(मनो) रंजन के लिए लव का पंचनामा : ‘तू झूठी मैं मक्कार’

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(मनो) रंजन के लिए लव का पंचनामा : ‘तू झूठी मैं मक्कार’

‘प्यार का पंचनामा’ बनाने वाले लव रंजन की ‘माइंडलेस’ और ‘इमोशनलेस’ फिल्म है ‘तू झूठी मैं मक्कार’! कहने को यह रॉमकॉम यानी रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है, पर वास्तव में यह है भेजा फ्रॉय! यह पंजाबियों की कहानी है रोहन अरोड़ा (रणबीर कपूर) और निशा मल्होत्रा (श्रद्धा कपूर) की। अब पंजाबियों में घरेलू नाम रखे ही जाते हैं इसलिए रोहन अरोड़ा मिक्की है और निशा मल्होत्रा टिन्नी।

मिक्की साहब की मर्सीडीज़ कारों की एजेंसी है, रियल एस्टेट और जूलरी का कारोबार है, लेकिन वे कभी भी कोई मूल काम करते नहीं दिखते। (साइड बिजनेस पर ही उनका ध्यान है!) न ही उनके परिवार में, मां-बाप, दादी, बहन, भाई आदि कोई काम करते हैं, लेकिन परिवार के पास कोठियां, फार्म हाउस, जायजाद है, घर की औरतें पूरे दिन भर जेवरों से लदी रहती हैं और जैसा माना जाता है कि पंजाबी परिवार में सभी मस्त और जिंदादिल होते हैं, एक-दूसरे का ख्याल रखनेवाले प्यारे लोग।

ऐसे घर के हीरो के सामने मोहब्बत करने और उसे भूल जाने, स्पेन में छुट्टियां बिताने, बीच पर पार्टियां करने, घर में बच्चों के सामने भी शराब पीने, पब में नाचने और लड़कियां पटाने की महती जवाबदारी है। इतनी जिम्मेदारियां बेचारा अकेला उठाता है। वह स्पेन में ऐसे पब में जाता है, जहाँ विदेशी लड़कियां भी हिन्दी के गानों पर डांस करती हैं। अब हीरोइन भी तो dडांस में किसी से कम नहीं है।

जैसे हीरो के काम होते हैं, वैसे ही बेचारी हीरोइन को भी करने पड़ते हैं। उसे बीच पर डांस और नैन मटक्का करना पड़ता है। फिर हर पांच मिनट में उसे नई बिकिनी पहनकर नए गाने पर थिरकना पड़ता है। हीरोइन बेचारी इतनी बीजी रहती है कि इंटरवल तक तो उसे पूरे कपडे पहनने का भी टाइम नहीं मिलता! लाखों रुपये का खर्च करने वाली, कॉर्पोरेट जगत की महान प्रतिभाशाली हीरोइन को भी महंगे बार में जाना पड़ता है, शराब पीनी पड़ती है और अपनी कमाई से खरीदी जीप चलानी पड़ती है। इश्क फरमाने से पहले लड़के से पूछना पड़ता है कि वह कौन सी कार चलाता है? लेकिन जब इच्छा हो तब बंगलुरु में और जब इच्छा हो तब लन्दन में नौकरी पाने की योग्यता रखनेवाली हीरोइन की सामान्य बुद्धि यानि कॉमन सेन्स थोड़ा कम है, क्योंकि उसकी तो हर चीज़ अनकॉमन है।

यह फिल्म कॉमेडी, रोमांस, फैमिली ड्रामा, यारबाजी, शादी की तैयारी, सगाई का गाना, गोद भराई का गाना आदि का मुरब्बा है। ऐसा क्लाइमैक्स दर्जनों फिल्मों में देखा जा चुका है। गाने तुकबंदी हैं और संगीत भड़भड़कूटा ! रणबीर कपूर ने किसी इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने इसकी पूरी शूटिंग बिना स्क्रिप्ट के की थी।

सचमुच ऐसा ही हुआ होगा।

यह फिल्म दर्शकों के लिए ट्रेजेडी है क्योंकि इसके लेखक राहुल मोदी हैं। ऐसा लगता है मानो राहुल गांधी और नरेन्द्र मोदी ने मिलकर सलीम जावेद की तर्ज पर राहुल मोदी नाम रख लिया हो! लेकिन इसके लेखक राहुल मोदी एक ही शख्स हैं। इस फैमिली फिल्म में अक्षय कुमार की सास, जाह्नवी कपूर के पापा, शक्ति कपूर की बेटी आदि भी हैं। फिल्म ख़त्म होते होते अचानक डायरेक्टर में सूरज बड़जात्या की आत्मा का प्रवेश हो जाता है। मानो राजपाल यादव में दिलीप कुमार की आत्मा!

इसके तकनीकी पहलू बहुत अच्छे हैं। लोकेशन, कैमरा वर्क, कोरियोग्राफी शानदार हैं। डिजिटल अधिकार नेटफ़्लिक्स ने खरीदे हैं, तो वहां भी यह आएगी ही। वहां देखना आपकी जेब और मगज के लिए ठीक रहेगा।