MP में भेल सहित कई विभाग, संस्थान करोड़ों की बेशकीमती जमीने लेकर बैठे
भोपाल: प्रदेश के सभी 52 जिलों मेंं विभिन्न विभागों के कार्यालयों, कार्यस्थलों , योजनाओं और परियोजनाओं के लिए पूर्व में आवंटित की गई जमीन का उपयोग विभागों द्वारा नहीं किए जाने पर ऐसी रिक्त और अनुपयोगी जमीन को अब राज्य सरकार वापस लेगी।
इसके लिए राज्य सरकार ने नजूल निर्वतन नियमों में प्रावधान कर दिया है। राजस्व विभाग और जिला प्रशासन के अफसर विभागों को पूर्व में आवंटित की गई जमीन , उनके द्वारा उपयोग में लाई गई जमीन तथा शेष भूमियों की जानकारी संकलित करेगा एवं वर्तमान समय के संदर्भ में इन विभागों को भूमि की आवश्यकता की समीक्षा करेगा। विभागों के कार्यालयों, कार्यस्थलों, योजनाओं या परियोजनाओं के लिए भूमि की आवश्यकता का आकलन मानक मापदंडों पर किया जाएगा। मानक मापदंड न होंने की स्थिति में युक्तियुक्त मापदंडों का प्रयोग किया जाएगा। पूर्व से निर्मित या प्रस्तावित संरचना के लिए भूमि की आवश्यकता के आकलन में क्षितिजीय प्रसार(हरिजेंटल स्प्रैड) के स्थान पर उर्ध्वाकार रचना (वर्टीकल राईज)की संभावना पर भी विचार किया जाएगा। इससे विभागों के कार्यालयों और कर्मचारी आवासों के लिए हाईराईज बिल्डिंग बनाने की राह आसान होगी। इससे खाली होंने वाली जमीनों का अन्य कामों और परियोजनाओं में उपयोग किया जा सकेगा।
इस तरह विभागों को आवंटित की गई जमीन का पूर्णत: आंकलन किया जाएगा और समीक्षा के बाद सक्षम प्राधिकारी राज्य शासन के किसी विभाग को हस्तांतरित भूमि अंशत: या पूर्णत: राजस्व विभाग को वापस करने का निर्णय कर सकेगा। यदि संबंधित विभाग सक्षम अधिकारी के निर्णय से व्यथित है तो वह राज्य शसन के रास्व विभाग को अभ्यावेदन प्रस्तुत कर सकेगा। इसमें दस्तावेज प्राप्त कर संबंधित विभागों से परामर्श कर अभ्यावेदन का निराकरण किया जाएगा।
यह होगा फायदा- भोपाल में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, केन्द्रीय कोयला मंत्रालय और अन्य कई सरकारी विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों, संस्थानों को दी गई हजारों हेक्टेयर जमीनें वापस मिलने की राह आसान हो जाएगी। भोपाल में स्थापना के समय भेल में तीस से पैतीस हजार कर्मचारी थे अब इनकी संख्या एक तिहाई से भी कम रह गई है। भेल ने कर्मचारियों के लिए बनाए गए आवासों को भी खाली कराकर तुड़वा दिया है। खाली जमीनों पर भेल जमीन पर सोलर इनर्जी के पैनल लगाकर बिजली बना रहा है जबकि सोलर पैनल भवनों की छतों पर लगाकर भी यह काम किया जा सकता है। इससे उनके पास उपलब्ध इस अनुपयोगी जमीन को वापस लेकर स्मार्ट सिटी परियोजना, जिले और राज्य स्तर के सरकारी दफ्तरों के कार्यालयों और औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण कर उन्हें आवंटित की जा सकती है। विकास योजनाओं, निजी कंपनियों के निवेशकों को भी शहर के बीचो-बीच जमीन उपलब्ध कराई जा सकती है।
अब आवंटित जमीन के पूर्ण उपयोग की कार्ययोजना और वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता का देना होगा प्लान-
विभागों को आवंटित जो अनुपयोगी जमीन वापस ली जाएगी उसका उपयोग शहरों की विकास योजनाओं के अनुसार किया जाएगा। शहरों के डेवलपमेंट प्लान के अनुसार जमीन का किस तरह का उपयोग किया जाना ज्यादा उपयुक्त होगा इस पर विचार किया जाएगा। इस जमीन पर आगे भवन निर्माण के लिए संबंधित क्षेत्र के लिए एफएआर के अधिकतम उपयोग के आधार पर भूमि की न्यूनतम आवश्यकता का भी आंकलन किया जाएगा। जिन्हें यह जमीन दी जाना है उनसे उस जमीन के पूर्ण उपयोग करने की कार्ययोजना तथा उसके लिए वित्तीस संसाधनों की उपलब्धता पर का प्लान भी लिया जाएगा। यदि वापस मिलने वाली जमीन की आवश्यकता किसी अन्य महत्वपूर्ण लोक प्रयोजन के लिए भविष्य में संभावित है तो इसका आंकलन भी किया जाएगा।