माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के छात्रों ने ‘विकल्प’ से खोली भोपाल पब्लिक ट्रांसपोर्ट की पोल

▪️ग्राउंड रिपोर्टिंग, रिसर्च और हकीकत पर आधारित विशेषांक ने सिस्टम को आईना दिखाया

218

माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के छात्रों ने ‘विकल्प’ से खोली भोपाल पब्लिक ट्रांसपोर्ट की पोल

Bhopal: राजधानी की स्मार्ट सिटी योजना के बीच पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जमीनी हकीकत पर अब पत्रकारिता के छात्रों ने सरकार और सिस्टम को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के पत्रकारिता विभाग के छात्रों ने अपने प्रायोगिक अखबार ‘विकल्प’ का विशेषांक तैयार किया है, जो शहर की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पर आधारित है।

इस अंक ने रिसर्च, सर्वे, ग्राउंड विजिट्स और नागरिकों के अनुभवों के जरिए राजधानी के बस सिस्टम की खामियों को उजागर किया है।

🔸पत्रकारिता की प्रयोगशाला बनी राजधानी की सड़कें

“क्लासरूम से ज्यादा सिखाया मैदान ने” यही भावना छात्रों के इस प्रयास में दिखी। 25 से अधिक छात्र-छात्राओं ने तीन हफ्तों तक भोपाल के प्रमुख बस रूट्स- एमपी नगर, न्यू मार्केट, भेल, अरेरा कॉलोनी, करोंद, कोलार, बावड़ियाकलां और अशोका गार्डन का दौरा किया। इन ग्राउंड विजिट्स के दौरान उन्होंने बस स्टॉप्स की स्थिति, यात्रियों की मुश्किलें, ई-बसों की उपलब्धता, टिकटिंग सिस्टम और टाइमिंग की अव्यवस्था पर डेटा जुटाया। रिपोर्टों में यह पाया गया कि कई स्टॉप्स पर बसें घंटों तक नहीं पहुंचतीं, कई जगह ई-बसें तकनीकी खराबी के कारण खड़ी रहती हैं, और स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद यात्रियों को सुविधा के बजाय असुविधा ही मिल रही है।

🔸कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी बोले – “पत्रकारिता तभी सार्थक है जब वह जनता की आवाज़ बन जाए”

‘विकल्प’ के विशेषांक का विमोचन विश्वविद्यालय के एमपी नगर स्थित सिटी कैंपस के विकास भवन में हुआ।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने कहा- “पत्रकारिता की असली ताकत जनता की आवाज़ उठाने में है। जब छात्र अपनी रिपोर्टों के माध्यम से सामाजिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं, तो यह पत्रकारिता की परंपरा को मजबूत करता है। मुझे गर्व है कि माखनलाल के छात्र समाज की नब्ज़ पकड़ना सीख रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अब ऐसी प्रायोगिक पत्रकारिता को और प्रोत्साहित करेगा ताकि छात्र केवल थ्योरी नहीं, बल्कि जमीनी पत्रकारिता का भी अनुभव लें।

🔸छात्र बोले- “स्मार्ट सिटी में ट्रांसपोर्ट इतना अनस्मार्ट क्यों?”

इस अंक में प्रकाशित कई रिपोर्टों के शीर्षक अपने आप में सवाल बनकर उभरे- “बस की जगह इंतजार”, “स्मार्ट कार्ड पर स्मार्ट सर्विस नहीं”, “महिलाओं की सुरक्षा सिर्फ विज्ञापनों में” जैसे लेखों ने चर्चा छेड़ दी है।

IMG 20251112 WA0200

छात्रों का कहना है कि यह अंक निकालने के पीछे उद्देश्य केवल रिपोर्टिंग नहीं, बल्कि “सामाजिक जवाबदेही” पैदा करना था।

पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी ने बताया कि- “यह परियोजना छात्रों की प्रयोगात्मक पत्रकारिता का हिस्सा थी, लेकिन उन्होंने इसे एक गंभीर सामाजिक विषय में बदल दिया। यह पत्रकारिता की सच्ची भावना है।”

🔸रिपोर्टों में शामिल ग्राउंड फोटो और डेटा

‘विकल्प’ के विशेषांक में दर्जनों फोटो भी शामिल हैं जो बस स्टॉप्स की जर्जर स्थिति, यात्रियों की भीड़ और खाली बसों की हकीकत दिखाते हैं।

कई छात्रों ने अपने मोबाइल कैमरों से यह डॉक्युमेंट किया कि कैसे यात्रियों को एक बस के लिए 40–50 मिनट तक इंतजार करना पड़ता है।

कुछ रिपोर्टों में यह भी सामने आया कि जिन रूट्स पर ई-बसें चलनी थीं, वहां आज भी डीजल मिनी बसें चल रही हैं।

🔸विमोचन समारोह में शिक्षकों और छात्रों की बड़ी उपस्थिति

विमोचन समारोह में विभागाध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी, प्रो. शिवकुमार विवेक, प्रो. अनूप दत्ता, संकाय सदस्य और बड़ी संख्या में छात्र मौजूद रहे।

कार्यक्रम के बाद छात्रों ने ‘विकल्प’ की प्रतियां भोपाल के प्रमुख समाचार संस्थानों- दैनिक भास्कर, नईदुनिया, एनडीटीवी म.प्र., इंडिया टीवी डिजिटल के संपादकों को सौंपकर इस अंक को मीडिया जगत में चर्चा का विषय बना दिया।

🔸पत्रकारिता की नई दिशा

‘विकल्प’ का यह अंक न केवल छात्रों की पत्रकारिता क्षमता का उदाहरण है, बल्कि यह दिखाता है कि विश्वविद्यालय से निकले युवा पत्रकार समाज में रचनात्मक परिवर्तन लाने की सोच रखते हैं।

यह पहल माखनलाल विश्वविद्यालय की उस परंपरा को आगे बढ़ाती है जहां पत्रकारिता को “व्यवस्था का प्रतिबिंब” नहीं बल्कि “परिवर्तन का साधन” माना जाता है।