
ओंकारेश्वर में बड़ा हादसा टला: ब्रह्मपुरी घाट पर श्रद्धालुओं से भरी नाव पलटी, सभी सुरक्षित
ओंकारेश्वर: तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में सोमवार को नर्मदा नदी पर एक बड़ा हादसा होते होते टल गया। ब्रह्मपुरी घाट पर श्रद्धालुओं से भरी एक नाव अचानक पलट गई, लेकिन समय रहते बचाव हो जाने से कोई जनहानि नहीं हुई। सभी यात्री लाइफ जैकेट पहने हुए थे और स्थानीय नाविकों व आपदा प्रबंधन दल की तत्परता से सभी को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। घटना ने एक बार फिर घाटों की सुरक्षा व्यवस्था और नाव संचालन प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना ओंकारेश्वर के ब्रह्मपुरी घाट की है। नर्मदा नदी में श्रद्धालुओं को लेकर चल रही एक नाव अचानक असंतुलित होकर पलट गई। नाव में महाराष्ट्र और गुजरात से आए श्रद्धालु सवार थे, जो नर्मदा दर्शन के लिए घाट से नदी में उतरे थे। प्रत्यक्ष जानकारी के अनुसार इसी दौरान ओंकारेश्वर बांध से अचानक पानी छोड़े जाने के कारण नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ गया। बढ़े हुए बहाव में नाव घाट की रेलिंग या एंगल से टकरा गई और संतुलन बिगड़ने से पलट गई।

नाव पलटते ही मौके पर अफरा तफरी मच गई, लेकिन राहत की बात यह रही कि सभी यात्रियों ने पहले से लाइफ जैकेट पहन रखी थी। स्थानीय नाविकों ने बिना समय गंवाए नदी में उतरकर बचाव शुरू किया। सूचना मिलते ही एनडीआरएफ, पुलिस और प्रशासनिक अमला भी मौके पर पहुंचा और संयुक्त रूप से रेस्क्यू अभियान चलाया गया। कुछ ही समय में सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। किसी के भी डूबने या गंभीर रूप से घायल होने की सूचना नहीं है।
हालांकि इस घटना ने घाटों पर सुरक्षा इंतजामों को लेकर नई बहस छेड़ दी है। सवाल उठ रहे हैं कि बांध से पानी छोड़े जाने की पूर्व सूचना घाटों और नाव चालकों तक समय पर क्यों नहीं पहुंची। इसके साथ ही नावों की क्षमता, लाइसेंस, नियमित जांच और घाटों पर निगरानी व्यवस्था को लेकर भी चिंता जताई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि ओंकारेश्वर में इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। मई 2023 में तेज हवा और बारिश के दौरान नाव पलटने की एक घटना में गुजरात के एक परिवार के दो वर्षीय बच्चे की डूबने से मौत हो गई थी, जबकि एक व्यक्ति लापता हो गया था। उस हादसे के बाद भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठे थे, लेकिन ताजा घटना से स्पष्ट है कि अब भी कई कमियां बनी हुई हैं।
फिलहाल प्रशासन ने घटना की समीक्षा शुरू कर दी है और घाटों पर नाव संचालन, सुरक्षा उपकरणों की अनिवार्यता और बांध से जल छोड़े जाने की सूचना प्रणाली को और मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है। जनहानि न होने के बावजूद यह घटना एक गंभीर चेतावनी के रूप में देखी जा रही है कि छोटी चूक भी बड़े हादसे में बदल सकती है।





