
ट्रंप को समझा दो … 21वीं सदी भारत की है…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
इन दिनों वैश्विक परिदृश्य में आसियान शिखर सम्मेलन की चर्चा हो रही है। चर्चा की खास वजह है इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शामिल नहीं होकर वर्चुअली संबोधित करना। चर्चा की विशेष वजह यह भी है कि इस सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मलेशिया पहुंचे हैं। तो ट्रंप के विरोधी तीन शक्तिशाली देशों रूस, चीन और भारत के मुखियाओं ने घोषित तौर पर ट्रंप का बॉयकाट कर दिया है और इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रतिनिधि के तौर पर विदेश मंत्री एस जयशंकर को मलेशिया भेज दिया है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 अक्टूबर 2025 को मलेशिया में आयोजित ‘आसियान-भारत’ शिखर सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित किया। उन्होंने आसियान की सफल अध्यक्षता के लिए मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम को बधाई दी। और प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ’21वीं सदी भारत और आसियान की सदी है।’ यह एक वाक्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाव ‘नई इबारत लिखने को तैयार भारत’ से पूरी दुनिया को रूबरू करवा रहा है। तो ट्रंप और पूरी दुनिया को इस हकीकत को आत्मसात करने का कड़ा संदेश दे रहा है। पीएम मोदी ने भारत के कंट्री कोऑर्डिनेटर की भूमिका कुशलता से निभाने पर फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस का धन्यवाद भी किया। मोदी ने कहा कि आसियान भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का मुख्य स्तंभ है तथा भारत आसियान के इंडो पैसिफिक दृष्टिकोण का समर्थन करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत हर आपदा में अपने आसियान मित्रों के साथ मजबूती से खड़ा रहा है। मानवीय सहायता और आपदा राहत, समुद्री सुरक्षा और ब्लू इकोनॉमी में हमारा सहयोग तेजी से बढ़ रहा है। इसको देखते हुए, हम 2026 को ‘आसियान-इंडिया समुद्री सहयोग का वर्ष’ घोषित कर रहे हैं। 21वीं सदी भारत और आसियान की सदी है। भारत आप सब के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने आसियान के नए सदस्य के रूप में तिमोर-लेस्ते का भी स्वागत किया। दक्षिण पूर्व एशियाई देश तिमोर-लेस्ते इस संगठन का 11वां सदस्य बना है। आसियान के अन्य सदस्यों में मलेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई और म्यांमार शामिल हैं।
वैसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक आयोजनों से दूर रहने वाले नेता के तौर पर नहीं जाने जाते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशन्स (आसियान) समिट में शामिल होने मलेशिया नहीं जाना और वर्चुअली जुड़ना, पूरी कहानी बयां कर रहा है। यह समिट मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में 26 से 28 अक्टूबर 2025 तक है। इस समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अलावा जापान की प्रधानमंत्री सनाए तकाइची, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा भी शामिल हो रहे हैं।
दूसरी तरफ इस समिट में पीएम मोदी के अलावा चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शामिल नहीं हो रहे हैं। और इसका सीधा सा मतलब यह है कि यह तीन ताकतवर नेता ट्रंप से मिलने की न तो जरूरत समझते हैं और न ही ट्रंप से मिलना इनकी मजबूरी है। हालांकि ट्रंप का एशिया दौरा 26 अक्टूबर को मलेशिया से शुरू हो रहा है, जो जापान के बाद दक्षिण कोरिया में खत्म होगा। दक्षिण कोरिया में आयोजित एशिया पैसिफिक इकनॉमिक कोऑपरेशन (एपीईसी) समिट में ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हो सकती है। और इसी मुलाकात के लिए शायद अमेरिका ने चीन को लेकर अपनी खास रणनीति भी तैयार कर ली है। लेकिन इसके बाद भी दोनों के बीच रिश्ते सुधरेंगे, इसकी संभावना बहुत ज्यादा नजर नहीं आ रही है। वहीं जब ट्रंप मलेशिया में नाच रहे हैं, तब रूस अपनी ताकत का अहसास करा रहा है और यूक्रेन में तबाही मचा रहा है। और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब दक्षिण कोरिया जा रहे हैं तो उससे पहले ही उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक आपसी रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। उत्तर कोरिया ने यूक्रेन पर मास्को के पूर्ण आक्रमण का समर्थन करने के लिए रूस को सैनिक, गोला-बारूद और मिसाइलें भेजी हैं। उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने कहा कि उनके देश और रूस के बीच सैन्य भाईचारा बिना रुके आगे बढ़ेगा।
ऐसे में सारी स्थितियां साफ हैं। और वैश्विक समीकरण मैदान में खड़े होकर ट्रंप को चिढ़ा रहे हैं। ऐसे में ट्रंप का मलेशिया पहुंचकर नाचना दुनिया के सामने अपनी विफलताओं को छिपाने की कोशिश करना है या फिर इनसे सीख लेकर अपनी रणनीति में बदलाव को लेकर उत्साहित होना है… यह आने वाला समय बताएगा। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आसियान शिखर सम्मेलन में वर्चुअली संबोधन और उसमें यह कहना कि 21वीं सदी भारत और आसियान की है… यह साफ कर रहा है कि भारत को अपनी ताकत पर और अपने संसाधनों पर पूरा भरोसा है। और मोदी सीधे तौर पर यही कहते नजर आ रहे हैं कि ट्रंप को समझा दो कि 21वीं सदी भारत की ही है… इसको लेकर यदि ट्रंप के मन में कोई भ्रम है तो वह मलेशिया में दफन कर या समुद्र में फेंककर ही वापस अमेरिका जाएं तो ज्यादा बेहतर है।
लेखक के बारे में –
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।





