Lottery System in Transfer : इंदौर में पटवारियों के ट्रांसफर में लॉटरी सिस्टम का प्रयोग फिर दोहराने की कोशिश!

जानिए, क्या प्रयोग था और किस कलेक्टर ने सबसे पहले इसे किया था!

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Lottery System in Transfer : इंदौर में पटवारियों के ट्रांसफर में लॉटरी सिस्टम का प्रयोग फिर दोहराने की कोशिश!

Indore : पटवारियों के ट्रांसफर को लेकर एक बार फिर पुराना प्रयोग दोहराने की तैयारी हो रही है। कलेक्टर आशीष सिंह इस पर विचार कर रहे हैं और समझा जा रहा है कि ये प्रयोग सफल भी होगा। इसे लेकर पूर्व कलेक्टर आकाश त्रिपाठी एक बार फिर से चर्चा में हैं। क्योंकि, उन्होंने 2013 में पटवारियों के ट्रांसफर के लिए जो लॉटरी सिस्टम लागू किया था, उसकी पुनरावृत्ति की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

इस प्रणाली का मुख्य उद्देश्य यह था कि जो पटवारी वर्षों से एक ही हलके में कार्यरत हैं, उन्हें अन्य स्थानों पर ट्रांसफर किया जा सके। यह प्रयोग न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित करती थी, बल्कि प्रशासनिक दुरुपयोग और अनुशासनहीनता को भी कम करती थी। उदाहरण के लिए, सांवेर क्षेत्र के पटवारी को महू, देपालपुर के पटवारी को सांवेर और महू के पटवारी को देपालपुर स्थानांतरित किया गया था। यह व्यवस्था कर्मचारियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और प्रशासनिक कार्यों में सुधार लाने में कारगर सिद्ध हुई।

जिले में इन दिनों लोकायुक्त ट्रैप की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। जिसके चलते इस प्रणाली को फिर से लागू करने की बातें चल रही हैं। लॉटरी सिस्टम से न केवल ट्रांसफर प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी, बल्कि इससे भ्रष्टाचार की घटनाओं में भी कमी आने की संभावना है।

नियमों के अनुसार, किसी कर्मचारी को तीन साल से अधिक अवधि तक एक स्थान पर नहीं रखा जा सकता। इसके बावजूद, कई अधिकारियों और पटवारी बाबुओं का कार्यकाल पांच वर्ष से भी अधिक समय तक एक ही तहसील में बना हुआ है। ऐसे मामलों की जांच की आवश्यकता है, ताकि नियमों का पालन हो सके।

पूर्व कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थ पटवारियों को इंदौर में ट्रांसफर करने की दिशा में कदम उठाए थे। स्थानीय अधिकारियों को ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक जिम्मेदारी देने के लिए यह कदम उठाया गया था। ऐसा लगता है कि यदि लाटरी सिस्टम को फिर से लागू किया जाता है, तो न केवल ट्रांसफर प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि इससे इन्दौर में प्रशासनिक कार्यों की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।