
Mahesh Bansal’s Pushpa-Ganga Exhibition: पुष्प गणेश, रानी के आंसू, खरगोश के कान, बिल्ली का पंजा नाम के फूलों की चित्र प्रदर्शनी

इंदौर में मर्म कला अनुष्ठान संस्था द्वारा महेश बंसल लिखित काफी टेबल बुक “पुष्प गंगा” में प्रकाशित 330 चित्रों में से चयन कर 35 चित्रों की एकल प्रदर्शनी “महेश बंसल की पुष्प-गंगा” प्रिंस पैराडाइज (C -21) माल के सामने 25 दिसंबर से 02 जनवरी तक लगाई गई है। स्मरण रहे काफी टेबल बुक “पुष्प गंगा” लिखने की प्रेरणा ख्यात साहित्यकार श्रीमती स्वाति तिवारी की प्रेरणा से संभव हुआ है।
लेखक महेश बंसल का कहना है कि – “विमोचन समारोह के पश्चात मित्रों के सोशल मीडिया संदेशों, फोन कॉल्स और प्रत्यक्ष प्रतिक्रियाओं ने मन को भाव-विभोर तो किया ही,क्षपर जो आगे घटित हुआ, वह मेरी कल्पना और पूर्वज्ञान, दोनों से परे था।
“पुष्प-गंगा” काफी टेबल बुक में प्रकाशित 330 पुष्प चित्रों में से 35–40 चित्रों का चयन कर, उन्हें बड़े आकार में प्रिंट कर “महेश बंसल की पुष्प-गंगा” शीर्षक से विमोचन के मात्र 11 दिन बादकला वीथिका में 9 दिवसीय प्रदर्शनी के रूप में प्रस्तुत किया जाना सचमुच अचम्भित करने वाला पल था।
इस संपूर्ण आयोजन का न तो मैं आयोजक था, न ही इसकी कोई पूर्व योजना मेरे संज्ञान में थी। मुझे इसकी सूचना मात्र पाँच दिन पूर्व दी गई थी।उद्घाटन के क्षणों में, जब दर्शकों के साथ खड़े होकर मैंने उन्हीं पुष्प चित्रों कोपहली बार दीवारों पर सुसज्जित देखातो वह अनुभव शब्दों में बाँध पाना आज भी कठिन है। वह क्षण किसी लेखक का नहीं,ज्ञएक साधारण बागवानी प्रेमी काअपने श्रम, अपने स्वप्न और अपनी साधना कोज्ञलौटकर आते देखने का क्षण था।

इस संपूर्ण प्रदर्शनी का आयोजन, संकल्पना और प्रस्तुति “अंकित एडवरटाइजिंग, इंदौर”ज्ञद्वारा जिस संवेदनशीलता, सौंदर्यबोध और आत्मीयता के साथ की गई, उसने मुझे गहरे स्तर पर अचंभित और अभिभूत किया है। बस इतना ही कह सकता हूँ,
पुष्प-गंगा अब केवल एक पुस्तक नहीं रही, यह भावनाओं की वह धारा बन गई है, जिसमें अनेक संवेदनशील हृदय
अपने-अपने भाव घोल रहे हैं।





