Mandsaur Breaking – सम्मेद शिखर तीर्थ प्रकरण को लेकर स्पष्टीकरण जरूरी – समूचे जैन समाज का प्रतिनिधि कौन ? -पूर्व मंत्री श्री नाहटा 

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Mandsaur Breaking – सम्मेद शिखर तीर्थ प्रकरण को लेकर स्पष्टीकरण जरूरी – समूचे जैन समाज का प्रतिनिधि कौन ? -पूर्व मंत्री श्री नाहटा 

 

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर । देश भर में चल रहे चर्चित मसले झारखंड के सम्मेदशिखर तीर्थ के बारे में अलग – अलग वक्तव्य सामने आये हैं ।

झारखंड राज्य सरकार और केंद्र सरकार के मंत्री श्री भूपेंद्र यादव की बात सामने आई है पर अभी स्पष्ट रूप से तथ्यात्मक जानकारी नहीं मिल पाई है जबकि जैन समाज के ही कतिपय महानुभावों ने आदरणीय प्रधान मंत्रीजी को आभार के विज्ञापन 7 जनवरी के समाचार पत्रों में छपे है । प्रथम पृष्ठ पर आधे पृष्ठ का एक विज्ञापन है जिसमे समूचे जैन समाज की और से प्रधान मंत्री जी का आभार माना गया है।

इस बारे में मंदसौर जिले के जैन समाज एवं वैश्य महासम्मेलन से जुड़े प्रदेश के पूर्व मंत्री श्री नरेंद्र नाहटा ने तर्कपूर्ण बात उठाई है ।

पूर्व मंत्री श्री नाहटा ने अपने वक्तव्य में कहा कि कुछ धर्मों की जो थोड़ी बहुत जानकारी मुझे है उसके अनुसार तो केवल कैथोलिक ( सम्पूर्ण ईसाई धर्म नहीं ) ईसाईयों में पोप ही ऐसे है जो अपने धर्म का प्रतिनिधित्व या व्यवस्था नियंत्रित करते है। शेष धर्मों में मैंने कोई पद या संस्था ऐसी नहीं देखी जो सारे समाज की और से बोलने के क्षमता रखता हो अथवा अधिकृत हो। सनातन धर्म ,जैन, बौद्ध, मुस्लिम धर्म, किसी में नहीं ? तब यह कौनसा व्यक्ति या संस्था है जो समूचे जैन समाज की और से बोल रहा है और सम्पूर्ण समाज का प्रतिनिधित्व जताया जारहा है ?

श्री नाहटा ने कहा सम्मेदशिखर मामले में अबतक जितना हुआ उसके लिए प्रधानमंत्री जी का आभार मानता हूँ। परन्तु क्या यह जैन समाज की चिंताओं को दूर करने के लिए पर्याप्त है ? बिलकुल नहीं।

विरोध प्रदर्शन के दिन जब आव्हान तो मौन जुलूस का था , पर नारे झारखंड सरकार होश में आओ के लगे।

वर्तमान में पदासीन झारखंड सरकार ने यह भी नहीं कहा कि यह अनुशंसा पिछली सरकार की है और उसी दिन अनुशंसा वापस लेली। तब तत्काल ही केंद्र सरकार भी वापस ले सकती थी ? ऐसा तो नहीं हुआ।

फिर यदि आभार ही मानना था तो इतनी शालीनता तो रखनी थी कि दोनों सरकारों ( राज्य एवं केंद्र ) का आभार मानते। जो नहीं हुआ ।

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श्री नाहटा ने बताया कि गत दिवस एक वीडिओ श्री सौरभ भंडारी का भी देखने में आया है । 14 मिनिट के इस वीडिओ में उनने हमें और समाज को समझाने के लिए बहुत मेहनत की है कि केंद्र सरकार ने जैनियों और जैन समाज की सारी चिंताएं तत्परता से दूर कर दी है। वीडियो में श्री भंडारी ने यह भी समझाया कि गजट नोटिफिकेशन में समय लगता है , लम्बी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।

इस पर श्री नाहटा कहते हैं कि सौरभ भंडारी आपका यह जैन भाई ( स्वंय ) भी कुछ समय मध्यप्रदेश सरकार का अंग रहा है। नोटिफिकेशन तो ठीक आर्डिनेंस भी तत्काल जारी हो जाते है। फिर वह कौनसी प्रक्रिया , अपनाई जाएगी जिसके कारण समय लगेगा।

श्री नाहटा ने कहा सारी बात सम्मेद शिखर तीर्थ की हुई। देश के और भी तो तीर्थ स्थान है जहाँ जैनियों और जैन समाज की चिंताए दूर होनी चाहिए।

एक वरिष्ठ नेता ने गुजरात सरकार को धन्यवाद देते हुए कि सरकार ने पालीताना तीर्थ और गिरनार तीर्थ की सारी समस्याएं तत्काल ठीक करदी, झारखंड सरकार को सलाह दी कि वह भी ऐसा ही काम करे। क्षमा याचना मिच्छामि दुक्डम कहते हुए पूछना चाहते हैं कि क्या यह सही है ?

आपने अपने वक्तव्य में कहा कि हम सबकी अपनी राजनैतिक विचार धारा है , मान्यताए है। उसी के अनुसार वोट देते है। पर राजनीतिक लाभ के लिए समाज और देश का नुकसान मत कीजिए । समाज के विश्वास और सम्मान का सम्मान करे। राजनीति में धर्म का प्रतिनिधित्व कीजिये , धर्म में राजनीति का नहीं।

आपने एक चिंता और जताई , इतने वर्षों तक जैन समाज और आदिवासी संथाल बंधु अपनी मान्यताओं के आधार पर शिखर की पूजा करते रहे। कभी संथाली आदिवासियों ने नहीं कहा कि जैनियों ने अतिक्रमण किया है। अचानक वे जैन समाज के विरोधी कैसे हो गए ?

इस पर मुझे केशरिया जी ( ऋषभ देव) का प्रकरण याद आता है जहाँ सदियों तक एक साथ पूजा करने वाला भील समाज अचानक जैन विरोधी हो गया और परिणाम स्वरूप एक ऐतिहासिक मंदिर जैन धर्म से बहुधर्मी हो गया। समाज की चिंताओं को दूर कीजिये , यह आवश्यक लगता है ।

श्री नाहटा ने कहा मेरी मान्यता तो सारे धर्मों के बीच समन्वय की है। इसलिए किसी धर्म के प्रति दुर्भावना का प्रश्न नहीं है। पर ऐसी परिस्थितियों का निर्माण मत कीजिये जो विभिन्न धर्मों में दुराव पैदा करे। हम सदियों से एक साथ रहे है , अब भी साथ ही रहेंगे। अभी तक जो नहीं हुआ वह अब क्यों हो?

पूर्व मंत्री श्री नाहटा ने सभी जैन समाज नेताओं से अपील है कि केन्द्र सरकार से आग्रह करे और तीन मुद्दों का समाधान करें

🔸 गजट नोटिफिकेशन निरस्त करे l यदि सम्मेद शिखर के अलावा किसी अन्य वन क्षेत्र की रक्षा करना हो तो अलग से नोटिफिकेशन जारी हो। 

🔸 सरकार आश्वासन दे कि सभी जैन तीर्थो में शासकीय हस्तक्षेप समाप्त होगा, जबकि सरकार जैन धर्म को अल्पसंख्यक मान चुकी है। 

🔸. जैन राजनेता धर्म और राजनीति के फर्क को बना रहने दे।

पूर्व मंत्री श्री नाहटा ने यह बात शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म माध्यम से सबके सामने रखी है और सहयोग व समाधान की अपेक्षा की है ।