कारम बांध के हश्र में भविष्य की तलाश…!

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कारम डैम की डेथ पर अब तक विपक्ष आक्रोश दिखा रहा था। जांच समिति बन गई और चीफ इंजीनियर से सब इंजीनियर तक कई विकेट चटक गए, हालांकि इन सबके फिर क्रीज पर लौटकर बैटिंग करने का विकल्प खुला हुआ है। ऐसे में जब मुद्दा मौन साध रहा था, तब अपनों ने मुखर होकर इसकी सुध ली है। और निशाना साधा है उन्हीं दो मंत्रियों पर, जिन्होंने कारम के चलते मातम न मनाना पड़े… इसके लिए दिन-रात एक कर डैम से पानी निकलने की व्यवस्था कर कहर से बचाने पर मुख्यमंत्री शिवराज की तारीफ बटोरी थी। यह दो मंत्री हैं जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट और मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव। और निशाना साधा है भाजपा के पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत ने। शेखावत को शायद लग रहा है कि कारम बांध के हश्र में स्वर्णिम भविष्य की तलाश पूरी हो जाए तो इससे भला क्या? क्योंकि पिच वही है जो शेखावत से छिनकर बाकी के कब्जे में है। ऐसे में मंत्री पद छिने तो शायद फिर कुछ बात बने।
तो शेखावत की मांग है कि प्रदेश के दोनों मंत्रियों को पद से हटाकर कारम परियोजना के निर्माण कार्यों की जांच कराई जाए। तो संवेदनशीलता दिखाई है कि किसान मुआवजे के लिए भटक रहे हैं। और जो नहीं कहा वह यह कि मंत्री मौज कर रहे हैं। आरोप है कि धार जिले में 304 करोड़ की परियोजना कारम बांध भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और 3 दिनों के प्रयास के बाद भी बांध को नहीं बचा पाए। 14 अगस्त की शाम को बांध से अचानक तेजी से पानी निकलने लगा। इसमें कारम नदी में रौद्र रूप में पानी आया और गरीब 12 गांव के खेत व मकानों में भारी नुकसान पहुंचा। इन सभी प्रभावितों को आज तक मुआवजा नहीं मिला है। क्षेत्रीय किसान आज मुआवजे को लेकर कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं और प्रदेश के दो मंत्री मुख्यमंत्री के समक्ष पहुंचकर जेसीबी चालकों को सम्मानित कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। यह क्षेत्र के किसानों व जनता के साथ सरासर धोखा है। यह बात धार जिले के पूर्व विधायक वरिष्ठ भाजपा नेता भंवर सिंह शेखावत के दिल में बर्फ की तरह जमी थी, जो पंद्रह दिन बाद पिघल ही गई। बात संभालने का तरीका भी ढूढा गया कि कारम परियोजना का निर्माण प्रदेश के कांग्रेस शासन के समय प्रारंभ हुआ था और उस दौरान प्रदेश में इस विभाग के मंत्री तुलसीराम सिलावट थे और राजवर्धन सिंह दत्तीगांव विधायक थे। आज भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े कारम डेम की बागडोर भी इन्हीं दोनों मंत्रियों के जिम्मे सौंप दी गई। भाजपा ने भले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके साथ आए सिलावट-दत्तीगांव सहित सभी को दिल में समा लिया हो, लेकिन शेखावत के दिल में यह अब तक भभक रहे हैं, क्योंकि कैरियर अगर तबाह हो रहा है तो वह शेखावत और उन सरीखे भाजपा के उन सभी नेताओं का…जिन्हें अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा है।
शेखावत की मांग है कि प्रदेश सरकार को सबसे पहले इन दोनों मंत्रियों को पद से हटाकर निष्पक्ष तरीके से इसकी जांच कराना चाहिए। फिर चिंता कि  जो 12 गांव प्रभावित हुए हैं, जिनकी भूमि, फसल व मिट्टी, बोरवेल सहित मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, उनका सर्वे अभी तक पूर्ण नहीं हुआ है। बांध से निकले पानी के कारण 36 हेक्टेयर में फसलें प्रभावित हुई हैं तथा कई खेतों से मिट्टी बह गई है। कई लोग बेघर हो गए हैं। ऐसे लोगों को भूखंड पुनर्वास किया जाए। शासन द्वारा डूब प्रभावित किसानों की भूमि अधिग्रहण करते समय किसानों को अवगत कराया गया था कि किसानों को जमीन के बदले जमीन दी जाएगी। डूब प्रभावित किसानों को अचल संपत्ति कुआं,पाइप सहित अन्य राशि दी जाए।
तो चुनावी साल आने के चार माह पहले ही एक पीड़ित भाजपा नेता ने मोर्चा संभाल लिया है। अब सरकार और संगठन की बारी है कि डैम की आड़ में भड़ास निकालने वाले नेताओं के साथ क्या सलूक करना है। मार दिया जाए या छोड़ दिया जाए…। कारम बांध के हश्र में भविष्य की तलाश करनी भी है तो कैसे हो…शायद आने वाले दिन बताएं…।