Maharaj Movie on Netflix: जे जे जैसे धर्मगुरुओं के चेहरे से महाराज वाला मुखौटा उतारती फिल्म

558
maharaj Mmovie on Netflix

maharaj Mmovie on Netflix: जेजे जैसे धर्मगुरुओं के चेहरे से महाराज वाला मुखौटा उतारती फिल्म

डॉ .स्वाति तिवारी

ओटीटी पर रिलीज हुई फिल्म ‘महाराज’ देखी .फिल्म की काफी चर्चा है क्योंकि यह फिल्म कुछ अलग है और इस फिल्म में लोगों की अंधभक्ति को दिखाने की कोशिश की गई है। कैसे लोग इंसानों को भगवान की जगह दे देते हैं और फिर सही-गलत का फर्क भी भूल जाते हैं। परिवार के लोग इस हद तक अंध भक्त होते हैं कि अपने घर की महिलाओं को स्वयं भेज कर  उस शोषण को स्वीकार लेते है ।

विगत कुछ वर्षों में हमारे सामने कई धर्मगुरुओं के काले कारनामे उजागर हुए हैं और यह फिल्म यह कहती है कि सदियों से चली आ रही इस तरह के धर्म गुरुओं की कहानी .यह अंध भक्ति किस हद तक हो सकती है यह देख कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं . इस फिल्म के साथ अभिनेता आमिर खान के बेटे जुनैद खान (Junaid Khan) बतौर कलाकार फिल्मी दुनिया में कदम रख चुके हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स की फिल्म महाराज के जरिए जुनैद का डेब्यू हो गया है। भारी विवाद के बाद महाराज रिलीज हो गई है।  यह फिल्‍म साल 1862 के महाराज मानहानि मुकदमा (लाइबल केस) पर आधारित है, जिस पर बॉम्बे हाई कोर्ट के समक्ष बहस हुई थी।

साल 1832, गुजरात के वडाल गांव के कट्टर वैष्णव परिवार में एक बालक जन्मा। नाम पड़ा करसन दास यानी कृष्ण का दास। लेकिन जवान होते-होते उसी बालक ने महाराज बनकर घूमने वाले अपने ही संप्रदाय के पाखंडी धर्मगुरुओं के खिलाफ बिगुल फूंक दिया।लेखक सौरभ शाह की इसी शीर्षक वाली किताब पर आधारित है यह फिल्म .

images 4

यह फिल्‍म उस समय के प्रख्यात गुजराती पत्रकार और समाजसेवी करसनदास मुलजी पर बनी है, जो लैंगिक समानता, विधवा विवाह ,महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक बदलाव के कट्टर समर्थक थे। करसनदास ने उस दौरान धार्मिक गुरु द्वारा भक्ति की आड़ में महिला अनुयायियों के यौन शोषण को उजागर किया था।1862 की एक कहानी को लेकर 2024 में बवाल मचा है. धर्म का जेजे (Jaideep Ahlawat) जैसा ठेकेदार भोले-भाले लोगों की अंधभक्ति का फायदा उठा रहा है, मासूम लड़कियों-औरतों का चरणसेवा के नाम पर शारीरिक शोषण कर रहा है तो वह कहां चुप बैठने वाला था

महाराज नाम की एक फिल्म रिलीज हुई है. जिसकी कहानी 161 साल पुरानी है. लेकिन एक बार फिर लोग उस केस और उस शख्स के बारे में जानना चाहते हैं जिसने समाज के एक प्रभावशाली शख्स के खिलाफ आवाज उठाई और उसे कोर्ट जाने को मजबूर कर दिया .करसनदास की यह सच्ची कहानी उस दौर की है जब अंग्रेजों का साम्राज्य था .21 सितंबर 1861 की तारीख थी, एक गुजराती अखबार सत्य प्रकाश में ‘हिंदुओनो  असल धर्मा हलना पाखंडी मातो’ नाम से एक लेख छपा. इस लेख को पढ़कर कुछ लोग हैरान रह गए तो कुछ लोगों का उस पत्रकार के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा.

इस लेख में एक ऐसे शख्स का पर्दाफाश किया गया था, जिसकी लोग भगवान की तरह पूजा करते थे. इस लेख में लिखा गया था कि वो शख्स अपनी महिला भक्तों का चरण सेवा के नाम पर यौन शोषण करता है.यह यौन शोषण  उनके परिवारों की सहमति और उनके घरों में  लापसी बनाने के रूप में मोक्ष मिल जाने के रूप में सेलिब्रेट  भी होती थी .इस गलत परम्परा का शिकार नायक की मंगेतर के होने पर नायक इसके खिलाफ  लड़ता है.

maharaj Mmovie on Netflix

इस  फिल्म में जयदीप अहलावत{Jaideep Ahlawat}स्वयंभू धर्मगुरु महाराज के किरदार में नज़र आयें हैं, जिन्होंने 1800 के दशक के एक गॉड मैन की भूमिका निभाई है, जिन्होंने लोगों में ये यकीन दिलाया था कि वह भगवान के स्वरूप हैं,होली का रंग पहले वे लगाते है और  फिल्म यहीं से शुरू होती है । अंध भक्त  जनता को उनकी जूठन प्रसाद के रूप में ग्रहण करनी होती थी ।1862 के महाराज लिबेल केस पर आधारित जयदीप अहलावत ने वल्लभाचार्य संप्रदाय के प्रमुखों में से एक जदुनाथ बृजरतन जी महाराज (जेजे) की भूमिका में हैं जो श्रद्धा और भक्ति के नाम पर उस शहर के घरों की महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं और इसे ‘चरण सेवा’ का नाम दिया गया है।इतिहास के पन्नों में दर्ज यह चरण सेवा प्रकरण वैष्णव समाज के उस  नौजवान लड़के करसन दास जो  विलायत से पढ़कर बॉम्बे लौटा था,के लेख पर आधारित है . उसके खिलाफ जदुनाथ महाराज ने 50 हजार रुपये के मानहानि का केस कर दिया. महाराज लाइबल केस के नाम से मशहूर ये केस इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया.

Shalini Pandey On Shooting Rape Scene With Jaideep Ahlawat In Maharaj: 'I Didn't Want To Be In A Closed Room'

यशराज फिल्म प्रोडक्शन हाउस ,आदित्य  चोपड़ा द्वारा निर्मित इस फिल्म का निर्देशन  सिद्धार्थ पी मल्होत्रा ने किया है.निर्देशक सिद्धार्थ पी मल्होत्रा ने फिल्म को  गंभीर रखा हैरखा भी जाना चाहिए था । इसके अलावा, कोर्ट केस को वह रोचक नहीं बना पाए हैं,कोर्ट की बहस और तर्कों के माध्यम से इसके विषय की गंभीरता को और अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए था ।  फिल्म में जुनैद खान के अलावा जयदीप अहलावत, शारवरी वाघ के अलावा शालिनी पांडे भी नजर आती हैं .शालिनी पांडे ने किशोरी की भूमिका और चरण सेवा के लिए एक एसा सीन किया है जिसे करना इतना सहज नही है । जेजे ने ये यकीन दिलाया था कि ‘चरण सेवा’ पवित्र है और यही वजह थी कि समाज ने इस ओर से आंखें मूंद ली। ,महाराज के साथ  चरण सेवा वाला सीन लोगों  द्वारा पैसे देकर देखे जानेवाली मानसिकता हिला कर रख देती है .

इस फिल्म को देखना भी एक भयावह बेचैनी देता है . फिल्म महिलाओं की समस्या पर है . आमिर  के बेटे जुनैद उतने प्रभावित नहीं करते जितना महत्वपूर्ण उनका रोल था .

डॉ .स्वाति तिवारी

स्मृतियों की असाधारण संवेदना- ‘देह-गाथा’