विजयवर्गीय वैश्य समाज की पहल पर महिला मंडल ने मनाया बछ बारस पर्व
सामुहिक व्रत उद्यापन की अनूठी पहल की शुरुआत
Ratlam : विजयवर्गीय वैश्य समाज के विजयवर्गीय महिला मंडल रतलाम के द्वारा बछ बारस का 13 परिवारों द्वारा बछ बारस व्रत सामुहिक उधायपन जलसा गार्डन रतलाम में किया गया.विजयवर्गीय वैश्य समाज रतलाम की पहल पर पहली बार सामूहिक व्रत उद्यापन की परंपरा प्रारंभ की गई।इस अवसर पर 200 से अधिक महिलाओं ने सामुहिक भोजन किया।इस प्रकार सामुहिक के उद्यापन से व्यय भी कम हुआ और समाज ने सामूहिकता का परिचय भी दिया।सभी महिलाओं को चांदी की बिछिया भेंट दी गई।कार्यक्रम का व्यय सभी ने मिलकर वहन किया।
*यह रहीं मात्रशक्ति मौजूद*
सामूहिक उद्यापन में महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमति श्रद्धा विजयवर्गीय के नेतृत्व में उद्यापन श्रीमति ललिता विजयवर्गीय,श्रीमति
उषा विजयवर्गीय,श्रीमतिकां ति विजयवर्गीय,श्रीमति सुधा विजयवर्गीय,श्रीमति कोसल्या विजयवर्गीय, श्रीमति अंजना विजयवर्गीय,श्रीमति सुमन विजयवर्गीय,श्रीमति दीपिका विजयवर्गीय, श्रीमति आकांक्षा विजयवर्गीय,श्रीमति सुरभि विजयवर्गीय,श्रीमति रितु विजयवर्गीय,श्रीमति आयुषी विजयवर्गीय, श्रीमति नेहा विजयवर्गीय में शामिल रहीं।
*जानिए बछ बारस व्रत के महत्व को*
बछ बारस मनाने के पीछे मान्यता हैं कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण पहली बार गाय चराने घर से निकले थे।यह पर्व माता यशोदा और श्रीकृष्ण के बीच स्नेह का जीवंत प्रतीक हैं।भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की द्वादशी को भगवान श्रीकृष्ण जंगल में गाय चराने गए थे।पुत्र की चिंता और उसे हर कष्ट से बचाने के लिए माता यशोदा ने कई जतन किए। उनका लाड़ला इतनी देर घर से बाहर रहने वाला था।इसलिए माता पुत्र के पसंद के सभी व्यंजन बनाए।श्रीकृष्ण के प्रथम वन गमन पर गोकुल गांव की हर माता ने कृष्ण के प्रति दुलार प्रकट करने के लिए उनके पसंद के व्यंजन बनाए।श्रीकृष्ण के साथ वन जाने वाली गायों और बछड़ों के लिए भी मूंग,मोठ और बाजरा अंकुरित किया गया।जब वे वापस लौटे तो गाय-बछड़ों का पूजन किया।इस तरह बछ बारस का व्रत अस्तित्व में आया।