Mandsaur News – तीर्थ व धर्म स्थलों की पहली आवश्यकता होती है पवित्रता – शंकराचार्य स्वामी श्री ज्ञानानन्द तीर्थ जी महाराज

नगर आगमन पर विशेष भेंट

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Mandsaur News – तीर्थ व धर्म स्थलों की पहली आवश्यकता होती है पवित्रता – शंकराचार्य स्वामी श्री ज्ञानानन्द तीर्थ जी महाराज

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर। किसी भी तीर्थ या देवालय में पहली ओर महती आवश्यकता होती है वहां की पवित्रता।यदि धर्म स्थलों पर पवित्रता नहीं रहेगी तो उनका तेजतत्व और प्रभाव भी नहीं रहेगा। इसलिए ज्यादा अच्छा यह है कि सरकार तीर्थों में श्रद्धालु यात्रियों के आवागमन आवास इत्यादि की सुविधाएं बढ़ाएं ना कि उन्हें पर्यटन स्थल बनाकर वहां अपसंस्कृति को बढ़ने दें।
यह कहना है जगद्गुरु शंकराचार्य भानपुरा पीठ पूज्य स्वामी श्री ज्ञानानंद तीर्थ जी महाराज का ।
आप मंदसौर के अपने अल्प प्रवास के दौरान चर्चा कर रहे थे ।

आपने कहा कि पर्यटन को विकसित करने के लिए और भी अन्य क्षेत्र हैं। तीर्थों व धर्म स्थलों में इस तरह की प्रवृत्ति नहीं होनी चाहिए। हमारे तीर्थ व देवालय सनातन संस्कृति के संवाहक हैं तीर्थ हैं , तो भारत है।

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आपने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि ध्यान और समाधि के लिए एकांत का होना आवश्यक है। किंतु कथाओं की अभिव्यक्ति वाणी से ही होती है कथाओं में भीड़ तो बहुत बढ़ रही है किंतु आवश्यकता यह भी है कि भीड़ के साथ इन कथा आयोजनों से लोगों के ह्रदय में धर्म भी पहुंचे।कथाओं के पंडाल केवल धर्म मनोरंजन के लिए ना हो।

आपने कहा कि मनुष्य के जीवन में स्वाध्याय, संयम, साधना, सत्संग और सत्कर्म ये पांच तत्व होने बहुत आवश्यक है।
शंकराचार्यजी ने कहा कि संतों का यह दायित्व है कि धर्म और राष्ट्र के वे प्रहरी बन के रहें। आम जनमानस को दंभ कपट व पाखंड से दूर रहने की प्रेरणा दें। आपने कहा कि दर्शन और प्रदर्शन में अंतर होता है दर्शन में मर्यादा होती है और प्रदर्शन में विकृतियां आ जाती है।

इसलिए हमें प्रदर्शन की बजाय दर्शन में आस्था रखनी चाहिए। यह भी कहा कि ज्ञान की शुरुआत श्रवण से होती है वाणी में ब्रह्म तत्व होता है। हमारे शास्त्रों और मनीषियों ने सदैव से धर्म सम्मत सत्ता का महत्व बताया है।आपने कहा कि धर्म का आशय केवल मंदिर जाना, भगवान के दर्शन करना, पूजा पाठ करना ही नहीं है ये क्रियाएं तो शाश्वत रूप से धर्म की संवाहक है ही किंतु मानव का मानव के प्रति प्रेम,सेवा शुचिता, पवित्रता सद्भावना ओर सहयोग यह सब भी धर्म ही माना गया है।

आपने कहा कि यज्ञों का बड़ा महत्व होता है वैदिक पद्धति से किए गए यज्ञ से वृष्टि और औषधियों का विस्तार होता है जो मनुष्य जीवन के लिए बहुत उपयोगी है । इस श्रेष्ठ और पवित्र विधा से समाज मे दूरी बढ़ रही है ।
स्वामी श्री ज्ञानानंद तीर्थ जी महाराज ने कहा कि वे गांव और नगर धन्य होते हैं जहां नदी होती है। उनका संरक्षण समाज और सरकार का दायित्व है । ये पवित्र जलस्रोत होते हैं ।

इसके पूर्व पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य जी का स्वागत वरिष्ठ पत्रकार समाजसेवी ब्रजेश जोशी महेश काबरा राकेश शर्मा , शिवम काबरा , नरेंद्र यादव , स्वामी वरुणेंद्र , राधिका आदि ने किया।
जगद्गुरु शंकराचार्य जी उज्जैन में सम्पन्न अंतरराष्ट्रीय विराट संत सम्मेलन में भाग लेकर भानपुरा प्रस्थान कर रहे थे , इसी बीच मंदसौर के स्टील नगर में विराजमान रहे ।