Manipur Violence : भाजपा MLA का आरोप ‘मणिपुर की हिंसा में राज्य सरकार भी शामिल!’
Imphal : भाजपा विधायक पाओलीनलाल हाओकिप ने आरोप लगाया कि मणिपुर की हिंसा में राज्य सरकार भी शामिल है। उन्होंने कहा कि सरकार की मिलीभगत की वजह से हिंसा पर ढाई महीने बाद भी काबू नहीं पाया जा सका। भाजपा विधायक ने यह आरोप ‘इंडिया टुडे’ में लिखे एक आर्टिकल में लगाया है। पाओलीनलाल हाओकिप उन 10 विधायकों में हैं, जिन्होंने मई में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को पत्र लिखकर राज्य में कुकी-बहुल जिलों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग की थी।
भाजपा विधायक ने कहा कि उन 79 दिनों के बारे में भूल जाइए। इतनी बड़ी हिंसा पर प्रतिक्रिया देने के लिए एक सप्ताह भी बहुत लंबा समय होता है। पाओलीनलाल होकिप खुद कुकी-जोमी समुदाय से आते हैं। उनका मानना है कि पीएम नरेंद्र मोदी की प्राथमिकताएं पूरी तरह से गलत हैं। इसके अलावा वे यह भी दावा करते हैं कि प्रधानमंत्री के अमेरिका के दौरे से पहले उन्होंने पीएम तक पहुंचने की कोशिश की थी लेकिन सफल नहीं हो सके।
लोग मारे जा रहे, उस पर ध्यान देना चाहिए
‘न्यूज लॉन्ड्री’ को दिए एक इंटरव्यू में पाओलीनलाल हाओकिप ने कहा कि इंटरनेशनल रिलेशन को नजरंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन जहां पर लोग मारे जा रहे हैं उस मामले को सुलझाने पर ध्यान देना चाहिए। मानवता यही है, जिसकी कमी है। उन्होंने कहा कि मैंने जनता के प्रतिनिधि के रूप में प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा। लेकिन, कोई जवाब नहीं मिला। मैं अभी भी स्थिति की गंभीरता से अवगत कराने के मौके का इंतजार कर रहा हूं।
मणिपुर सरकार पर आरोप
विधायक ने आरोप लगाया कि 3 मई 2023 को चिन-कुकी-मिज़ो-ज़ोमी पहाड़ी आदिवासियों के खिलाफ मणिपुर की मौजूदा सरकार मौन रूप से समर्थन कर रही है। बहुसंख्यक मैतेई लोगों की ओर से शुरू की गई हिंसा ने पहले ही राज्य को विभाजित कर दिया है। विधायक ने राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध की चार घटनाओं को सूचीबद्ध किया। हाओकिप ने तर्क दिया कि क्या राज्य में अत्याचारों पर ध्यान देने के लिए मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री को उन घटनाओं के ऑडियो-विजुअल की आवश्यकता होगी? उन्होंने पूछा कि क्या राज्य सरकार को ऐसी अमानवीय क्रूरताओं पर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए?
हिंसा पर काबू नहीं
बिष्णुपुर और चुराचांदपुर के बीच का थोरबुंग इलाका शनिवार शाम 7 बजे गोलीबारी की आवाज से गूंज रहा है। थोरबुंग के स्कूल को कुछ लोगों ने आग के हवाले कर दिया। सीआरपीएफ के बंकर के सामने मेन रोड पर 50-60 लोगों के झुंड ने सड़क पर खुलेआम फायरिंग की।
कुकी समुदाय के लोग अपने गांव पर हमले की आशंका में सड़कों पर आ गए। भीड़ में ज्यादातर पुरुष थे जिनके कंधों पर राइफल टंगी थी और हाथ में तलवार जैसा हथियार खांग था। हर तीसरे-चौथे दिन यही हालात होते हैं। कभी कुकी मैतेई पर हमला करता है, तो कभी मैतेई बस्ती जला देते हैं। सेफ हाउस से करीब 200 मीटर दूर असम राइफल्स के कैंप से कुछ जवान ट्रक में आए और भीड़ को डराने के लिए 5-6 लोगों को पकड़कर ले गए।
पड़ोसी राज्य मिजोरम में भी खतरा मंडरा रहा है। अंडरग्राउंड मिजो नेशनल फ्रंट के मिलिटेंट्स के संगठन पीस अकॉर्ड एमएनएफ रिटर्नीज एसोसिएशन ने एक बयान जारी करके कहा कि मिजोरम में रहने वाले मैतेई लोगों को उनकी सुरक्षा के मद्देनजर राज्य छोड़ देना चाहिए। इस वक्त मिजो समुदाय की भावनाएं आहत हैं।
मैतेई समुदाय के 568 लोग मिजोरम छोड़कर मणिपुर की राजधानी इंफाल आ गए हैं। इसमें ज्यादातर स्टूडेंट और प्रशासन से जुड़े लोग हैं। हालांकि, मिजोरम सरकार ने उन्हें पूरी सुरक्षा देने का आश्वासन दिया। इसके बाद मणिपुर सरकार ने मैतेई लोगों को चार्टर्ड फ्लाइट से निकालने का फैसला फिलहाल टाल दिया है।