
JDU में बड़ी कार्रवाई: बिहार चुनाव से पहले 11 नेताओं को पार्टी से निकाला गया
PATNA: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जनता दल (यूनाइटेड) ने अनुशासनहीनता पर बड़ी कार्रवाई करते हुए अपने 11 नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। पार्टी ने इन नेताओं पर संगठन विरोधी और गठबंधन प्रत्याशियों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है।
JDU प्रदेश नेतृत्व ने स्पष्ट किया कि पार्टी अनुशासन सर्वोपरि है और कोई भी नेता चाहे कितना वरिष्ठ क्यों न हो, संगठन के निर्णयों का उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई तय है। चुनावी मौसम में इस कदम को पार्टी के अंदर “संगठन शुद्धि अभियान” के रूप में देखा जा रहा है।
निष्कासित नेताओं की सूची-
पार्टी से निकाले गए 11 नेताओं में कई पूर्व मंत्री और विधायक भी शामिल हैं—
1. शैलेश कुमार – पूर्व मंत्री
2. संजय प्रसाद – पूर्व विधान पार्षद
3. श्याम बहादुर सिंह – पूर्व विधायक (बड़हरिया)
4. रणविजय सिंह – पूर्व विधान परिषद सदस्य (बरहरा, भोजपुर)
5. सुदर्शन कुमार – पूर्व विधायक (बरबीघा)
6. अमर कुमार सिंह – बेगूसराय
7. डॉ. आसमा परवीन – वैशाली
8. लव कुमार – नबीनगर
9. आशा सुमन – कदवा, कटिहार
10. दिव्यांशु भारद्वाज – मोतिहारी
11. विवेक शुक्ला – जीरदेई, सिवान
*पार्टी ने कहा-*
जेडीयू प्रदेश महासचिव की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इन सभी नेताओं ने पार्टी के घोषित प्रत्याशियों के विरुद्ध कार्य कर संगठन की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। पार्टी की अनुशासन समिति ने इन पर विचार कर तत्काल प्रभाव से निष्कासन की अनुशंसा की थी, जिसे शीर्ष नेतृत्व ने मंजूरी दे दी।
*चुनावी रणनीति का संदेश*
इस कार्रवाई को जेडीयू की अंदरूनी एकजुटता बनाए रखने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी चाहती है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कोई भी असंतुष्ट नेता संगठन की एकता को कमजोर न करे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही साफ कर चुके हैं कि “जो पार्टी लाइन से हटेगा, उसे बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।”
*विपक्ष पर वार और भीतर संदेश*
विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला एक तीर से दो निशाने साधता है-
एक ओर पार्टी ने अपने असंतुष्ट नेताओं को संदेश दिया है कि अनुशासन से समझौता नहीं होगा, वहीं विपक्षी दलों को भी यह संकेत दिया है कि जेडीयू अंदरूनी कलह को नियंत्रित करने में सक्षम है।
*आगे का रास्ता*
निष्कासित नेताओं में से कुछ पहले से ही स्वतंत्र रूप से चुनावी तैयारी कर रहे थे। अब वे आगे किस दल का रुख करेंगे या निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं। जेडीयू ने वहीं संकेत दिया है कि पार्टी संगठन को मजबूत करने और उम्मीदवारों के चयन में पूरी पारदर्शिता अपनाई जाएगी ताकि चुनाव में कोई भ्रम की स्थिति न बने। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले जेडीयू का यह कड़ा कदम न केवल पार्टी अनुशासन को सुदृढ़ करने की दिशा में है, बल्कि चुनावी एकता और नियंत्रण का भी संदेश देता है। आने वाले दिनों में यह फैसला पार्टी के संगठनात्मक संतुलन और चुनावी रणनीति दोनों पर असर डाल सकता है।




