भोपाल: मध्यप्रदेश इस समय 2 लाख 95 हजार 532 करोड़ 91 लाख रुपए का कर्ज में डूबा है। वर्ष 21-22 की समाप्ति पर ब्याज चुकाने के लिए राज्य सरकार को खजाने से 20 हजार 40 करोड़ 73 लाख रुपए का भुगतान करना पड़ेगा। वहीं वर्ष 22-23 में ब्याज के भुगतान करने सरकार को 22 हजार 166 करोड़ 43 लाख रुपए का इंजताम करना पड़ेगा । एक ओर सरकार कर्ज में डूबी है वहीं केन्द्र सरकार से क्षतिपूर्ति के 4 हजार 152 करोड़ 33 लाख रुपए नहीं मिल पाए है और राज्य सरकार ने पिछले एक साल से केन्द्र सरकार को इसके लिए कोई पत्र भी नहीं लिखा है।
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कांग्रेस विधायक बाला बच्चन और कुणाल चौधरी के सवालों के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। वित्त मंत्री ने जवाब में बताया कि कि वित्तीय वर्ष 21-22 की समाप्ति पर प्रदेश पर 2 लाख 95 हजार करोड़ रुपए का कर्ज रहने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि वर्ष 21-22 तक के कर्ज को चुकाने के लिए मूलधन के रुप में 14 हजार 828 करोड़ 95 लाख रुपए की जरुरत होगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022-23 अभी समाप्त नहीं हुआ है इसलिए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के द्वारा अंतिम लेखे तैयार नहीं हो पाए है इसलिए इस अवधि में अन्य संस्थाओं से लिए गए कर्ज की जानकारी दी जाना संभव नहीं है।
वित्त मंत्री ने बताया कि वित्तीय वर्ष 22-23 के बजट साहित्य में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार 22-23 तक लिए गए कर्ज के भुगतान हेतु 24 हजार 114 करोड़ 9 लाख रुपए और ब्याज हेतु 22 हजार 166 करोड़ 43 लाख रुपए की आवश्यकता पड़ेगी। वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि वर्ष 2014-15 में राज्य सरकार को मूलधन चुकाने पर 4 हजार 920 करोड़ रुपए और ब्याज हेतु 7 हजार 71 करोड़ 25 लाख रुपए का भुगतान करना पड़ा था। उसके मुकाबले वर्ष्ज्ञ 22-23 में मूलधन पर 24 हजार 114 करोड़ और ब्याज पर 22 हजार 166 करोड़ रुपए चुकाना पड़ेगा। वर्ष 19-20 में मूलधन पर 10 हजार 933 करोड़ और ब्याज पर 14 हजार 216 करोड़ 52 लाख रुपए चुकाना पड़ा था।
केन्द्र से जीएसटी के 4 हजार 152 करोड़ लेना बाकी- विधायक बाला बच्चन के सवाल के जवाब में वित्त मंत्री देवड़ा ने बताया कि केन्द्र सरकार से 25 जून 2022 की स्थिति में जीएसटी प्रतिपूर्ति के 4 हजार 152 करोड़ रुपए की राशि मध्यप्रदेश को प्राप्त होना शेष है। पिछले एक साल से राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को जीएसटी क्षतिपूर्ति हेतु कोई पत्र नहीं लिखा है