Mandsaur News – शिव चरित्र प्राणीमात्र के अस्तित्व की व्याख्या – अहंकार त्याग और सत्य स्वीकार से जीवन आनंद परिपूर्ण होगा
मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
मंदसौर । अंतरराष्ट्रीय मानस प्रवक्ता आचार्यश्री रामानुजजी ( राजकोट ) ने पीपलखूंटा स्थित सिध्दपीठ हनुमंत आश्रम प्रांगण में शिव पुराण कथा में शिव चरित्र व्याख्या के साथ कथा विराम किया ।
आचार्यश्री ने कहा
संभु चरित सुनी सरस सुहावा ।
भरद्ववाज मुनि अति सुख पावा ।।
बहुलालसा कथा पर बाढ़ी ।
नयनन्हि नीरू रोमावली ठाढ़ी ।।
आचार्यश्री रामानुजजी के द्वारा हुई नो दिवसीय शिवचरित्र कथा के विराम पर हुए उद्बोधन उन्होंने कहा ईश्वर के गीत जीवन का संबल है ,
वेदांत उपनिषद एव पुराणों के मतानुसार शिव हमारी आत्मा है ,शिव है तो हम है शिव है तो जीवन है शिवचरित्र हमारी अस्तित्व की कथा है , महादेव को पा लेना मतलब करुणापूर्ण जीवन का संकल्प करलेना , सकारात्मक जीवन की ओर आगे बढ जाना , ऐसी चर्चा को शिव चरित्र कहते है ,
भगवान शिव जैसे शिवालय में वैसे ही हमारे दिल मे है आंख मूंद कर भीतर उतरने का प्रयत्न करें तो सहज महादेव का साक्षात्कार होजाता है,।
जीवन के दो छोर है एक तरफ मृत्यु एक तरफ जीवन , चयन हमे करना है कि किस तरफ बढ़ना है ,
जिसकी वाणी आपको सुख प्रदान करे तो समझना महादेव गुरु के रूप में आपसे मिलने आये है , गुरुं शंकर रुपिनम
सत्य भी महादेव का परमभक्त है , अहंकार भी महादेव का परम भक्त
जहां सत्य पुकारता है महादेव दौड़कर आते है, ओर जहां अहंकार मौजूद होगा महादेव वहाँ से मुंह मोड़ लेते है , ईश्वर सब के लिए है बस अपने अहंकार को छोड़ कर सत्य को अपना लीजिए जीवन आनंद से भर जाएगा ।
आचार्यश्री रामानुज जी ने व्यास पीठ से शिव चरित्र कथा के साथ जीवन सूत्रों की व्याख्या करते हुए कहा कि
● जब आपका अस्तित्व मुस्कुराएगा तब आपके भीतर का शिवत्व मुस्कुराएगा |
● जो व्यक्ति श्रद्धा से शिव गुणों को गाता है वह मुक्ति पाता है ,।
● शक्तिसम्पन्न व्यक्ति के पास विनम्रता एव विवेक होना चाहिए ।
सत्ता एव शक्ति में यदि व्यक्ति उपद्रव करता दिखे किसी का अपमान यदि वह संपत्ति के नशे में तो समझना कि यह राक्षस है । तेजस्वी लोग मिथ्या अभिमान में डूबने लगे तब शास्त्रों ने उन्हें राक्षस निरूपित किया है ।
दारूकावन नागेश्वर की कथा का बहुत रोचक वर्णन सुनकर बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोता मंत्रमुग्ध होगये ।
शिवालय में बैठकर राम नाम मंत्र से मुक्ति दिलाने वाले विश्वनाथ महादेव काशी क्षेत्र में रहते जिसे प्रलय के संत भगवानमहादेव अपने त्रिशूल के माध्यम से रक्षा करते है ।
गौतमेश्वर की कथा का भी आज विराम के अवसर पर आचार्यश्री रामानुजजी ने विस्तृत वर्णन किया ।
अच्छे लोगो का संग ,सत्संग जन्मजन्मांतर के पुण्यो के उदय के कारण मिलता है इसिलए अच्छे लोगो का संग करना , विज्ञान का सदुपयोग करना , आजकल लोगो के घर मे TV की स्क्रीन बड़ी होने लगी और मन छोटा होता जारहा है , ।
रामचरित मानस के आधार पर चलरही शिवचरित्र कथा को संक्षेप में सुनाते हुए आज की कथा का विराम हुआ । कथा व्यवस्था गंभीरमल राठी रमेशचंद्र सोनी एवं दल ने संभाली ।
रतलाम मंदसौर जीरापुर झाबुआ सहित विभिन्न स्थानों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल हुए ।
डॉ कुशल शर्मा , सुनील कटलाना , बृजमोहन गर्ग ,सुरेश पाठक किशन लालवानी , अशोक झलोया , गीतांजलि शर्मा , यशोदा पाठक अटल बिहारी गौड़ , श्रीमती शकुंतला चौहान , मनोहर लालवानी , श्रीमती अनिता गर्ग , बसंती बाई , पीयूष भाई सहित अनेक श्रद्धालु पौथी पूजन , आरती में उपस्थित थे । आरम्भ में आचार्य श्री एवं भक्त मंडल ने हनुमानजी की पुजा आरती की ।