

Malegaon Case : प्रज्ञा ठाकुर सहित 7 आरोपियों के खिलाफ मालेगांव केस में फैसला 8 मई को
Mumbai : भाजपा नेता और भोपाल संसदीय क्षेत्र से सांसद रही प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव मामले में मुश्किल में फंस गई। 2008 के मालेगांव बम धमाके के आरोपों से घिरी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित 7 आरोपियों को एनआईए (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धारा 16 के तहत सजा देने का अनुरोध किया है।
सितंबर, 2008 का मालेगांव विस्फोट उन पहली आतंकी घटनाओं में से एक था, जिसमें दक्षिणपंथी हिंदुत्व समूहों को संदिग्ध के तौर पर नामित किया गया था। महाराष्ट्र एटीएस की शुरुआती जांच में साध्वी प्रज्ञा को मुख्य आरोपी माना था। लेकिन बाद में एनआईए ने उनसे पूछताछ करने में आनाकानी की, जिससे सवाल उठने लगे।
एनआईए की मांग है कि अपराध के अनुपात में उचित सजा दी जाए। एनआईए ने दलीलों में ये उल्लेख किया है, कि जिस तरह का अपराध किया गया था, उसके अनुपात में आरोपियों को सजा दी जाए। इस केस में प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ यूए(पी) के सेक्शन 16 और 18 और आईपीसी की धारा 120 बी, 302, 307, 324, 326 और 427 के मामले दर्ज किए गए थे। इस 17 साल पुराने बम धमाके में 6 मुस्लिम मारे गए और 100 से अधिक घायल हो गए। मामले की दलीलें पूरी होने के बाद एनआईए की आखिरी लिखित दलील दायर की है। एनआईए ने दायर की इस दलील में करीब डेढ़ हजार पेज हैं। हालांकि, कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। जज एके लाहोटी 8 मई को अपना फैसला सुनाएंगे।
धमाके की साजिश रचने के आरोप प्रज्ञा ठाकुर पर
मामले में साध्वी प्रज्ञा, कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, समीर कुलकर्णी, स्वामी दयानंद पांडे और सुधाकर चतुर्वेदी पर हिंदुत्व विचारधारा से जुड़ी एक व्यापक साजिश के तहत विस्फोट की साजिश रचने और उसे अंजाम देने का आरोप है। पहले एनआईए की ओर से कहा गया था कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने अदालत से किसी भी तरह की नरमी न बरतने का आग्रह किया। जबकि, 323 गवाहों में से 32 ने कथित तौर पर दबाव में आकर अपने बयान वापस ले लिए।