
Mahesh Shrivastava’s Birthday Celebration: पूस की सर्द सुबह और गुरु के प्रेम की ऊष्मा में सुकून पाते सैकड़ों शिष्य
आरिफ मिर्ज़ा की खास रिपोर्ट
भोपाल। शहर की हरी भरी अरेरा हिल की तलहटी कल उस ऐतिहासिक आत्मीय क्षणों की साक्षी बनी जब देश के मूर्धन्य पत्रकार, कवि और साहित्यकार महेश श्रीवास्तव का 84 वां जन्मदिन समारोह पूर्वक मनाया गया।

अरेरा क्लब में पसरी पूस की ये सर्द सुबह गुनगुनी धूप से ज़्यादा अपने गुरु के प्रेम की ऊष्मा से भी गर्मा रही सी लगी। इस भव्य और दिव्य आयोजन के सूत्रधार रहे सबकी खबर न्यूज़ चैनल के प्रधान संपादक और महेशजी के परम प्रिय शिष्य रवींद्र जैन। इस बेहद यादगार आयोजन में राष्ट्रीय हिंदी मेल के संपादक विजय दास का भी सहयोग रहा।


दैनिक भास्कर में 36 वर्ष तक संपादक रहे शब्द शिल्पी, अपनी विशेष टिप्पणियों से सरकारों को हिला देने वाले महेश श्रीवास्तव अरेरा क्लब के हॉल में नमूदार हो रहे हैं। वहां मौजूद पत्रकारों की नोजवान और वरिष्ठ पीढ़ी के पत्रकारों का समूह उठ खड़ा होता है। 84 की उम्र में महेशजी वही शाहाना चाल, चेहरे पर सौम्य मुस्कुराहट लिए अपने इस स्वागत से अभिभूत हैं। कार्यक्रम के संयोजक और महेशजी के परम शिष्य रवींद्र जैन

, अलीम बज़मी सहित पत्रकारों का पूरा काफिला गुरु के नक्शेकदम पर चलते हुए उन्हें मंच पर विराजमान करता है। यहां महेशजी के समकालीन कई वरिष्ठ पत्रकारों के साथ ही उनके ढेरों शिष्यों का जमावड़ा है। कोई उन्हें गुलदस्ता भेंट कर रहा है तो कोई उन्हें शॉल ओढ़ा रहा है। पत्रकारिता के अपने इस काबिल उस्ताद के चरण छूने की जैसे होड़ मच गई है। गुरु जिन्हें उनके शिष्य पत्रकार भाईसाब के नाम से पुकारते हैं, बहुत भावुक हैं। अपने शिष्यों के इस निश्चल प्रेम और सम्मान को वे अंदर तक महसूस कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे भाईसाब की आंखों के किनारों पर अश्रु ठहर गए हैं। हॉल में बैठा पूरा हुजूम खामोश होकर कुर्सियों पर बैठ जाता है। दरअसल पत्रकारिता के क्षेत्र अपने गुरु के जन्मदिवस पर इतने आदर, सम्मान और प्रेम से याद करने की परंपरा और कहीं दिखाई नहीं देती। महेश भाईसाब को देख कर लग रहा है जैसे वे साठ के दशक से लेकर साल दो हज़ार तक के अपनी पत्रकारीय यात्रा के फ्लेशबैक में कहीं खो गए हैं। सोच रहे हैं कि स्वार्थ और केवल अपने लिए जीने के इस दौर में आज भी ऐसे लोग हैं जो 84 वर्ष की उम्र में भी उनके जन्मदिन को इतनी आत्मीयता से मना रहे हैं। मंच पर उनके पास बैठे हैं वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र शर्मा, विजयदत्त श्रीधर, एनके सिंह, विजय कुमार दास, कमिश्नर जनसंपर्क दीपक सक्सेना और प्रदेश टुडे के सीएमडी ह्रदयेश दीक्षित। कार्यक्रम का संचालन कर रहे अलीम बज़मी ने अपने उस्ताद को जब आशीर्वचन के लिए पुकारा तो हॉल में बैठे तमाम शिष्य और महेशजी के चाहने वाले खामोश हो गए। सब जैसे उन्हें सुनने को आतुर थे। अपने भावुक संबोधन में महेशजी का गला रुंध गया। उन्होंने कहा कि मेरी पत्रकारिता की यात्रा में मैं जिस मुकाम पर हूं वो आप सब प्रिय शिष्यों की वजह से हूं। आपने कहा कि उनके ज़माने में संपादक का जो वजूद होता था, जो सम्मान था वो अब नहीं रहा। अब तो संपादक लाइजनिंग ऑफिसर ही गए है। महेश जी ने अपनी साठ साला पत्रकारिता के संघर्ष की दिलचस्प दास्तान सुनाई। उस ज़माने में राजनीतिक दबाव के सामने नहीं झुकने, तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ,सुंदर लाल पटवा और मोतीलाल वोरा से जुड़े किस्से सुन कर श्रोता मन्त्र मुग्ध हो गए। उन्होंने बताया कि रमेशजी ने उन्हें फ्री हैंड दिया था। वे कहते थे कि आपकी वजह से भास्कर इस मुक़ाम पर पहुंचा है लिहाज़ा हम आपको भास्कर कभी नहीं छोड़ने देंगे। महेशजी ने आज के पत्रकारों को सरोकारी पत्रकारिता करने की सलाह दी। उन्होंने अपने शिष्य रविन्द्र जैन, स्व प्रशांत कुमार, अलीम बज़मी, रेवा शंकर सहित कई रिपोर्टरों के जान पर खेल कर खोजी खबरें लाने की दास्तान भी सुनाई। बोलते हुए वे कई बार भावुक हुए।
इस अनूठे आयोजन में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजयमनोहर तिवारी भी मौजूद थे। आपने महेश जी की विद्वता और लेखनशैली और उन्हें मिले सहयोग को याद किया।

इस मौके पर पत्रकार राजेंद्र शर्मा ने कहा कि महेश श्रीवास्तव इस दौर के राजेन्द्र माथुर और राहुल बारपुते जैसे पत्रकार हैं। विजयदत्त श्रीधर ने रविन्द्र जैन को सलाह दी कि वे महेश जी का लंबा साक्षात्कार रिकॉर्ड करें। उन्होंने महेशजी के अग्र लेखों और विशेष टिप्पणियों के संग्रह प्रकाशित करने का मशवरा भी दिया। एन के सिंह ने महेशजी के साथ काम करने के दौर को याद किया। कमिश्नर जनसंपर्क दीपक सक्सेना ने कहा कि सिर्फ अखबारों में ही महेश जी के शिष्य नहीं हैं। भारी संख्या में अन्य लोग भी उनके शिष्य हैं। विजय कुमार दास ने कहा कि महेश जी के जन्मदिवस को पत्रकार एकता दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए। पूर्व संचालक जनसंपर्क और मीडियावाला के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी ने भी धार से जुड़े 50 साल पुराने एक संस्मरण को ताजा किया। वरिष्ठ विधायक रामेश्वर शर्मा और अनिल धूपड ने भी अपने विचार व्यक्त किए। प्रदेश टुडे के सीएमडी ह्रदयेश दीक्षित ने भास्कर में महेश जी के साथ काम किये दिनों को याद किया। दीक्षित जी ने कहा कि उन्हें महेशजी का मार्गदर्शन सदैव मिला। ह्रदयेश जी अपने साथ सभी आमंत्रितों के लिए गजक के पैकेट लेकर आए।

रवींद्र जैन, अलीम बज़मी और आरिफ़ मिर्ज़ा ने महेश जी को बहुत प्रेम करने वाले गुरु के तौर पर याद किया। रवींद्र जैन ने बताया कि 38 साल पहले जब भास्कर ज्वाइन किया था तब इन्हें लिखना भी नहीं आता था। महेशजी ने इन्हें कच्ची मिट्टी की तरह गढ़ा। इस अवसर पर राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज श्रीवास्तव, पत्रकार राजेश बादल, सुधीर सक्सेना,पंकज पाठक, ब्रजेश राजपूत सहित बड़ी तादाद में पत्रकार मौजूद थे। बाद में सभी ने सहभोज का आनंद लिया।





