

Malnutrition is a Serious Problem : एक गंभीर समस्या और इसके प्रबंधन की सफल कहानी!
हरदा से अभिषेक दमाडे की विशेष रिपोर्ट!
Harda : कुपोषण एक गंभीर समस्या है जो व्यक्तियों, विशेष रूप से बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। इसके लिए हमें जागरूकता बढ़ाने और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। हरदा जिले में कुपोषण के प्रबंधन के लिए एक सफल पहल की गई है, जिसमें गर्भावस्था के प्रथम हजार दिवस के महत्व पर ध्यान देकर कुपोषण की रोकथाम के लिए विभिन्न कार्य किए गए। शासन के निर्देशानुसार पोषण पखवाड़ा कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से चलाया जा रहा हैं। पोषण पखवाड़ा में विभिन्न गतिविधियों के तहत ग्रामों में समुदाय के साथ मिलकर जागरुकता कार्यक्रम चलाया गया हैं।
प्रतिमाह 11 तारीख से 20 तारीख तक वजन अभियान से कुपोषण बच्चों की पहचान करके उनका प्रबंधन IMAM या एनआरसी में भर्ती करके किया जाता हैं।
कुपोषण पर विस्तृत जानकारी देते हुए महिला एवं बाल विकास पर्यवेक्षक सुश्री संगीता राजपूत ने बताया कि कुपोषण एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिलते हैं, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। बच्चों में कुपोषण के कारण शारीरिक और मानसिक विकास में समस्याएं हो सकती हैं।
*जानिए बच्चों में कुपोषण के लक्षण!*
1. वजन कम होना : बच्चों का वजन उनकी उम्र के अनुसार कम होना।
2. बढ़ने की दर धीमी होना : बच्चों की ऊंचाई और वजन की बढ़ने की दर धीमी होना।
3. कमजोरी और थकान : बच्चे जल्दी थक जाते हैं और कमजोर महसूस करते हैं।
4. बीमारियों की संभावना बढ़ना : कुपोषित बच्चों में बीमारियों की संभावना अधिक होती है।
5. मानसिक विकास में समस्याएं : कुपोषण के कारण बच्चों के मानसिक विकास में समस्याएं हो सकती हैं।
*बच्चों में कुपोषण की वजह!*
1. अपर्याप्त आहार : बच्चों को पर्याप्त और संतुलित आहार नहीं मिलना।
2. पोषक तत्वों की कमी : आहार में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी।
3. बीमारियां : बार-बार होने वाली बीमारियां जो पोषक तत्वों के अवशोषण को प्रभावित करती हैं।
4. आर्थिक समस्याएं : परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने से बच्चों को पर्याप्त आहार नहीं मिल पाता।
*कुपोषण की रोकथाम!*
कुपोषण की रोकथाम के लिए विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं!
– संतुलित आहार का सेवन : बच्चों को संतुलित और पौष्टिक आहार देना।
– पोषक तत्वों की पूर्ति : बच्चों को आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति करना।
– *कैसे की जाएं नियमित स्वास्थ्य जांच!*
– बच्चों को नियमित स्वास्थ्य जांच कराना।
– बीमारियों का इलाज : सही समय पर बीमारी का पता करके इलाज कराना।
– स्वच्छता और स्वच्छ पेयजल : बच्चों को स्वच्छता और स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
जानिए गर्भावस्था के प्रथम हजार दिवस का महत्व!
गर्भावस्था के प्रथम 1 हजार दिवस (गर्भधारण से लेकर बच्चे के दो साल तक) का महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि इस दौरान बच्चे के विकास और वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। गर्भवती महिलाओं को संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए और नियमित स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए ताकि कुपोषण की समस्या से बचा जा सके।
*हरदा जिले में कुपोषण के प्रबंधन की सफल पहल!*
हरदा जिले में कुपोषण के प्रबंधन के लिए कलेक्टर आदित्य सिंह द्वारा ‘हृदय अभियान’ की एक सफल पहल की गई हृदय अभियान जिले में कुपोषण के प्रबंधन के लिए चलाया गया है, जिसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और बच्चों को संतुलित आहार, स्वास्थ्य एवं बच्चों को शिक्षा की सेवाएं प्रदान करना है। इस अभियान में महिला बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग एवं शिक्षा विभाग के समन्वय से ग्रामों को कुपोषण मुक्त करना है।
*हृदय अभियान के तहत किए गए उपाय!*
– गर्भवती महिलाओं को संतुलित आहार का सेवन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
– नियमित स्वास्थ्य जांच कराने के लिए जागरूक किया गया है।
– कुपोषण के लक्षणों और कारणों के बारे में जागरूकता फैलाई गई है।
– कुपोषण की रोकथाम के लिए Morvita (मुंगना पाउडर) व दूध पाउडर का सेवन उचित मात्रा में बच्चों को लगातार कराया गया।
हरदा जिले में कुपोषण के प्रबंधन के लिए हृदय अभियान एक सफल पहल है, जिसके परिणामस्वरूप कुपोषण की दर में कमी आई है और लोगों के स्वास्थ्य और विकास में सुधार हुआ हैं!