Manoj Kumar: भारत के ‘भारत कुमार’- राष्ट्रीयता के अमर महानायक का महाप्रयाण

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Manoj Kumar

Manoj Kumar: भारत के ‘भारत कुमार’- राष्ट्रीयता के अमर महानायक का महाप्रयाण

डॉ. तेज प्रकाश व्यास की विशेष रिपोर्ट 

 भारतीय सिनेमा के गौरवशाली इतिहास में कुछ ऐसे असाधारण व्यक्तित्व हुए हैं, जिन्होंने न केवल अपनी अद्वितीय कला से दर्शकों का हृदय जीता, बल्कि अपने प्रगतिशील विचारों और कर्मठता से समाज को एक नई दिशा भी प्रदान की। ऐसे ही एक वंदनीय महामानव थे पद्मश्री और दादा साहब फाल्के पुरस्कार से विभूषित अभिनेता मनोज कुमार, जिनका 87 वर्ष की आयु में मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में 4 अप्रैल, 2025 को निधन हो गया। उनके भौतिक देह त्यागने के साथ ही भारतीय सिनेमा का एक दिव्य युग अस्त हो गया। उन्हें स्नेह और सम्मान से ‘भारत कुमार’ के नाम से पुकारा जाता था, और यह आदरणीय उपाधि उनके द्वारा अपनी कालजयी फिल्मों के माध्यम से राष्ट्रीयता, देशभक्ति और भारतीय संस्कृति के उदात्त मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने के अतुलनीय समर्पण का प्रतीक है।

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उनके नश्वर संसार से विदा लेने पर भारतवर्ष के शीर्षस्थ गणमान्य व्यक्तियों और फिल्म जगत के मूर्धन्य सितारों ने अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की, जो उनके विराट व्यक्तित्व और अविस्मरणीय कृतित्व की चिरस्थायी गवाही है।

मनोज कुमार का प्रेरणादायक जीवन किसी रोमांचक फिल्मी पटकथा से कम नहीं। एक सामान्य परिवेश से उठकर भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के सर्वोच्च शिखर पर विराजमान होने तक का उनका सफर अनगिनत चुनौतियों और अटूट संकल्प से परिपूर्ण था। उनके प्रारंभिक जीवन की विषम परिस्थितियों ने उन्हें जीवन के गूढ़ सत्यों को गहराई से आत्मसात करने का अमूल्य अवसर प्रदान किया, जो कालांतर में उनकी फिल्मों में जीवंत सच्चाई और गहन मानवीयता बनकर प्रवाहित हुईं। यह उनके निजी जीवन की गहन साधना ही थी जिसने उन्हें रजत पटल पर इतने प्रामाणिक और अनुकरणीय चरित्रों को साकार करने की अद्भुत शक्ति प्रदान की।

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‘भारत कुमार’ की गरिमामयी उपाधि को अक्षरशः चरितार्थ करने वाली उनकी अविस्मरणीय कृतियाँ आज भी हमारी स्मृतियों में जीवंत हैं। ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘क्रांति’ जैसी मील के पत्थर समान फिल्मों ने देशभक्ति और राष्ट्रीय गौरव के प्रखर संदेश को प्रत्येक भारतीय के हृदय तक पहुंचाया। उनके द्वारा कुशलतापूर्वक अभिनीत और निर्देशित इन उत्कृष्ट फिल्मों में भारतीय सभ्यता, शाश्वत मूल्यों और उदात्त आदर्शों का ऐसा हृदयस्पर्शी चित्रण था, जिसने दर्शकों को अपनी समृद्ध जड़ों से अटूट रूप से जोड़े रखा। विशेष रूप से, उनकी फिल्मों के अमर और भावपूर्ण गीत, जैसे “मेरे देश की धरती सोना उगले”, “जय जवान जय किसान”, आज भी प्रत्येक भारतीय के अंतर्मन में देशभक्ति की पावन भावना को जागृत करते हैं। इन गीतों में समाहित सारगर्भित शब्द और उदात्त भावनाएं अनगिनत पीढ़ियों तक देश प्रेम और निःस्वार्थ समर्पण के दिव्य भाव को पोषित करती रहेंगी। उनकी फिल्मों ने युवा पीढ़ी को न केवल उत्कृष्ट मनोरंजन प्रदान किया, बल्कि उन्हें अपने गौरवशाली राष्ट्र की समृद्ध विरासत और उज्जवल भविष्य के प्रति अटूट जिम्मेदारी का भी गहन एहसास कराया।

 

 

IMG 20250404 WA0053मनोज कुमार को ‘भारत कुमार’ का गौरवशाली अलंकरण सहजता से प्राप्त नहीं हुआ था। उनकी फिल्मों की आत्मा में भारतीयता का दिव्य सार समाहित था। उन्होंने अपनी अनुपम कला के माध्यम से भारतीय संस्कृति की विविधता, गौरवशाली परंपराओं और उदात्त सामाजिक मूल्यों को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। उनकी फिल्मों में कुशलतापूर्वक बुने गए सामाजिक संदेश न केवल मनोरंजक होते थे, बल्कि गहन विचारोत्तेजक भी होते थे, जो दर्शकों को अपने आसपास के समाज में सकारात्मक और प्रगतिशील परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करते थे। उन्होंने अपनी फिल्मों को मात्र मनोरंजन का क्षणिक साधन नहीं माना, बल्कि उन्हें राष्ट्र निर्माण और सामाजिक उत्थान के एक शक्तिशाली और चिरस्थायी माध्यम के रूप में प्रतिष्ठित किया।

मनोज कुमार केवल एक असाधारण अभिनेता और दूरदर्शी निर्देशक ही नहीं थे, बल्कि एक अत्यंत संवेदनशील और परोपकारी मानवतावादी भी थे। उन्होंने अपनी सामर्थ्य के अनुसार विभिन्न धर्मार्थ कार्यों में बढ़-चढ़कर सक्रिय योगदान दिया। समाज के प्रति उनकी गहरी जिम्मेदारी और करुणा उनके उदात्त व्यक्तित्व का एक अभिन्न अंग थी। उन्होंने सदैव जरूरतमंदों की सहायता के लिए अपना उदार हृदय और सक्षम हाथ बढ़ाया और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए हर संभव प्रयास किया।

उनके निधन पर भारत के माननीय राष्ट्रपति, यशस्वी प्रधानमंत्री और अन्य विशिष्ट गणमान्य व्यक्तियों ने गहरा शोक व्यक्त किया, जो उनके राष्ट्रव्यापी योगदान के प्रति सर्वोच्च सम्मान का प्रतीक था। फिल्म उद्योग के उनके आत्मीय सहयोगियों और असंख्य प्रशंसकों ने भी उन्हें भावभीनी और अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की। सभी ने उनके मिलनसार स्वभाव, उनकी कला के प्रति अटूट समर्पण और उनके हृदय में प्रज्वलित देशभक्ति के अटूट जज्बे को भावभीनी स्मृतियों के साथ याद किया। उनके साथ काम करने वाले सह कलाकारों और तकनीशियनों ने उनके उच्च पेशेवर मूल्यों और आजीवन सीखने की अटूट ललक की सदैव मुक्त कंठ से सराहना की।

मनोज कुमार यद्यपि आज हमारे मध्य भौतिक रूप से अनुपस्थित हैं, तथापि उनकी कालजयी फिल्में और उनके द्वारा प्रसारित राष्ट्रीयता के अमर संदेश सदैव जीवंत रहेंगे। उनका गौरवमय जीवन हम सभी के लिए एक अनुपम प्रेरणास्रोत है, जो हमें अपने प्यारे देश और अपने शाश्वत मूल्यों के प्रति सर्वदा निष्ठावान रहने की अमूल्य शिक्षा प्रदान करता है। ‘भारत कुमार’ एक ऐसे अद्वितीय महामानव थे, जिन्होंने अपनी कला के दिव्य प्रकाश से राष्ट्र की चेतना को जागृत किया और वे सदैव हमारे हृदय में अजर और अमर रहेंगे। उनका अमूल्य योगदान भारतीय सिनेमा और भारतवर्ष के स्वर्णिम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा, और उनकी प्रेरणा अनगिनत पीढ़ियों तक हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी।