30 लाख के समझौते पर टूटा वैवाहिक रिश्ता:सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत दिया तलाक

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30 लाख के समझौते पर टूटा वैवाहिक रिश्ता:सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत दिया तलाक

नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने एक वैवाहिक विवाद में बड़ा फैसला सुनाते हुए पति-पत्नी के बीच लंबे समय से चले आ रहे रिश्ते को समाप्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यह विवाह पूरी तरह से टूट चुका है और इसे आगे बनाए रखने की कोई संभावना नहीं है। ऐसे में न्यायहित में संविधान के अनुच्छेद 142 के विशेष अधिकारों का उपयोग करते हुए विवाह विच्छेद का आदेश दिया गया।

▪️उत्तर प्रदेश से जुड़ा मामला
▫️यह मामला उत्तर प्रदेश से संबंधित है, जिसमें पति बाबूराम गौतम और उनकी पत्नी के बीच कई वर्षों से विवाद चल रहा था। दोनों पक्ष अलग-अलग रह रहे थे और एक-दूसरे के खिलाफ कई आपराधिक व दीवानी मुकदमे दर्ज थे। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने मामले की सुनवाई की।

▪️महिला थाने में दर्ज केस से शुरू हुआ विवाद
▫️विवाद की शुरुआत मथुरा स्थित महिला थाने में दर्ज एक आपराधिक प्रकरण से हुई थी। पत्नी ने पति और उसके परिजनों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कराया था। बाद में पति ने हाईकोर्ट में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत मुकदमा समाप्त करने की मांग की, लेकिन राहत नहीं मिली। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

▪️9 सितंबर को समझौते के संकेत, 18 दिसंबर को अंतिम सहमति
▫️9 सितंबर 2025 को सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आपसी समझौते पर बातचीत चल रही है। इसके बाद 18 दिसंबर 2025 को पति-पत्नी स्वयं कोर्ट में उपस्थित हुए और 30 लाख रुपये के पूर्ण और अंतिम सेटलमेंट पर विवाह समाप्त करने की सहमति दी। पति की ओर से 15-15 लाख रुपये के दो डिमांड ड्राफ्ट पत्नी के वकील को सौंपे गए, जिन्हें कोर्ट ने अपने रिकॉर्ड में शामिल किया।

▪️सोशल मीडिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने लिए दो वचन
▫️इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने समझौते को स्वीकार करते हुए दोनों पक्षों से दो महत्वपूर्ण अंडरटेकिंग भी ली। अदालत के समक्ष पति-पत्नी ने वचन दिया कि वे एक-दूसरे और एक-दूसरे के परिवार से संबंधित सभी फोटो और वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाएंगे। साथ ही भविष्य में किसी भी सोशल मीडिया मंच पर इस तरह की कोई सामग्री साझा नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इन वचनों को अपने अंतिम आदेश का हिस्सा बनाया।

▪️सभी आपराधिक और दीवानी मुकदमे समाप्त
▫️सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पाया कि पति-पत्नी के बीच मारपीट, धमकी, चोरी सहित कई आपराधिक मामले और हिंदू विवाह अधिनियम के तहत दीवानी मुकदमे लंबित थे। अदालत ने आदेश दिया कि फैसले की प्रमाणित प्रति संबंधित अदालतों में पेश होते ही सभी मामले स्वतः समाप्त माने जाएंगे। इसके साथ ही रजिस्ट्री को विवाह विच्छेद की डिक्री तैयार करने का निर्देश दिया गया।

▪️अदालत का स्पष्ट संदेश
▫️सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह रिश्ता पूरी तरह से समाप्त हो चुका है और इसे जबरन जीवित रखना दोनों पक्षों के लिए अन्याय होगा। इसलिए विशेष संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए विवाह को समाप्त किया जाना आवश्यक है।