मंदसौर यूनिवर्सिटी (MU) ने रचा कीर्तिमान, MIAER के सामूहिक अष्टांग हृदयम पाठ में बनाया इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड

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मंदसौर यूनिवर्सिटी (MU) ने रचा कीर्तिमान, MIAER के सामूहिक अष्टांग हृदयम पाठ में बनाया इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड

MU की आयुर्वेद चिकित्सा शिक्षा में बढ़ी लड़कियों की भागीदारी

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर। मंदसौर विश्वविद्यालय की मंदसौर इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद एजुकेशन एंड रिसर्च (एमआईएईआर) ने आयुर्वेद शिक्षा के क्षेत्र में नया इतिहास रचते हुए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया है। संस्थान को “लांगेस्ट रीडिंग रिले मैराथन कंडक्टेड बाय एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन” श्रेणी में सम्मान प्राप्त हुआ है। यह रिकॉर्ड किसी भी शैक्षणिक संस्था द्वारा आयोजित सबसे लंबे सामूहिक पाठन के रूप में मान्यता पाया है।

यह अनूठा आयोजन गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर संहिता पारायण के रूप में सम्पन्न हुआ था। एमआईएईआर के 50 छात्र-छात्राओं ने पद्मासन में बैठकर संस्कृत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘अष्टांग हृदयम्’ का निरंतर पाठ किया। 3 सितंबर 2025 को सुबह 10 बजे आरंभ हुआ पाठन 4 सितंबर की सुबह 4:25 बजे तक बिना रुके अनवरत चलता रहा था। कुल 18 घंटे 25 मिनट तक चले इस अनुशासित पाठन ने छात्रों के दृढ़ संकल्प, साधना, आत्मानुशासन और आयुर्वेद के प्रति गहरी निष्ठा को प्रदर्शित किया।

आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों और जीवनशैली संबंधी शिक्षाओं का प्रमुख स्रोत माना जाने वाला ‘अष्टांग हृदयम्’ का सामूहिक व सतत पाठ छात्रों के लिए एक अलौकिक अनुभव साबित हुआ। पूरे आयोजन के दौरान योग, ध्यान और पाठ पारायण —तीनों का अद्भुत समन्वय देखने को मिला, जिससे यह आयोजन अध्यात्म और शिक्षा दोनों का सुंदर अभिनव संगम बन गया।

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जारी किए गए प्रमाणपत्र में स्पष्ट उल्लेख है कि यह रिकॉर्ड एमआईएईआर, मंदसौर द्वारा स्थापित किया गया तथा इसकी पुष्टि इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा 15 नवम्बर 2025 को की गई हे।

इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के चीफ़ एडिटर डॉ विश्वरूप रॉय चौधरी हस्ताक्षरित आधिकारिक प्रमाणपत्र और स्वर्ण पदक का अनावरण विगत दिवस आयोजित ‘शिष्योपनयन संस्कार – आयुर्वेद प्रवेशिका’ समारोह में किया गया। यह समारोह 2025–26 बैच के नए विद्यार्थियों के प्रवेश संस्कार के रूप में आयोजित हुआ।

इस अवसर पर मंदसौर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति नरेंद्र नाहटा ने कहा,“एमआईएईआर ने आयुर्वेद के शास्त्रीय ज्ञान, अनुशासन और सामूहिक साधना को जिस उत्कृष्ट रूप में प्रस्तुत किया है, वह देशभर के शैक्षणिक संस्थानों के लिए प्रेरणादायक है। यह उपलब्धि केवल गर्व का क्षण नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए आयुर्वेद की विरासत को संरक्षित व प्रसारित करने का संदेश है।”यह रिकॉर्ड न केवल संस्थान की शैक्षणिक उत्कृष्टता को रेखांकित करता है, बल्कि छात्रों में टीमवर्क, समय-प्रबंधन, मानसिक दृढ़ता और सांस्कृतिक गौरव जैसे मूल्यों को भी मजबूत बनाता है। लंबे सामूहिक पाठन से विद्यार्थियों के उच्चारण, श्रुति स्मरण और ग्रंथ-बोध में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जो भविष्य में उनके चिकित्सकीय अभ्यास में सहायक सिद्ध होगा।

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विश्विद्यालय के कुलाधिपति नरेंद्र नाहटा ने बताया कि इस वर्ष आयुर्वेद शिक्षा में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों में 65 प्रतिशत संख्या लड़कियों की रही, जो इस क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती रुचि और भागीदारी का स्पष्ट संकेत है। उच्च शिक्षा के पारंपरिक व आधुनिक दोनों आयामों में आयुर्वेद को एक मजबूत, सुरक्षित और उज्ज्वल करियर विकल्प के रूप में अपनाने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। छात्राओं द्वारा बड़े पैमाने पर किया गया प्रवेश न केवल आयुर्वेद के प्रति बढ़ते विश्वास को दर्शाता है, बल्कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण और भविष्य में अधिक महिला चिकित्सकों के आगमन का मार्ग भी प्रशस्त करता है।

एमआईएईआर प्रबंधन ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए सभी 50 प्रतिभागी विद्यार्थियों, मार्गदर्शक आचार्यों तथा सहयोगी कर्मचारियों को हार्दिक बधाई दी और कहा कि यह कीर्तिमान आयुर्वेद के शाश्वत ज्ञान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक सशक्त कदम है।