नया अध्याय लिख रहे महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश…

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नया अध्याय लिख रहे महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

“तापी बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना” विश्व की सबसे बड़ी ग्राउंडवॉटर रीचार्ज परियोजना है। यह एक अनूठी परियोजना है जो पूरे विश्व में भूजल पुनर्भरण का नया अध्याय लिखेगी। इससे प्रदेश के बड़े क्षेत्र विशेष रूप से निमाड़ का भूजल स्तर बढ़ेगा और यह वहां के लिए जीवन दायिनी सिद्ध होगी।
10 मई 2025 को तापी बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राजधानी भोपाल स्थित कुशाभाऊ ठाकरे कंवेंशन सेंटर में हस्ताक्षर किए थे। तब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र विभिन्न क्षेत्रों में साथ कार्य करेंगे। दोनों राज्यों की साझा विरासत के संरक्षण में मिलकर कार्य करेंगे। उद्योगों के क्षेत्र और सांस्कृतिक आध्यात्मिक परंपराओं, पर्यटन और बागवानी के क्षेत्र में दोनों राज्यों की परस्पर सहयोग की गतिविधियां बढ़ाई जाएंगी। और एमओयू के बाद पहली ही मंत्रिमंडल की बैठक में महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के बीच विरासत के साथ संबंधों का नया अध्याय लिखने की शुरुआत हो गई है। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की साझी ऐतिहासिक-सांस्कृतिक विरासत पर गतिविधियां संचालित होंगी। मध्यप्रदेश के 2 और महाराष्ट्र के 3 ज्योतिर्लिंगों को मिलाकर सर्किट विकसित किया जाएगा। यह सब तीन दिन की सोच का परिणाम नहीं है बल्कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के विचारों पर प्रशासनिक एक्सरसाइज का नतीजा है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के मुताबिक  मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र का साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ रहा है। दोनों राज्यों द्वारा बाजीराव पेशवा, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई, अप्पाजी भोंसले इत्यादि के गौरवशाली अतीत की घटनाओं के इतिहास लेखन, दस्तावेज संकलन, डिजिटाइलिजेशन, मोढ़ी लिपि के संरक्षण, लोकमाता देवी अहिल्या बाई होल्कर के धार्मिक-प्रशासनिक अवदानों के संरक्षण के लिए कार्य करने पर सहमति हुई है। मध्यप्रदेश में उज्जैन और ओंकारश्वर के ज्योतिर्लिंग तथा महाराष्ट्र के 3 ज्योतिर्लिंग का सर्किट विकसित करने पर भी सहमति हुई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि शेगांव के गजानन ट्रस्ट द्वारा इच्छुक व्यक्तियों को सेवा का प्रशिक्षण देकर स्वयं सेवकों को सेवा और प्रबंधन के कार्य में लगाया जाता है। उनकी इस प्रणाली का लाभ महाकाल मंदिर प्रबंधन के लिए लेने पर भी विचार-विमर्श हुआ।
तो महाराष्ट्र सरकार के साथ हुए  एमओयू के तहत आने वाले समय में दोनों राज्यों के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए साझा कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
दोनों प्रदेश के महापुरुषों पर आधारित नृत्य नाटिका और फिल्म निर्माण करेंगे।मध्यप्रदेश की तरह महाराष्ट्र सरकार भी माता अहिल्या की जन्मस्थली पुणे के समीप स्थित गांव में कैबिनेट बैठक करेगी। महेश्वर के साड़ी उद्योग को विकसित करने के लिए दोनों प्रदेश साझा प्रयास करेंगे। यानि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव विरासत के साथ विकास के नए अध्याय लिखने को तैयार हैं। महाराष्ट्र के साथ ऐतिहासिक-सांस्कृतिक विरासत की शुरुआत इसी दिशा में मध्यप्रदेश के बढ़ते कदम माने जा सकते हैं…।