Maharashtra Elections: एक नारे से क्यों गरमाया चुनाव प्रचार का माहौल! 

75
Maharashtra Elections

Maharashtra Elections : एक नारे से क्यों गरमाया चुनाव प्रचार का माहौल! 

नवीन कुमार

(वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक)

Mumbai : महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव प्रचार का अंतिम दौर है। यहां 20 नवंबर को अंतिम दौर का मतदान होगा। लेकिन, चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक नारों को लेकर जमकर खींचतान हुई। बीजेपी नीत महायुति के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे पर विपक्ष के साथ महायुति के नेताओं ने भी आपत्ति उठाई। क्योंकि, वे ऐसे नारों को महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति के अनुरूप नहीं मानते। पार्टियां नारों का तो सहारा ले रही है, मगर इन नारों के बीच चुनाव में असल मुद्दे गायब हो गए। यही वजह है कि समस्याओं को विपक्ष ने अपना चुनावी हथियार बनाया।

IMG 20241119 WA0044

चुनाव प्रचार के दौरान ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे को लेकर सियासत गर्म है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महायुति के चुनाव प्रचार में ये नारे लगाए हैं। लेकिन, विपक्ष को यह नारा रास नहीं आया। हालांकि, महायुति के भी कुछ नेताओं ने इस पर नाराजगी जताई। लेकिन, राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जहां योगी का समर्थन किया है वहीं बीजेपी के नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस नारे को लेकर लोगों की गलतफहमी दूर करने की भी कोशिश की। उन्होंने इस नारे के पीछे जो मकसद है उसका खुलासा किया है। उनका कहना है कि हमें इतिहास में झांकना चाहिए। जब हम बंटे हुए थे तब विदेशियों ने हम पर आक्रमण किया था और हम गुलाम बने थे।

Also Read: Embarrassing Photo and Video: युवक ने महिला TI को थप्पड़ मारा, मचा हड़कंप

IMG 20241119 WA0043

इसलिए योगी ने इस नारे के जरिए हमें एकजुट होने की अपील की है। लेकिन, कुछ लोग इसे अलग संदर्भ में पेश कर रहे हैं। भले ही फडणवीस ने तार्किक तरीके से समझाने की कोशिश की, लेकिन विपक्ष के साथ बीजेपी के भी कुछ नेता इस तरह से विरोध जता रहे हैं। इससे यह भी लग रहा है कि इस नारे को लेकर बीजेपी और महायुति में मतभेद है। इनका मानना है कि यह नारा महाराष्ट्र की संस्कृति के अनुकूल नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक हैं तो सेफ हैं’ नारे पर भी विपक्ष आपत्ति जता रहा है।

वैसे, मोदी का केंद्रीय राजनीतिक काल नारों की सीढ़ियों पर चलता रहा है। उनके अब तक के कार्यकाल में कई जुमले आए, जिसमें उन्हें अपनी जीत दिखी। लेकिन, 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी के लिए यह नारा ‘अबकी बार 400 पार’ सही साबित नहीं हुआ। यह नारा बीजेपी ने संसद में 400 के पार सांसद को चुने जाने के लिए लगाया था। लेकिन, बीजेपी 300 के पार भी नहीं जा पाई। यह बीजेपी के लिए अच्छा नहीं था। इसमें महाराष्ट्र का बड़ा योगदान माना जा रहा है। क्योंकि, बीजेपी को महाराष्ट्र की 48 में से 35 सीटों पर जीत की उम्मीद थी। मगर एकनाथ शिंदे गुट और अजित पवार गुट के साथ मिलकर 17 सीटों पर सिमट गई। बावजूद इसके बीजेपी महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में नारों से ही संजीवनी बटोरने का काम कर रही है।

Also Read: Dense Fog in Delhi : दिल्ली में सुबह से घना कोहरा, ट्रेनों और उड़ानों पर असर, AQI 1000 के पार!

विपक्ष का मानना है कि बीजेपी के इन दो नारों ने धार्मिक ध्रुवीकरण को बल दिया है। इसमें वोट जिहाद जैसे नारे का भी इस्तेमाल हो रहा है। हालांकि, महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग ने वोट जिहाद जैसे शब्द को सांप्रदायिक शब्द माना है। लेकिन, बीजेपी के नेता चुनाव प्रचार में इस तरह के शब्द का प्रयोग कर रहे हैं। अब तो आयोग का काम है कि ऐसे शब्द पर कैसे अंकुश लगाए। खैर, आयोग अपना कम करे। लेकिन, जिस तरह से योगी के नारे मोदी को पसंद नहीं आए उसी तरह से बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टी के कुछ नेताओं को भी योगी के साथ मोदी के भी नारे नागवार गुजर रहे हैं। वे इसे महाराष्ट्र की संस्कृति के खिलाफ बता रहे हैं।

बीजेपी के दिवंगत ओबीसी नेता गोपीनाथ मुंडे की विधायक बेटी पंकजा मुंडे ने तो ऐसे नारे का समर्थन करने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि वह बीजेपी से जुड़ी हैं सिर्फ इसलिए इन नारों का समर्थन नहीं कर सकती। महाराष्ट्र में इस तरह का मुद्दा लाने की जरूरत नहीं है। वह विकास के मुद्दे पर काम करने के साथ-साथ हर इंसान को अपना बनाने पर जोर देती हैं। यह सच है कि महाराष्ट्र में ओबीसी नेता पंकजा मुंडे की राजनीति को धूमिल करने का प्रयास किया गया। लेकिन बीजेपी को इस विधानसभा चुनाव में ओबीसी वोट की जरूरत है इसलिए पंकजा को एमएलसी बनाया गया है।

Also Read: Counterfeit Drug Trade : नकली दवाओं के गोरखधंधे का सच जीजा-साले के विवाद में छुपा!

पंकजा के साथ-साथ कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने वाले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद अशोक चव्हाण ने भी योगी के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसे नारों पर आपत्ति जताई। उन्हें यह नारा अप्रासंगिक लगता है। महाराष्ट्र के लोगों को भी यह पसंद नहीं आएगा। उन्हें बीजेपी के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के वोट जिहाद बनाम वोट धर्मयुद्ध वाले बयान भी पसंद नहीं हैं। वे कहते हैं कि नेताओं को ऐसे नारों से बचना चाहिए, जिससे किसी की भावना आहत होती है। बीजेपी नीत महायुति के एक घटक दल एनसीपी (अजित पवार गुट) के नेता अजित पवार ने भी योगी के इस नारे को महाराष्ट्र विरोधी बताया है। उनका कहना है कि इस तरह के नारे उत्तर प्रदेश, बिहार या झारखंड में चल सकते हैं। लेकिन, महाराष्ट्र की संस्कृति अलग है। यहां ऐसे नारों की कोई अहमियत नहीं है।

वे कहते हैं कि महाराष्ट्र साधु संतों, शिवाजी महाराज, साहू महाराज, फुले महाराज और बाबा साहेब आंबेडकर की भूमि है। ऐसे नारों पर भले ही बीजेपी और महायुति में अलग-अलग सुर सुनाई पड़ रहे हैं। लेकिन, योगी अपने धुन में राग अलाप रहे हैं। बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस मोदी और योगी के नारों का समर्थन करते हैं। उनका कहना है कि अजित पवार अलग विचारधारा के नेता हैं। इसलिए वह अपनी तरह से सोच रहे हैं। लेकिन, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के नेता संजय राऊत ने कहा है कि योगी ऐसे नारों के सहारे अयोध्या की सीट नहीं बचा पाए। महाराष्ट्र के लोग उन्हें नकार देंगे। अब यह भी देखा जा रहा है कि बीजेपी नारों का तो सहारा ले रही है मगर इन नारों के बीच चुनाव में असली मुद्दे गायब हो रहे हैं। महाराष्ट्र में महंगाई, किसानों की समस्य़ा, मराठा-ओबीसी आरक्षण की समस्या, बेरोजगार युवाओं की समस्या, उद्योग की समस्या, विकास की समस्या और महिलाओं की सुरक्षा की समस्या अहम है। इन समस्याओं को विपक्ष ने अपना चुनावी हथियार जरूर बनाया है।

Also Read: Return to Hinduism Again : अक्षय बना फहीम, पर 5 महीने बाद फिर हिंदू धर्म में लौट आया, पुलिस में शिकायत दर्ज!