Madhav National Park: भारत का 58 वां टाइगर रिजर्व – एक विस्तृत अध्ययन

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Madhav National Park
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Madhav National Park: भारत का 58 वां टाइगर रिजर्व – एक विस्तृत अध्ययन

            वन्यजीव संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम

डॉ तेज प्रकाश व्यास

प्रभाग 1

माधव राष्ट्रीय उद्यान को हाल ही में भारत का 58वां और मध्य प्रदेश का 9वां टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है। यह कदम वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह उद्यान शिवपुरी जिले में स्थित है और प्राकृतिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है।

माधव राष्ट्रीय उद्यान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

माधव राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास ग्वालियर रियासत के शिकारगाह के रूप में रहा है। इसे वर्ष 1958 में राष्ट्रीय उद्यान के रूप में मान्यता दी गई थी। पहले इसे शिवपुरी राष्ट्रीय उद्यान के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में इसका नाम माधव राव सिंधिया के सम्मान में माधव राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया।

इस उद्यान की ऐतिहासिक विशेषता यह है कि ब्रिटिश काल के दौरान एवं सिंधिया राजवंश के समय यहां कई शिकार अभियानों का आयोजन किया गया था। यहां मौजूद जॉर्ज कैसल भी इस उद्यान के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है, जिसे ग्वालियर के महाराजा ने ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम के स्वागत के लिए बनवाया था।

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भौगोलिक स्थिति एवं पारिस्थितिकी

माधव राष्ट्रीय उद्यान 354 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और यह चंबल क्षेत्र का हिस्सा है। यह उद्यान विंध्याचल पहाड़ियों के मध्य स्थित है और इसमें घास के मैदान, पर्णपाती वन, झीलें और दलदल शामिल हैं। यह क्षेत्र वन्यजीवों के लिए अनुकूल प्राकृतिक आवास प्रदान करता है।

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मुख्य जल स्रोत

उद्यान के भीतर स्थित साख्य सागर और माधव सागर झीलें वन्यजीवों के लिए महत्वपूर्ण जल स्रोत हैं। ये झीलें पक्षियों और अन्य जलीय जीवों की कई प्रजातियों को आश्रय प्रदान करती हैं।

वन्यजीव और जैव विविधता

माधव राष्ट्रीय उद्यान में विभिन्न प्रकार के स्तनधारी, पक्षी, सरीसृप और अन्य जीव रहते हैं। इसमें मुख्यतः निम्नलिखित वन्यजीव पाए जाते हैं:

1. स्तनधारी
बाघ (Tiger) – हाल ही में पुनर्वासित
तेंदुआ (Leopard)
चीतल (Spotted Deer)
सांभर (Sambar Deer)
नीलगाय (Blue Bull)
जंगली सूअर (Wild Boar)
लकड़बग्घा (Hyena)
भेड़िया (Indian Wolf)
एवं अन्य कई स्तनपाई

2. पक्षी

माधव राष्ट्रीय उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग माना जाता है। यहां पाई जाने वाली मुख्य पक्षी प्रजातियां हैं:

भारतीय मोर (Indian Peafowl)
किंगफिशर (Kingfisher)
सारस क्रेन (Sarus Crane)
बाज (Eagle)
उल्लू (Owl)
जलकाग (Cormorant)
एवं अनेक पक्षी

3. सरीसृप

मगरमच्छ (Mugger Crocodile)
कोबरा (Cobra)
अजगर (Python)
मॉनिटर लिज़ार्ड (Monitor Lizard)
एवं अन्य कई sarisrup

माधव टाइगर रिजर्व की स्थापना

बाघ पुनर्वास परियोजना

वर्ष 2023 में, तीन बाघों (दो मादा और एक नर) को माधव राष्ट्रीय उद्यान में लाया गया। यह मध्य प्रदेश सरकार और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के संयुक्त प्रयासों का परिणाम था।

इस रिजर्व में अब कुल 5 बाघ हैं, जिनमें दो शावक हाल ही में जन्मे हैं।

बाघों के पुनर्वास से इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी में सुधार होगा और यह पर्यटकों के आकर्षण का एक प्रमुख केंद्र बनेगा।

10 मार्च 2025 को माधव नेशनल पार्क को मध्य प्रदेश का 9 वा टाइगर रिजर्व घोषित किया गया:

शिवपुरी जिले में स्थित माधव नेशनल पार्क को मध्य प्रदेश का 9वा नया टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है ( टाइगर रिजर्व याने वन्य जीवन के प्रत्येक घटक का संरक्षण)। पन्ना से लाई गई एक बाघिन को 10 मार्च 2025 को मुख्यमंत्री मोहन यादव और केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्क में छोड़ दिया। इस बाघिन के छोड़े जाने के बाद अब पार्क में बाघों की संख्या 6 हो गई है। आने वाले समय में एक और बाघ को पार्क में छोड़ा जाएगा, तब संख्या 7 हो जाएगी।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री मोहन यादव, केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, जिले के प्रभारी मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर, प्रदेश के वन राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी व जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। दो वर्ष पहले, शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में तीन टाइगर लाए गए थे, जिनमें दो मादा और एक नर टाइगर शामिल थे। एक मादा टाइगर ने यहां दो शावकों को जन्म दिया, जिससे बाघों की संख्या अब कुल 6 हो गई है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पार्क की सुरक्षा के लिए बनाई गई 13 किलोमीटर लंबी दीवार का उद्घाटन भी किया (दीवार का निर्माण दूरदर्शिता है, कि टाइगर्स टाइगर रिजर्व की सीमा में ही रहें।)। इस अवसर पर पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक प्रसन्नता का विषय है कि मध्य प्रदेश के शिवपुरी में माधव नेशनल पार्क को नया टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है। उन्होंने बताया कि चंबल क्षेत्र में अब टाइगर का कुनबा बढ़ेगा, जिससे देशी और विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी, और क्षेत्र के विकास की नई संभावनाएं खुलेंगी।

केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस मौके पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव के विशेष प्रयासों से माधव नेशनल पार्क को 9वां टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि इससे इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में चीते लाए गए थे और अब माधव नेशनल पार्क में टाइगर लाए गए हैं। टाइगर और चीते दोनों को देखने का अवसर पर्यटकों को मिलेगा।

माधव टाइगर रिजर्व के महत्व

1. बाघ संरक्षण को बढ़ावा

बाघ पारिस्थितिकी पिरामिड के शीर्ष पर स्थित एक प्रमुख प्रजाति (Apex Predator) है। इसके संरक्षण से पूरे जंगल की जैव विविधता को संरक्षित किया जा सकता है।

2. पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान

माधव टाइगर रिजर्व बनने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। जंगल सफारी, गाइड सेवाएं, होमस्टे और अन्य पर्यटन-संबंधित व्यवसायों से ग्रामीणों को आर्थिक लाभ होगा।

3. वन्यजीव अनुसंधान और शिक्षा का केंद्र

यह क्षेत्र पर्यावरणीय अनुसंधान, वन्यजीव प्रबंधन और संरक्षण गतिविधियों के लिए एक आदर्श स्थल बनेगा।

सरकार की संरक्षण रणनीतियां

1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह भारत की जैव विविधता और वन्यजीव संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

2. मुख्यमंत्री मोहन यादव का योगदान

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस पहल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और वन्यजीव संरक्षण में राज्य को अग्रणी बनाने का संकल्प लिया।

3. सरकारी योजनाएं और प्रयास

स्थानीय समुदायों को संरक्षण गतिविधियों में शामिल किया जाएगा।

गश्त और निगरानी बढ़ाई जाएगी ताकि अवैध शिकार पर नियंत्रण किया जा सके।

वन्यजीव-मानव संघर्ष को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।

बाघों के लिए अनुकूल प्राकृतिक आवास विकसित करने पर जोर दिया जाएगा।

भविष्य की योजनाएं

1 मुख्य मंत्री मोहन यादव शीघ्र 1 बाघ को उद्यान में छोड़ने की योजना बना रहे हैं ।

2. वन्यजीव पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नई सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

3. पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण हेतु स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा।

4. रिजर्व क्षेत्र में जैव विविधता अनुसंधान एवं संरक्षण गतिविधियों का विस्तार किया जाएगा।

माधव राष्ट्रीय उद्यान का भारत के 58वें टाइगर रिजर्व के रूप में दर्जा मिलना वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इससे न केवल बाघों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि वन्यजीव पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।

हम सभी को इस महत्वपूर्ण पहल का समर्थन करना चाहिए ताकि हमारी प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित रखा जा सके और भविष्य की पीढ़ियों के लिए वन्यजीवों को सुरक्षित किया जा सके।

प्रभाग 2

प्रोजेक्ट टाइगर निर्माण का महत्व और लाभ

भारत में जैव विविधता को संरक्षित करने और बाघों की घटती संख्या को रोकने के लिए “प्रोजेक्ट टाइगर” (Project Tiger) की शुरुआत 1 अप्रैल 1973 को की गई थी। यह एक प्रमुख संरक्षण योजना है, जिसे भारत सरकार ने बाघों की लुप्तप्राय स्थिति को देखते हुए लागू किया। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाघों और उनके प्राकृतिक आवासों का संरक्षण करना है।

प्रोजेक्ट टाइगर का नेतृत्व:

भारत सरकार द्वारा प्रायोजित

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के तहत कार्यान्वित

इस परियोजना को नेचुरलिस्ट बिट्टू सहगल, अन्य संरक्षणवादियों और वैज्ञानिकों का समर्थन मिला

प्रोजेक्ट टाइगर के निर्माण का महत्व

1. बाघों की घटती संख्या को रोकना
20वीं सदी में बाघों की संख्या में तेजी से गिरावट आई। 1972 में भारत में केवल 1,827 बाघ बचे थे, जिसके कारण यह योजना शुरू की गई।
2. जैव विविधता का संरक्षण
बाघ एक शीर्ष शिकारी (Apex Predator) है और इसका संरक्षण पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखता है। बाघ का अस्तित्व अन्य वन्यजीवों और जंगलों की सेहत से जुड़ा हुआ है।
3. वनों का पुनरुद्धार
बाघों के संरक्षण से जंगल भी सुरक्षित रहते हैं, जिससे कार्बन अवशोषण बढ़ता है और जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद मिलती है।
4. पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना
बाघों की उपस्थिति से वन्यजीव श्रृंखला (food chain) संतुलित रहती है और शिकारियों की संख्या नियंत्रित होती है।
5. पारिस्थितिकी पर्यटन (Eco-tourism) को बढ़ावा
बाघों के संरक्षण से रणथंभौर, कान्हा, सुंदरबन, कॉर्बेट जैसे टाइगर रिजर्व पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, जिससे स्थानीय लोगों को आजीविका मिलती है।

प्रोजेक्ट टाइगर के लाभ

1. बाघों की संख्या में वृद्धि
1973 में 9 टाइगर रिजर्व से शुरू हुई यह परियोजना अब 58 टाइगर रिजर्व तक फैल चुकी है।

2018 की गणना: 2,967 बाघ

2022 की गणना: 3,167 बाघ

2. वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा

बाघों के संरक्षण से हाथी, गैंडा, हिरण, तेंदुआ, और पक्षियों सहित अन्य जीवों की रक्षा होती है।

3. स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा

पर्यटन से रोजगार के नए अवसर

स्थानीय हस्तशिल्प और पारंपरिक उत्पादों की मांग बढ़ी

4. जल स्रोतों का संरक्षण

जंगल सुरक्षित रहने से जलाशयों और नदियों की गुणवत्ता बनी रहती है, जिससे पूरे देश में जल आपूर्ति को लाभ होता है।

5. वैज्ञानिक शोध और जागरूकता

आधुनिक तकनीकों (कैमरा ट्रैप, GPS ट्रैकिंग) के उपयोग से शोध को बढ़ावा मिला।

लोगों में वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी।

निष्कर्ष

प्रोजेक्ट टाइगर न केवल भारत के राष्ट्रीय पशु बाघ को बचाने का एक सफल प्रयास है, बल्कि यह पारिस्थितिकी संतुलन, वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिरता को भी सुनिश्चित करता है। इस योजना की सफलता इस बात का प्रमाण है कि सही नीतियों और जनभागीदारी से संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाया जा सकता है।

डॉ. तेज प्रकाश पूर्णानंद व्यास

– पूर्व प्राचार्य, शासकीय राजा भोज स्नातकोत्तर महाविद्यालय, धार, निवास बी 12, विस्तारा टाउनशिप, ईवा वर्ल्ड स्कूल के पास, इन्दौर,

बिट्टू सहगल (पर्यावरणविद्, संरक्षण विशेषज्ञ)

भारत सरकार (National Tiger Conservation Authority – NTCA)

IUCN Red List (बाघों की स्थिति)

विभिन्न टाइगर रिजर्व (कॉर्बेट, बांधवगढ़, काजीरंगा, आदि)

 

 

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