Malaria Vaccine: पहली बार घातक मलेरिया का इलाज,WHO ने दी मंजूरी

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   पूरी दुनिया कोविड-19 से जूझ रही है। इसके खिलाफ आई वैक्सीन का प्रभाव 95% तक बताया गया है। लेकिन, मलेरिया की वैक्सीन सिर्फ 30% प्रभावी है। फिर भी इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंजूरी दी।

यह वैक्सीन पी फाल्सीपेरम के खिलाफ कारगर है, जिसे दुनियाभर में सबसे खतरनाक मलेरिया पैरासाइट माना जाता है। मॉस्किरिक्स (Mosquirix} दुनिया की पहली और अब तक की इकलौती मलेरिया वैक्सीन है। इससे अफ्रीका में बच्चों पर हुए ट्रायल्स में जानलेवा गंभीर मलेरिया को कमजोर करने में बड़ी सफलता मिली है।

इस पहली मलेरिया वैक्सीन ने क्लिनिकल डेवलपमेंट प्रक्रिया को पूरा कर लिया। यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (EMA) से भी पॉजिटिव साइंटिफिक राय हासिल की जा चुकी है।
EMA के मुताबिक मॉस्किरिक्स वैक्सीन 6 से 17 महीने के बच्चों को चार डोज में दी जाती है। यह मलेरिया के खिलाफ संरक्षण देती है। साथ ही हेपेटाइटिस-B वायरस के साथ संक्रमण को लिवर तक पहुंचने से भी रोकती है।

EMA ने चेतावनी दी है कि वैक्सीन का इस्तेमाल सिर्फ इसी मकसद के लिए किया जाए। यह वैक्सीन ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (GSK) ने 1987 में विकसित की थी। इसके बाद इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। मॉस्किरिक्स के चार डोज देने पड़ते हैं और प्रोटेक्शन कुछ महीनों बाद बेकार हो जाता है।

   2019 के बाद Mosquirix के 23 लाख डोज घाना, केन्या, मालावी में बच्चों को दिए गए। इस पायलट प्रोग्राम को WHO ने कोऑर्डिनेट किया। इन इलाकों में मलेरिया की वजह से अंडर-5 मोर्टेलिटी रेट बहुत ज्यादा है।

*कैसे इस्तेमाल*
Mosquirix को 0.5 मिली इंजेक्शन के जरिए जांघ या कंधे की मांसपेशी में लगाया जाता है। बच्चे को तीन इंजेक्शन एक महीने के अंतर से दिए जाते हैं। चौथा इंजेक्शन तीसरे के 18 महीने बाद लगाया जाता है। मॉस्किरिक्स सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही लगाया जा सकता है।

EMA के वैज्ञानिकों के मुताबिक मॉस्किरिक्स का एक्टिव सब्सटेंस प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम पैरासाइट की सतह पर पाए जाने वाले प्रोटीन से बना है। जब किसी बच्चे को यह इंजेक्शन लगते हैं तो उसका इम्यून सिस्टम पैरासाइट से ‘फॉरेन’ प्रोटीन की पहचान कर उसके खिलाफ एंटीबॉडी बना लेता है।

*Mosquirix कितनी प्रभावी*
मलेरिया पर Mosquirix की प्रभाव क्षमता गंभीर मामलों से बचाने में सिर्फ 30% है। मलेरिया के खिलाफ यह इकलौती अप्रूव्ड वैक्सीन है। यूरोपीय यूनियन के ड्रग रेगुलेटर ने इसे 2015 में मंजूरी दी थी। यह भी कहा था कि इसके जोखिम के मुकाबले फायदे अधिक हैं।

WHO ने भी कहा कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट बहुत ही कम हैं, पर कभी-कभी बुखार के साथ अस्थाई दौरे पड़ सकते हैं।  इम्पीरियल कॉलेज ऑफ लंदन की इन्फेक्शियस डिजीज की प्रमुख आजरा घनी ने कहा कि इफेक्टिवनेस को देखें और यह मलेरिया वैक्सीन अफ्रीका में 30% असर भी दिखाए तो 80 लाख कम केस आएंगे और 40 हजार बच्चों की जान बचाई जा सकेगी, यह महत्वपूर्ण है।

जो लोग मलेरिया से प्रभावित देशों में नहीं रहते, उन्हें 30% कमी ज्यादा असरदार न लग रही हो, पर जो लोग उन इलाकों में रहते हैं उनके लिए मलेरिया सबसे बड़ी समस्या है।