Mandsaur News: सहस्त्र लिंग महादेव की प्राण प्रतिष्ठा होगी, पशुपतिनाथ मंदिर में चल रही तैयारी

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मंदसौर से डॉ. घनश्याम बटवाल की ख़ास ख़बर

मंदसौर । प्राचीन काल से दशपुर के नाम से प्रसिद्ध मंदसौर की वर्तमान पहचान अष्टमूर्ति पशुपतिनाथ महादेव से राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय रूप से होरही है ।

एक पाषाण से गुप्त – ओलिकर काल की निर्मित मनोहारी पशुपतिनाथ प्रतिमा के बाद अब तत्कालीन कालखंड की मिली सहस्त्र लिंग महादेव की विशाल प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा किये जाने की तैयारी मंदिर प्रबंध समिति द्वारा की जारही है ।

मन्दसौर विधायक यशपालसिंह सिसौदिया ने इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की आमंत्रित किया है । मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पूर्व कार्यकाल में मन्दिर का भूमि पूजन भी किया था ।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक 1008 लिंग की यह अत्यंत दुर्लभ प्रतिमा है , जो सेन्ड स्टोन से निर्मित होकर पांचवीं – छठी शताब्दी में गुप्त – ओलिकर काल की आंकी गई है । शिवना नदी में मिली प्रतिमा वर्षों से रखी रही , अब कायाकल्प कर इसे स्थापित किया जारहा है ।

पुराविद एवं इतिहासवेत्ता कैलाशचंद्र पांडेय ने बताया कि देश और विश्व में सहस्त्र लिंग महादेव की बहुत कम प्रतिमाएं हैं । मंदसौर की यह प्रतिमा 1500 किलोग्राम से अधिक वजनी , सवा छह फ़िट से अधिक ऊंचाई वाली और साढ़े छह फ़िट से अधिक गोलाई की है । दुर्लभ शिला से बनी यह प्रतिमा सन 1952 – 53 में पद्मश्री डॉ वाकणकर एवं शोधकर्ताओं के माध्यम से सामने आई । विद्वान डॉ ऐ. पी. खत्री ने 1978 के अपने शोध में उल्लेख किया है । पहली बार तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के समक्ष मंदसौर के पंडित मदनलाल जोशी ” शास्त्री ” एवं मदनकुमार चौबे ने प्रतिमा का चित्र भेंट किया ।

पुरावेत्ता श्री पांडेय बताते हैं कि रिस्थल में मिले शिलालेख में राजा प्रकाशधर्मा ने भी सहस्त्र लिंग महादेव का उल्लेख है ।

महाभारत में कंडी ऋषि द्वारा शिव को प्रसन्न करने के लिए 1008 नामों से महादेव का स्तवन किया ऐसा उल्लेख मिलता है ।

वर्तमान में मन्दिर प्रबंध समिति अध्यक्ष एवं कलेक्टर गौतमसिंह की विशेष रुचि से प्रतिमा स्थापना कार्य प्रगति पर है । तत्कालीन कलेक्टर ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने प्रतिमा स्थापित करने योजना बनाई परन्तु उनका ट्रांसफर होगया ।

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कामकाज देख रहे इंजीनियर दिलीप जोशी ने जानकारी दी कि भारी और विशाल प्रतिमा के लिए गुजरात के अम्बाजी के ब्लैक बैसाल्ट पत्थर से सोमपुरा के निर्देशन में स्वरूपगंज ( राजस्थान ) से 3500 किलोग्राम वजनी जलाधारी बनवाई गई है । इस जलाधारी में प्रतिमा लगाई गई है ।

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प्रबंधक राहुल रुनवाल ने बताया कि 2 करोड़ रुपये से अधिक लागत से सहस्त्र शिवलिंग मन्दिर निर्माण चल रहा है । 17 दिसंबर 21 से कोलकाता के विशेषज्ञ रसायनविद द्वारा प्रतिमा सुरक्षा और संरक्षण के लिए रासायनिक उपचार कर वज्रलेप कराया गया है । यह प्रक्रिया भी 4 जनवरी को पूरी हुई अब अन्य विशेष कार्य पुरवेत्ता श्री पांडेय , अभियंता श्री जोशी एवं कारीगरों की निगरानी में जारी है ।

पशुपतिनाथ प्रतिमा के अधिष्ठाता ब्रह्मलीन पुज्य स्वामी श्री प्रत्यक्षानन्दजी महाराज एवं मूर्ति संरक्षक बलिदानी मस्तराम जी की मूर्तियां अन्य विशिष्ट स्थानों पर स्थान्तरित की जारही है ।

चल रहे काम को देखते हुए प्रबंध समिति ने 15 मार्च तक मन्दिर निर्माण पूर्ण होने की आशा जताई है । कॉन्ट्रेक्टर वैभव मुकेश सिंघई की देखरेख में निर्माण होरहा है ।

 

पशुपतिनाथ की ख्याति के साथ विशिष्ट और दुर्लभ सहस्त्र शिवलिंग प्रतिमा श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होगी । समिति द्वारा प्रचार – प्रसार के लिए भी काम जारी है ।

प्रबंध समिति अध्यक्ष एवं कलेक्टर गौतमसिंह के मुताबिक सहस्त्र शिवलिंग मन्दिर का कार्य कोई तीन साल से चल रहा कोरोना काल में निर्माण गति रुकी रही अब परिसर में मार्बल लगाने का कार्य भी प्रगति पर है ।