Mango & Tomato Price: आखिर क्यों महंगे हुए टमाटर और आम, किसने इन पर असर डाला!

दाम में उछाल आया दोनों के दाम 100 रुपए किलो के पार पहुंचे

1087

इन दिनों टमाटर और आम दोनों के मिजाज आसमान पर हैं। टमाटर और आम की फसल पर मौसम का असर पड़ने से इनके दाम बढ़कर 100 रुपए किलो के पार निकल गए। अभी तक यही स्थिति निम्बू की थी। देशभर महंगाई बढ़ती जा रही है। खाने-पीने का सामान की कीमतों में कुछ ज्यादा ही बढ़ोतरी हो रही है।

कुछ दिन पहले नींबू के दाम को लेकर देश में हाहाकार मचा था। अब रोज काम आने वाला टमाटर बेतहाशा महंगा हो गया। गर्मियों में आने वाला फल आम भी बेहद महंगा है। गर्मी के हाहाकार के कारण से टमाटर और आम दोनों महंगे हो गए। क्योंकि, दोनों की फसल ख़राब हो गई!

टमाटर हुआ लाल
कई राज्यों में गर्मियों की शुरुआत में ही असामान्य तरीके से लू चली। जिसके चलते टमाटर और आम की फसल पर बुरा असर पड़ा है। इस वजह से इनके दाम 100 रुपए प्रति किलो के पार हो गए हैं। देश के कई राज्यों में टमाटर रोज के खाने के काम आता है, वो 100 रुपये प्रति किलो के पार निकल गया। उड़ीसा म इसकी कीमतें 120 रुपए किलो तक जा पहुंची। पिछले पखवाड़े यानी 15 दिनों में टमाटर के दाम को देखें तो ये 100 रुपये प्रति किलो तक गए हैं.

फसल ख़राब होने से आम नहीं रहा आम
आम की फसल को उत्तर प्रदेश में जबरदस्त लू के चलते भारी नुकसान हुआ। इसकी 80 फीसदी फसल के खराब होने का अंदेशा है, जिसके चलते आम के दाम भी जोरदार तरीके से चढ़ गए। लू के चलते खराब हुई फसल का असर आम के दाम पर देखा जा रहा है। इसके दाम देश के उत्तरी और दक्षिणी इलाकों में 100 रुपए किलो पर आ गए। उत्तर प्रदेश देश में आम का सबसे बड़ा उत्पादक है और यहां आम की फसल पिछले 2 दशकों में सबसे निचले स्तर पर रहने का अनुमान है, जिसका असर आम के दाम पर आया है।

आम के दाम इस साल नीचे आने के आसार इसलिए नहीं दिख रहे, क्योंकि आंध्र प्रदेश में भी आम की फसल पर असर पड़ा है। उत्तर प्रदेश हर साल 4.5 करोड़ टन आम का उत्पादन करता है। पर, इस साल इसकी 80 फीसदी फसल खराब होने से आम के दाम आसमान पर जा पहुंचे। उत्तर प्रदेश का देश के कुल आम उत्पादन में 23.47 फीसदी हिस्सा है और इसका हिस्सा घटने से आम के दाम महंगे हो गए।

टमाटर के दाम जुलाई तक सस्ते होंगे
जुलाई में टमाटर के दाम कम होने का अनुमान है, जब टमाटर की नई फसल आएगी। इस साल लू बहुत जल्दी चल गई, जिसके असर से देश के अधिकांश इलाकों में टमाटर के फूल झुलस गए और टमाटर की फसल का उत्पादन घट गया। एक एकड़ में 10 टन के बराबर टमाटर होता था. वो अब केवल 3 टन तक आ गया। कीमतें बढ़ने के पीछे टमाटर की सप्लाई में आई भारी गिरावट प्रमुख कारण है।