम और भाईचारा बहा, वह भी किसी लिंक परियोजना से कम नहीं था। सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा- छोटे-छोटे इश्यू को लेकर दोनों राज्य लगभग 20 साल से बिना बात के उलझे रहे। हम मानते हैं कि राज्यों के अपने कुछ हित होते हैं, लेकिन हमको एक और निगाह रखनी पड़ेगी, वह है देश हित। देश हित से बड़ा कोई हित नहीं हो सकता है। तो राजस्थान के सीएम भजन लाल शर्मा ने कहा कि एमपी-राजस्थान दोनों ऐसे प्रदेश हैं जिनके पास जमीन है, लेकिन सिंचाई के साधन कम है। ये योजना ऐसी हैं कि दोनों राज्य मिलकर इसे आगे बढ़ाएंगे। यह योजना इतनी बड़ी है कि राजस्थान के लगभग 13 जिले इसमें आ रहे हैं और करीब मध्यप्रदेश के भी इतने ही जिले इसमें आते हैं। जहां सिंचाई की सुविधा मिलेगी।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव बोले- एमपी-राजस्थान भाई-भाई जैसे हैं। पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री जी की यह सोच रही है कि राज्य अपने मसलों को सुलझाएं। बड़ा मसला जल के बंटवारे का है। मैं हमारी सरकार बनने के बाद 28 जनवरी को भजन लाल जी से मिला। हमने एक विषय निकला कि तीनों नदियां चंबल, काली सिंध और पार्वती के पानी का दोनों राज्य बेहतर उपयोग कर सके। हम यह बात मानकर चले कि छोटे-मोटे इश्यू हैं तो उनका समाधान कर लेंगे। मध्यप्रदेश-राजस्थान तो भाई-भाई जैसे हैं। दोनों का कलर मिलता-जुलता है।
दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि भगवान श्रीकृष्ण शिक्षा लेने जिस रास्ते से एमपी आए थे। उस रास्ते को दोनों राज्य मिलकर श्रीकृष्ण पाथ-वे के तौर पर विकसित करेंगे। राजस्थान के सीएम ने कहा- भगवान श्रीकृष्ण राजस्थान से होते हुए मध्यप्रदेश के उज्जैन में गुरु आश्रम में पढ़ने आए थे। जैसे भगवान राम श्रीलंका गए थे तो उनका पाथ-वे बना। इसी तरह भगवान श्रीकृष्ण के भी राजस्थान होते हुए उज्जैन जाने का पाथ-वे बनाना चाहिए। पर्यटन के क्षेत्र में राजस्थान में अपार संभावनाएं हैं। तो सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा- रणथंभौर का टाइगर अगर घूमते हुए हमारे यहां आ जाता है तो हम ढूंढते हैं कि ये कहां से आ गया। ऐसे ही चीते की बात करें तो हमारा चीता आपके यहां पहुंच जाता है। हमारे चीते की चिंता आप करो, आपके टाइगर की सुरक्षा हम करेंगे।राजस्थान के सीएम ने कहा- हमारे पड़ोस में चीता है। हमारे रणथंभोर के टाइगर आपके यहां आ जाते हैं। इस तरह की योजना बने कि जहां टाइगर है वहां टाइगर रहे, और जहां चीता है वहां चीता रहे।
तो वर्ष 2004 से पार्वती काली सिंध चंबल परियोजना लंबित पड़ी थी। आज दो व्यक्तित्व के प्रयासों और सोच, समन्वय से यह सौगात एमपी, राजस्थान को मिल रही है। इस परियोजना में कुल 72 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें एमपी सरकार 35 हजार करोड़ और राजस्थान सरकार 37 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। इस परियोजना से 6.17 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी। मप्र की 3.37 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी और करीब 3 लाख किसानों को फायदा होगा। राजस्थान की 2.80 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी और 2 लाख से ज्यादा किसानों को फायदा होगा। इस परियोजना में कुल 17 बांध और बैराज बनाए जाएंगे। जिनकी जलभराव क्षमता 1477.62 मिलियन घन मीटर होगी। 9 जिलों में पेयजल और 4 जिलों के उद्योगों को पानी मिल सकेगा। श्रीमंत माधव राव सिंधिया सिंचाई कॉम्प्लेक्स पर चार बांध कटीला, सोनपुर, पावा, धनवाड़ी में बनाए जाएंगे। वहीं, श्यामपुर और नैनागढ़ में दो बैराज बनाए जाएंगे। इससे गुना, श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, भिंड में 1.48 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी। इन बांधों बैराजों में 564 मिली घनमीटर पानी स्टोरेज क्षमता होगी।
बात यही है कि दोनों सीएम की सोच है कि अब राजस्थान और मध्यप्रदेश इस तरह काम करेंगे कि लोगों को यही लगे कि ‘दो जिस्म मगर एक जान हैं हम’। टाइगर हो या चीता, पर्यटक हों या संसाधन सब कुछ साझा भाव संग एक-दूसरे के हित पूरे करते नजर आएं। उम्मीद यही है कि मध्यप्रदेश-राजस्थान के भाईचारे का यह मोहन-भजन फार्मूला चिरंजीवी हो
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