नगर निकाय चुनाव परिणाम के बाद ब्यूरोक्रेसी में बड़े बदलाव होने के आसार

लिस्ट है तैयार, कई कलेक्टर और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी होंगे इधर-उधर

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भोपाल: मध्यप्रदेश में 20 जुलाई को नगर निकाय चुनाव परिणाम आने के बाद ब्यूरोक्रेसी में बड़े बदलाव से इंकार नहीं किया जा सकता। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की इस संबंध में प्रारंभिक चर्चा भी हो चुकी है और माना जा रहा है कि इस संबंध में एक सूची लगभग तैयार है जो इस माह के अंत के पहले कभी भी आ सकती है।
बताया गया है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता और गरीबों के कल्याण के लिए शुरू की गई योजनाओं के क्रियान्वयन में ब्यूरोक्रेट्स की मनमानी भी भाजपा को महापौर का चुनाव हराने की वजह मानी जा रही है। इसके चलते 20 जुलाई को घोषित होने वाले द्वितीय चरण के नगर निकाय चुनाव परिणाम के बाद ब्यूरोक्रेसी में बड़े बदलाव होना तय माने जा रहे हैं।
इस बदलाव में कई जिलों के कलेक्टरों और राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों का हटना तय माना जा रहा है।
दूसरे चरण के चुनाव परिणाम के लिए अब भाजपा की जिन जिलों पर निगाहें हैं, उनमें देवास, कटनी, रीवा, रतलाम और मुरैना के महापौर के पद शामिल हैं। इसके अलावा जबलपुर, सिंगरौली, ग्वालियर और छिंदवाड़ा के महापौर के चुनाव भाजपा हार चुकी है।
प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि जिन जिलों में मेयर कैंडिडेट को हार का सामना करना पडा है, उसमें सबसे अधिक शिकायत जबलपुर कलेक्टर को लेकर हैं। यहां गरीब कल्याण योजनाओं में अधिकारियों की लापरवाही के चलते लोगों को परेशान होने और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के भी कई मामले सरकार तक पहुंचे हैं। इसी तरह ग्वालियर कलेक्टर के विरुद्ध भी योजनाओं का लाभ नहीं पाने वाले हितग्राहियों की शिकायतें सामने आती रही हैं। छिंदवाड़ा और सिंगरौली में भी नेताओं की शिकायतें कलेक्टरों के विरुद्ध चुनाव के दौरान मिली हैं। इसके अलावा राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों में शामिल अपर कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर कैडर के अधिकारियों द्वारा किसानों, आमजनों की शिकायतों पर त्वरित एक्शन नहीं लिए जाने का असर भी चुनाव हारने की वजह माना जा रहा है। इसलिए अब कयास लगाए जा रहे हैं कि 20 जुलाई के बाद व्यापक पैमाने पर तबादले होंगे।