Mandsaur Breaking – कांग्रेस अयोध्या निमंत्रण पर पुनर्विचार करे -पूर्व मंत्री नाहटा 

कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखा पत्र

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Mandsaur Breaking – कांग्रेस अयोध्या निमंत्रण पर पुनर्विचार करे -पूर्व मंत्री नाहटा 

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर । प्रदेश में दिग्विजयसिंह सरकार में मंत्री रहे एवं प्रदेश कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष नरेंद्र नाहटा ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिख कर आग्रह किया है कि कांग्रेस राम मंदिर प्रतिष्ठा के अवसर पर प्राप्त निमंत्रण को अस्वीकार करने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे.

 

पूर्व मंत्री श्री नाहटा ने कहा प्रतिष्ठा का यह दिन केवल इसलिए देश को उपलब्ध हो सका है कि वर्ष 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री और कांग्रेस संसदीय दल नेता राजीव गाँधी ने इसके लिए पहल कर वर्षों से बंद राम लला मंदिर का ताला खुलवाया था। बाद में भारतीय जनता पार्टी द्वारा चलाये गए आंदोलन और उसी के तारतम्य में निकाली गई रथ यात्रा ने केवल समाज का विभाजन किया , विभिन्न धर्मों के बीच दूरिया फैलाई ,हिंसा फैली ,कार सेवकों को अपनी जान देनी पड़ी ,देश को कलंकित करने वाली गोधरा और अहमदाबाद जैसी घटनाएं हुई. तब कांग्रेस पार्टी का पक्ष यही था कि समूचे प्रकरण को सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दिया जाए और उसके निर्णय को सभी पक्ष स्वीकार करे.भले ही तब भारतीय जनता पार्टी ने इसे स्वीकार नहीं किया हो , पर अंततः मोदी सरकार ने भी वही रास्ता अपनाया और कोर्ट के आदेश तक प्रतीक्षा की।

 

श्री नाहटा ने उल्लेख किया और बताया कि प्रसन्नता की बात यह भी है कि भले ही मुस्लिम धर्म के अनुयायियों को निर्णय पसंद नहीं आया हो पर उनने भी शांति से निर्णय को स्वीकार किया.

श्री नाहटा के अनुसार तत्कालीन समय देश में होने वाली हिंसा और समाज के विभाजन के ही कारण प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी ने भी कभी आंदोलन या रथ यात्रा में भाग नहीं लिया. उनने अपनी असहमति सार्वजनिक रूप से अभिव्यक्त की थी ।

 

श्री नाहटा ने पार्टी अध्यक्ष को भेजे पत्र में प्रश्न किया है कि अब जब कि मामला निपट चुका है सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय भी आ चुका है तब कांग्रेस कार्यकर्ता यह नहीं समझ पा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व इससे दूर क्यों रहना चाहता है ?

श्री नाहटा लिखते हैं यह सही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर प्रतिष्ठा कार्यक्रम को राजनैतिक इवेंट बना दिया है , ओर यह भी सही है कि अधूरे मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा केवल आने वाले लोक सभा चुनाव में लाभ के लिए की जा रही है। परन्तु विपक्ष के बाहर रहने से तो उनकी राह औरआसान होगी ।

श्री नाहटा ने कहा उनकी अनेक मुस्लिम नेताओ से चर्चा हुई है. वे भी इस मत के है कि कांग्रेस को राम मंदिर समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी चाहिए.

श्री नाहटा ने आशा व्यक्त की है कि कांग्रेस पार्टी अपने निर्णय पर पुनर्विचार कर, हिन्दू भावनाओ का सम्मान करते हुए प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भाग लेगी।

ज्ञातव्य है कि हाल ही में सम्पन्न विधानसभा चुनाव में श्री नाहटा मंदसौर संसदीय क्षेत्र की मनासा विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी थे ।