शिक्षा (Education) के क्षेत्र में बढ़ता-उभरता अपना मंदसौर;
प्राचीन दशपुर की पहचान ऐतिहासिक, पुरातात्विक, सांस्कृतिक, धर्म, कला, साहित्य पृष्ठभूमि की रही। मालवा का प्रतिनिधि नगर मंदसौर मूलतः कृषि प्रधान रहा पर अब शिक्षा के क्षेत्र में भी विशिष्ट पहचान बन रही है।
शताब्दी बीत गई जब मंदसौर को नगर पालिका मान्य किया। सीमा वृद्धि जनसंख्या अनुपात में हुई, अब पुनः आवश्यक प्रतीत होता है।
नवीन शिक्षण सत्र आरम्भ हो गया है और तैयारियां भी जोरों पर हैं। कोविड संक्रमण उपरांत यह पहला शिक्षा सत्र है, उत्साह देखा जा रहा है।
शिक्षा के क्षेत्र में मंदसौर को सबसे बड़ी उपलब्धि हाल ही में प्राप्त हुई जब मुख्यमंत्री ने चिकित्सा महाविद्यालय की आधारशिला रखी।
इसका आरम्भिक निर्माण भी शुरू हो गया है।
इंजीनियरिंग कॉलेज तो सितंबर 1998 में ही खुल गया। जब पद्मश्री, वरिष्ठ पत्रकार श्री अभय छजलानी ने उद्घाटन किया।
शासकीय महाविद्यालय 1958 से अस्तित्व में आया जो आज संभाग में प्रथम दर्ज़ा प्राप्त है।
कृषि और उद्यानिकी महाविद्यालय, विधि महाविद्यालय, आयुर्वेद महाविद्यालय, नर्सिंग कॉलेज, बी एड कॉलेज, फार्मेसी कॉलेज, गर्ल्स कॉलेज, म्यूजिक कॉलेज, मैनेजमेंट कॉलेज, पायलट ट्रेनिगं सेंटर के साथ नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय, उत्कृष्ट स्कूल, हायरसेकंडरी, माध्यमिक, प्राथमिक सहित सरकारी तथा निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थान संचालित है।
तकनीकी शिक्षण आई टी आई, चार्टर्ड अकाउंटेंट, कम्प्यूटर प्रशिक्षण के केंद्र भी हैं। वर्तमान में डीम्ड यूनिवर्सिटी के रूप में मंदसौर यूनिवर्सिटी स्थापित है, जिसके अंतर्गत विभिन्न कोर्स पढ़ाये जा रहे हैं।अब तो जिले में सी एम राइज विद्यालय भी खोले गए हैं।
यह सब आसानी से नहीं मिला मंदसौर को। मंदसौर कॉलेज स्थापना के लिए सड़कों पर आंदोलन करना पड़े। तब 1958 में मंजूरी मिली। उद्यानिकी महाविद्यालय मंदसौर में बने रहने के लिए लड़ना पड़ा। मेडिकल कॉलेज के लिए तो चार दशकों तक मांग उठाई जाती रही। हड़ताल तक की, नगर बंद रखा। अब तो केंद्र द्वारा स्वीकृत मंदसौर में प्रदेश का निजी क्षेत्र में पहला सैनिक स्कूल खुलने जा रहा है।
हवाई जहाज़ उड़ाने का पायलट ट्रेनिंग केंद्र चालू है अर्थात बुनियादी और उच्च शिक्षा के लिए धरातल तैयार है।
किसी भी नगर की साक्षरता के आधार पर जागरूकता मूल्यांकन होता है। 1961 में साक्षरता 43 प्रतिशत थी जो अब बढ़कर 86 फ़ीसदी हो गई। यह बढ़ते क्रम में जारी है।
विगत दो साल विभिन्न क्षेत्रों के साथ कोरोना महामारी से शिक्षा को सबसे अधिक प्रभावित किया। पढ़ने और पढ़ाने का क्रम खंडित हो गया। बच्चों और युवाओं की पीढ़ी को नुकसान हुआ।
अब शिक्षा-शिक्षक और शिक्षण हर स्तर पर सक्रिय हैं। नई शिक्षा नीति 2020 के परिपेक्ष्य में परिवर्तन का दौर है। निजी क्षेत्रों में ही नहीं शासन स्तर पर भी तेज़ी से बदलाव हो रहा है। अवकाश में भी शासकीय शिक्षकों का नीतिगत प्रशिक्षण चल रहा है।
विक्रम विश्वविद्यालय से संबद्ध मंदसौर का स्नातकोत्तर महाविद्यालय संभाग में प्रथम पायदान पर है जहां 12 हजार से अधिक विद्यार्थी कला, वाणिज्य, विज्ञान के साथ कंप्यूटर, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन आदि डिग्री प्राप्त कर रहे हैं। यूं तो यहां 14 कोर्स पढ़ाये जारहे हैं वहीं अर्थशास्त्र, इतिहास, जीवविज्ञान और राजनीति शास्त्र में पी एच डी शिक्षण हो रहा है।
परिणाम भी श्रेष्ठ मिल रहे हैं। संस्कृत, गणित, भूगोल आदि की प्रावीण्य सूची में मंदसौर अग्रणी है।
गर्ल्स कॉलेज में भी 2500 से अधिक छात्राएं तीनों संकाय के साथ समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री कर रही हैं।
इंजीनियरिंग, फार्मेसी, मैनेजमेंट, एग्रीकल्चर, आयुर्वेद, एनिमेशन, बीएड, पर्यटन, मास कम्युनिकेशन, सोशल साइंस आदि पाठ्यक्रम मंदसौर यूनिवर्सिटी में प्रमुखता से चल रहे हैं।
उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रदेश ही नहीं अन्य प्रदेशों के अलावा विदेशी छात्र भी अध्ययनरत हैं।
मंदसौर अब शिक्षा के क्षेत्र में उभर रहा है। विद्यार्थियों और अभिभावकों को आशा बंधी है और विभिन्न कोर्स में प्रवेश लेरहे हैं।
हाई स्कूल हो या हायरसेकंडरी, ग्रेजुएट हो या पोस्ट ग्रेजुएट, इंजीनियर हो या एमबीए, बीएएमएस हो या एग्रीकल्चर, मीडिया हो या फार्मेसी, एमएससी हो या पीएचडी हर स्तर पर प्रतिभाएं उभर रही है और देश-विदेश में सम्मान पूर्वक रोजगार प्राप्त कर रही है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में भी मंदसौर का प्रवेश हो रहा है। संख्या सीमित है।
यह बात अवश्य है कि उच्च शिक्षा का लाभ मंदसौर नगर को अपेक्षित रूप से नहीं मिल रहा है। इंजीनियर, एमबीए, पीएचडी, कंप्यूटर के युवा अन्यत्र ही जा रहे हैं। मंदसौर में कोई उपक्रम नहीं है और नहीं कोई प्रयास हो रहे। उच्च शिक्षित युवाओं की और अभिभावकों की प्राथमिकता कैरियर बनी हुई है।
मंदसौर में शासकीय और निजी क्षेत्रों में कोई बड़ा उद्योग नहीं होने से प्रतिभाओं का उपयोग नहीं हो रहा। स्थानीय रोजगारपरक शिक्षा के लिए प्रयास नगण्य हैं।
युवाओं में कुछ असन्तोष भी देखने में आया जो चिंता की बात है। रोजगार बड़ी समस्या बनी हुई है। फिर यह भी है कि डिग्री होना और काबिल होना दोनों में अंतर सामने आया। आज के प्रतिस्पर्धा के माहौल में केवल डिग्री आगे बढ़ने और सफ़लता प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है अन्य क्षेत्रों और विषयों में भी दक्षता अनिवार्य हो गई है, उसमें भी कोशिश करनी होगी।
मंदसौर में नीट(NEET), आईआईटी (IIT), मेडिकल, पर्सनालिटी डेवलपमेंट कोर्स आदि की कमी है। विवशता में बाहर जाना पड़ रहा है।
आज शिक्षा में जिज्ञासा बढ़ी, युवाओं में महत्वाकांक्षा बढ़ी, प्रयासों को परिणामों में बदलने की ललक भी बढ़ी है।
परम्परागत शिक्षा अब पीछे की बात हो गई नए और अद्यतन तौर तरीकों के कॅरिकुलम आधार पर शिक्षण हो रहा। छोटे बच्चों का आई क्यू लेवल में भी बदलाव है। शिक्षक और अभिभावकों को सामंजस्य बिठाने की आवश्यकता है।
बढ़ते और संभावनापूर्ण शिक्षा के क्षेत्र में सभी पक्षों को अतिरिक्त पहल करना होगी। वातावरण और विश्वास बढ़ाना होगा तभी यह मंदसौर का उभरता “एजुकेशनल हब” सार्थकता सिद्ध करेगा।