‘मोहन’ के मजबूत स्तंभ साबित होंगे ‘मकवाना’…

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‘मोहन’ के मजबूत स्तंभ साबित होंगे ‘मकवाना’…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

कैलाश मकवाना को मध्यप्रदेश का अगला डीजीपी बनाया जाना एक चौंकाने वाला लेकिन सरकार का सौ फीसदी खरा फैसला है। तीन नामों के पैनल में शामिल होने के बाद भी यह समझ नहीं आ रहा था कि सरकार कैलाश मकवाना को ही अगला डीजीपी बनाने जा रही है। हालांकि जिस तरह मुख्य सचिव के लिए अनुराग जैन के नाम पर मुहर लगी थी, ठीक उसी अंदाज में सरकार ने कैलाश मकवाना के नाम पर मुहर लगाकर यह जता दिया है कि कानून-व्यवस्था के मामले में वह किसी तरह का समझौता करने को राजी नहीं है। यह तो बस संयोग ही है कि मोहन यादव की तरह कैलाश मकवाना भी उज्जैन के हैं। इस फैसले से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को एक ईमानदार, सख्त और समझौता न करने वाला एक सच्चा सारथी मिल गया है। आगामी दो साल मध्यप्रदेश में कानून-व्यवस्था को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे, यह उम्मीद अब की जा सकती है। और अब दागी चेहरों के लिए आने वाले दिन कांटों भरे होने की संभावना बढ़ गई है। अब यह भी कहा जा सकता है कि अपनी पसंद के प्रशासनिक मुखिया अनुराग जैन और पुलिस के मुखिया कैलाश मकवाना संग मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मध्यप्रदेश को नई उड़ान पर ले जाने को तैयार हैं। अनुराग जैन और कैलाश मकवाना उस गाड़ी के दो पहिए होंगे, जो डॉ. मोहन यादव की छवि को पूर्णिमा के चांद की तरह पूरी दुनिया में बिखेरने की पूरी कोशिश करेंगे।

कैलाश मकवाना 1988 बैच के आईपीएस अफसर हैं। उनकी नियुक्ति 30 अगस्त 1988 को हुई थी। अब जब मध्य प्रदेश के डीजीपी सुधीर सक्सेना का कार्यकाल 30 नवंबर को खत्म हो रहा है, तब उनकी जगह मकवाना एक दिसंबर 2024 को डीजीपी की कुर्सी पर आसीन हो जाएंगे। कैलाश मकवाना ने बीई किया है। इसके अलावा एमटेक की भी पढ़ाई की है। कैलाश मकवाना के एक्स प्रोफाइल पर खुद को आईआईटी से एमटेक बताया है। कैलाश मकवाना की गिनती तेज-तर्रार आईपीएस अफसरों में होती है। उन्हें वर्ष 2022 में विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त में महानिदेशक बनाया गया था। इस दौरान उन्होंने एक आईएएस और एक आईएफएस अफसर के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला भी दर्ज कराया था। इसी बीच महाकाल लोक कॉरिडोर की जांच शुरू हो गई, जिसके बाद उन्हें यहां से ट्रांसफर कर दिया गया था। और मकवाना को मप्र पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन में चेयरमैन बनाया था। तब से वह इसी पद पर तैनात हैं। कैलाश मकवाना ने एक दौर यह भी देखा, जिस दौरान उनके खूब तबादले हुए। साढ़े तीन साल में उनके सात बार ट्रांसफर हुए। जब मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार बनी, तो महज एक साल में उनका तीन बार ट्रांसफर किया गया।

कैलाश मकवाना ने 9 महीने पहले अपनी एसीआर (गोपनीय चरित्रावली) सुधारवाने के लिए मप्र शासन से अपील की थी। इसमें उन्होंने अपने 35 साल की पुलिस सेवा का हवाला देते हुए कहा था कि लोकायुक्त संगठन में डीजी रहने के दौरान उनका सीआर खराब किया गया था। सीएम मोहन यादव ने मकवाना को 10 में से 10 नंबर दिए। जिसके बाद वह डीजीपी की रेस में शामिल हो सके। और आखिरकार 2004 में सिंहस्थ के नोडल अफसर रहे मकवाना 20 साल बाद महाकाल के कृपापात्र बनकर मध्यप्रदेश पुलिस के मुखिया बन गए। और इस बार सिंहस्थ-2028 के लिए पुलिस विभाग की सारी तैयारी भी 2026 नवंबर तक मकवाना के निर्देशन में होना तय है। ऐसे नेक और ईमानदार अफसर मकवाना के नाम पर मुहर लगाकर मध्यप्रदेश ने खुद को गौरवान्वित ही किया है। और इसमें कतई संशय नहीं है कि मकवाना,मोहन के मजबूत स्तंभ साबित होंगे..

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